कन्नड़ अभिनेत्री और कांग्रेस की पूर्व विधायक राम्या के मात्र इतना कहने पर कि पाकिस्तान जहन्नुम नहीं है, उसे देशद्रोही करार देना हद्द दर्जे की गंदी राजनीति व असहिष्णुता की इंतहा है। इस मामले में होना जाना कुछ नहीं है, ये महज शब्द जुगाली है। कुछ लोगों को अपनी देश भक्ति स्थापित करने का मौका मिल जाएगा तो किसी को देशद्रोही करार दिया जाएगा, मगर हम राजनीति की कैसी नौटंकी के दौर में जी रहे हैं, उसे देख-सुन कर आत्म ग्लानि होती है। राजनीति तो राजनीति, इलैक्ट्रॉनिक मीडिया व सोशल मीडिया पर भी सोम्या के बयान को पाकिस्तान प्रेम की संज्ञा दी जाती है तो साफ नजर आता है कि वह भी प्रयोजन विशेष के लिए काम कर रहे हैं। एक जगह तो यह तक लिखा गया कि राम्या ने कन्नड़ फिल्मों में जिस तरह से अपने शरीर का प्रदर्शन किया है, क्या वैसा प्रदर्शन पाकिस्तान की फिल्मों में कर सकती हैं? अफसोस, अगर किसी की आप से मतभिन्नता है तो आप उसके कपड़े तक उतारने को उतारू हो जाएंगे। लानत है ऐसी सोच पर।
इस मसले की बारीक बात ये है कि राम्या ने ऐसे वक्त में यह बयान दिया, जबकि देश के रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर कह चुके थे कि पाकिस्तान तो नरक है। बस यहीं से विवाद शुरू होता है। बेशक पाकिस्तान हमारा दुश्मन पड़ौसी है, इस कारण उसे गाली देना सुखद लगता है, देशप्रेम नजर आता है, ऐसे में अगर आप ये कहेंगे कि वह जहन्नुम नहीं तो वह देशद्रोहिता की श्रेणी में गिना जाता है। मगर इस किस्म की देशद्रोहिता तब कहां चली जाती है, जबकि हमारे ही प्रधानमंत्री व पर्रिकर की पार्टी के नेता नरेन्द्र मोदी अफगानिस्तान से लौटते समय बिना निर्धारित कार्यक्रम के लाहौर जाकर वहां के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की माता के पैर छू आते हैं। अगर पाकिस्तान नरक है तो मोदी को वहां नहीं जाना चाहिए था। साम्या ने तो केवल इतना भर कहा है कि पाकिस्तान नरक नहीं है, उसमें वह देशद्रोही कैसे हो गईï? अगर आप पाकिस्तान से संबंध सुधारने की खातिर बिना किसी सरकारी कार्यक्रम के शिष्टाचार के नाते नवाज शरीफ से प्यार की पीगें बढ़ाते हैं तो वह स्वीकार्य ही नहीं स्वागत योग्य है, क्योंकि वे आपकी पार्टी के नेता हैं और अगर आपकी विरोधी पार्टी की नेता ये कहे कि पाकिस्तान नरक नहीं है तो वह देशद्रोही हो गई?
मुद्दा ये है कि अगर आप वाकई अपने राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हुए पाकिस्तान को नरक बता रहे हैं तो उससे सारे संबंध विच्छेद क्यों नहीं कर लेते? क्यों द्विपक्षीय वार्ताओं के दौर चलाते हैं? और अगर आपका बयान एक निजी राय है तथा कोई अगर उससे अपनी असहमति जताता है तो वह उसका अभिव्यक्ति का वैयक्तिक अधिकार है। आप उसे छीन नहीं सकते हैं, बेशक चूंकि आप सत्ता में हैं तो उसे दंडित करवा सकते हैं, जलील कर सकते हैं।
वस्तुत: यह वक्त वक्त का फेर है। पाकिस्तान से हमारे रिश्ते बदलते रहे हैं। कभी बनते दिखाई देते हैं तो कभी पटरी से पूरी तरह से उतरते नजर आते हैं। कभी दोस्ती की प्रक्रिया शुरू होती है तो कभी एक दूसरे के देश को गाली देकर दोनों देशों के नेता अपनी अपनी जनता के सामने अपनी देशभक्ति स्थापित करना चाहते हैं। इसमें स्थायी कुछ भी नहीं है। इसका ज्वलंत उदाहरण ये है कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान के करार के तहत कभी पाकिस्तान के जायरीन अजमेर दरगाह शरीफ की जियारत करने आते हैं तो आपकी विचारधारा के नेता सरकारी जलसा करके उनका इस्तकबाल करते हैं और कभी घटना विशेष के कारण संबंधों में तनिक खटास होती है तो आप उनके अजमेर आने का विरोध करने लगते हैं।
कुल जमा बात ये है कि ताजा मसला न तो देश प्रेम का है और न ही देशद्रोह का, यह केवल और केवल राजनीतिक स्टंट है।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
8094767000
इस मसले की बारीक बात ये है कि राम्या ने ऐसे वक्त में यह बयान दिया, जबकि देश के रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर कह चुके थे कि पाकिस्तान तो नरक है। बस यहीं से विवाद शुरू होता है। बेशक पाकिस्तान हमारा दुश्मन पड़ौसी है, इस कारण उसे गाली देना सुखद लगता है, देशप्रेम नजर आता है, ऐसे में अगर आप ये कहेंगे कि वह जहन्नुम नहीं तो वह देशद्रोहिता की श्रेणी में गिना जाता है। मगर इस किस्म की देशद्रोहिता तब कहां चली जाती है, जबकि हमारे ही प्रधानमंत्री व पर्रिकर की पार्टी के नेता नरेन्द्र मोदी अफगानिस्तान से लौटते समय बिना निर्धारित कार्यक्रम के लाहौर जाकर वहां के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की माता के पैर छू आते हैं। अगर पाकिस्तान नरक है तो मोदी को वहां नहीं जाना चाहिए था। साम्या ने तो केवल इतना भर कहा है कि पाकिस्तान नरक नहीं है, उसमें वह देशद्रोही कैसे हो गईï? अगर आप पाकिस्तान से संबंध सुधारने की खातिर बिना किसी सरकारी कार्यक्रम के शिष्टाचार के नाते नवाज शरीफ से प्यार की पीगें बढ़ाते हैं तो वह स्वीकार्य ही नहीं स्वागत योग्य है, क्योंकि वे आपकी पार्टी के नेता हैं और अगर आपकी विरोधी पार्टी की नेता ये कहे कि पाकिस्तान नरक नहीं है तो वह देशद्रोही हो गई?
मुद्दा ये है कि अगर आप वाकई अपने राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते हुए पाकिस्तान को नरक बता रहे हैं तो उससे सारे संबंध विच्छेद क्यों नहीं कर लेते? क्यों द्विपक्षीय वार्ताओं के दौर चलाते हैं? और अगर आपका बयान एक निजी राय है तथा कोई अगर उससे अपनी असहमति जताता है तो वह उसका अभिव्यक्ति का वैयक्तिक अधिकार है। आप उसे छीन नहीं सकते हैं, बेशक चूंकि आप सत्ता में हैं तो उसे दंडित करवा सकते हैं, जलील कर सकते हैं।
वस्तुत: यह वक्त वक्त का फेर है। पाकिस्तान से हमारे रिश्ते बदलते रहे हैं। कभी बनते दिखाई देते हैं तो कभी पटरी से पूरी तरह से उतरते नजर आते हैं। कभी दोस्ती की प्रक्रिया शुरू होती है तो कभी एक दूसरे के देश को गाली देकर दोनों देशों के नेता अपनी अपनी जनता के सामने अपनी देशभक्ति स्थापित करना चाहते हैं। इसमें स्थायी कुछ भी नहीं है। इसका ज्वलंत उदाहरण ये है कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान के करार के तहत कभी पाकिस्तान के जायरीन अजमेर दरगाह शरीफ की जियारत करने आते हैं तो आपकी विचारधारा के नेता सरकारी जलसा करके उनका इस्तकबाल करते हैं और कभी घटना विशेष के कारण संबंधों में तनिक खटास होती है तो आप उनके अजमेर आने का विरोध करने लगते हैं।
कुल जमा बात ये है कि ताजा मसला न तो देश प्रेम का है और न ही देशद्रोह का, यह केवल और केवल राजनीतिक स्टंट है।
-तेजवानी गिरधर
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