एक ओर नए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट आगामी 10 मार्च को कांग्रेस की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी की देवली में होने वाली सभा की तैयारियों में जुटे हुए हैं, ऐसे में प्रदेश के कुछ भाजपाई गुर्जर नेताओं ने उन पर हमला बोल दिया है। उन्होंने साफ चेताया है कि गल चुकी डूबती कांग्रेस की नैया में नहीं बैठेंगे गुर्जर। वे नेता हैं सरकारी मुख्य सचेतक कालूलाल गुर्जर, भाजपा के पूर्व सांसद एवं पूर्व मंत्री नाथूसिंह गुर्जर, मंत्री हेमसिंह भड़ाना, विधायक अनिता गुर्जर, विधायक अलका सिंह गुर्जर तथा विधायक राजेन्द्र गुर्जर। दिलचस्प बात ये है कि उन्होंने जो संयुक्त बयान जारी किया है, वह प्रदेश भाजपा के लेटरहैड पर है, जबकि उसमें लिखा है कि उन्होंने ये बयान अजमेर से जारी किया है।
बयान में कहा है कि गुर्जर समाज किसी भी स्थिति में कांग्रेस की गल चुकी उस डूबती नाव में नहीं बैठेगा, जिसका खवैया सचिन पायलट जैसा कमजोर व्यक्ति हो। इन नेताओं ने सचिन को सलाह भी दी है कि वे व्यर्थ मेहनत न करें क्योंकि कांग्रेस ने तो उन्हें शहीद करने के लिए ही प्रदेशाध्यक्ष बनाया है। बयान में लिखा है कि देवली में 10 मार्च को होने वाली राहुल गांधी की रैली में गुर्जरों की भीड़ जुटाने के लिए कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट एड़ी से चोटी का जोर लगा रहे हैं, पर उन्हें इसमें सफलता नहीं मिलेगी, क्योंकि गुर्जर समाज जानता है कि न तो राहुल गांधी ने आरक्षण के मामले में गुर्जरों का साथ दिया और न ही पायलट ने कभी गुर्जरों के आरक्षण को लेकर रुचि दिखाई। पायलट केन्द्र मंत्री हैं और राहुल गांधी यूपीए सरकार ने सर्वेसर्वा, इसके बावजूद ये गुर्जर आरक्षण की पैरवी नहीं कर सके। ये चाहते तो वसुंधरा सरकार ने गुर्जरों के लिए जो 5 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला लिया था, उसे संविधान की नवीं अनुसूची में डलवा कर गुर्जरों को आरक्षण दिलवा सकते थे, क्योंकि राज्य और केन्द्र में इनके ही दल की सरकारें थीं। जब सचिन उनकी सरकार में ही गुर्जरों को आरक्षण नहीं दिलवा पाए, अब तो प्रदेश में जब भाजपा की सरकार बन गई और केन्द्र में भी भाजपा की सरकार बनने वाली है। ऐसे में पायलट उनके लिए क्या कर पायेंगे, ये गुर्जर समाज भलीभांति जानता है। इन सब नेताओं ने कहा कि कांग्रेस आरम्भ से ही गुर्जर समाज की विरोधी रही है। वसुंधरा सरकार के समय में गुर्जरों के उत्थान के लिए 283 करोड़ की देवनारायण योजना के बजट को कांग्रेस की गहलोत सरकार खर्च ही नहीं कर पाई थी और तो और कांग्रेस की गहलोत सरकार ने पूरे पांच साल निकाल दिए।
समझा जा सकता है कि इन गुर्जर नेताओं ने मौका देख कर ही सचिन पर हमला बोला है। उन्हें लगता है कि कहीं वे गुर्जरों को कांग्रेस के पक्ष में लामबंद नहीं कर लें, इस कारण उन्हें कमजोर बता रहे हैं। मगर सवाल ये उठता है कि यदि वे कमजोर हैं तो आखिर क्यों कर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए गए हैं। सवाल ये भी है कि किसी गुर्जर नेता को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठाने के बावजूद गुर्जर समाज कांग्रेस से विमुख हो जाएगा? बयान से ये भी संदेह होता है कि कहीं इन गुर्जर नेताओं को ये डर तो नहीं सता रहा कि सचिन गुर्जरों को अपने पक्ष में करने में कामयाब न हो जाएं? जिस प्रकार संयुक्त बयान जारी किया गया है, उससे तो यही लगता है कि उन्होंने भाजपा हाईकमान के इशारे पर ही ऐसा किया है, क्योंकि नमो नमो जप रहे भाजपाई नहीं चाहते कि राहुल की सभा कामयाब हो। तभी तो जयपुर में होते हुए भी अजमेर से बयान जारी किया गया है।
-तेजवानी गिरधर
बयान में कहा है कि गुर्जर समाज किसी भी स्थिति में कांग्रेस की गल चुकी उस डूबती नाव में नहीं बैठेगा, जिसका खवैया सचिन पायलट जैसा कमजोर व्यक्ति हो। इन नेताओं ने सचिन को सलाह भी दी है कि वे व्यर्थ मेहनत न करें क्योंकि कांग्रेस ने तो उन्हें शहीद करने के लिए ही प्रदेशाध्यक्ष बनाया है। बयान में लिखा है कि देवली में 10 मार्च को होने वाली राहुल गांधी की रैली में गुर्जरों की भीड़ जुटाने के लिए कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट एड़ी से चोटी का जोर लगा रहे हैं, पर उन्हें इसमें सफलता नहीं मिलेगी, क्योंकि गुर्जर समाज जानता है कि न तो राहुल गांधी ने आरक्षण के मामले में गुर्जरों का साथ दिया और न ही पायलट ने कभी गुर्जरों के आरक्षण को लेकर रुचि दिखाई। पायलट केन्द्र मंत्री हैं और राहुल गांधी यूपीए सरकार ने सर्वेसर्वा, इसके बावजूद ये गुर्जर आरक्षण की पैरवी नहीं कर सके। ये चाहते तो वसुंधरा सरकार ने गुर्जरों के लिए जो 5 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला लिया था, उसे संविधान की नवीं अनुसूची में डलवा कर गुर्जरों को आरक्षण दिलवा सकते थे, क्योंकि राज्य और केन्द्र में इनके ही दल की सरकारें थीं। जब सचिन उनकी सरकार में ही गुर्जरों को आरक्षण नहीं दिलवा पाए, अब तो प्रदेश में जब भाजपा की सरकार बन गई और केन्द्र में भी भाजपा की सरकार बनने वाली है। ऐसे में पायलट उनके लिए क्या कर पायेंगे, ये गुर्जर समाज भलीभांति जानता है। इन सब नेताओं ने कहा कि कांग्रेस आरम्भ से ही गुर्जर समाज की विरोधी रही है। वसुंधरा सरकार के समय में गुर्जरों के उत्थान के लिए 283 करोड़ की देवनारायण योजना के बजट को कांग्रेस की गहलोत सरकार खर्च ही नहीं कर पाई थी और तो और कांग्रेस की गहलोत सरकार ने पूरे पांच साल निकाल दिए।
समझा जा सकता है कि इन गुर्जर नेताओं ने मौका देख कर ही सचिन पर हमला बोला है। उन्हें लगता है कि कहीं वे गुर्जरों को कांग्रेस के पक्ष में लामबंद नहीं कर लें, इस कारण उन्हें कमजोर बता रहे हैं। मगर सवाल ये उठता है कि यदि वे कमजोर हैं तो आखिर क्यों कर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए गए हैं। सवाल ये भी है कि किसी गुर्जर नेता को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठाने के बावजूद गुर्जर समाज कांग्रेस से विमुख हो जाएगा? बयान से ये भी संदेह होता है कि कहीं इन गुर्जर नेताओं को ये डर तो नहीं सता रहा कि सचिन गुर्जरों को अपने पक्ष में करने में कामयाब न हो जाएं? जिस प्रकार संयुक्त बयान जारी किया गया है, उससे तो यही लगता है कि उन्होंने भाजपा हाईकमान के इशारे पर ही ऐसा किया है, क्योंकि नमो नमो जप रहे भाजपाई नहीं चाहते कि राहुल की सभा कामयाब हो। तभी तो जयपुर में होते हुए भी अजमेर से बयान जारी किया गया है।
-तेजवानी गिरधर