भारतीय परंपरा में माना जाता है कि घर की चौखट पर बैठने से दरिद्रता आती है। इसलिए जब भी कोई चौखट पर बैठता है तो परिवार के अन्य सदस्य उसे टोक कर वहां से उठ जाने की सलाह देते हैं। वस्तुतः चौखट पर बैठना केवल अंधविष्वास नहीं है, बल्कि इसके प्रतीकात्मक अर्थ है और व्यावहारिक पहलु भी हैं। चौखट घर की चौखट अर्थात देहरी का सीमांत स्थान होता है। यह भीतर और बाहर की ऊर्जा और सकारात्मक व नकारात्मक उर्जा का संगम बिंदु मानी जाती है। इसलिए वहां बैठना ऊर्जा के प्रवाह को रोकना माना गया है, जिससे घर में लक्ष्मी प्रवेश नहीं करती और यही बात दरिद्रता आने के रूप में कही जाती है। देवी लक्ष्मी को चौखट से घर में प्रवेश करने वाली शक्ति माना गया है। लोकमान्यता है कि चौखट पर बैठना उनके मार्ग में अवरोध डालता है, इसलिए यह अशुभ समझा गया।
व्यावहारिक दृष्टि से देखा जाए तो चौखट दरवाजे का चलन क्षेत्र होता है। वहां बैठने से आने-जाने वालों को असुविधा होती है या चोट लग सकती है। इसलिए लोगों को ऐसा न करने के लिए डराने हेतु दरिद्रता आएगी जैसी चेतावनी दी गई। मनोवैज्ञानिक दृष्टि से, यह अनुशासन और मर्यादा सिखाने का तरीका है, यानी जो व्यक्ति मर्यादा रखते हुए चौखट पर पर नहीं बैठता, उसके घर में स्थिरता और समृद्धि रहती है।
जहां तक वैज्ञानिक नजरिये का सवाल है विज्ञान के अनुसार चौखट पर बैठने और दरिद्रता के बीच कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है, परंतु स्वच्छता, आवागमन और ऊर्जा-प्रवाह की दृष्टि से चौखट को साफ, खाली और खुला रखना उचित है।