-तेजवानी गिरधर-
एक अनुमान पहले से था कि नोटबंदी व जीएसटी की नाकामी और चुनावी वादे जुमले साबित होने के बाद दुबारा सत्ता पर काबिज होने के लिए मोदी कोई न कोई खेल खेलेंगे। कुछ को आशंका इस बात की भी थी कि इसके लिए वे पाकिस्तान से छेडख़ानी भी कर सकते हैं। हालांकि पाकिस्तान के साथ मौजूदा टकराव को मोदी की सोची-समझी रणनीति कहने का न तो पर्याप्त आधार है और न ही ऐसा कहना उचित है, मगर संयोग से चुनाव से चंद माह पहले हुए घटनाक्रम की आड़ में मोदी को दुबारा प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठाने के जतन सरेआम किए जा रहे हैं, इसमें तनिक भी संदेह नहीं है।
मौजूदा संकट के वक्त विपक्ष की सदाशयता या मजबूरी ही है कि वह ऐसे मौके पर सरकार का साथ दे रहा है, मगर मोदी भक्तों ने इस अवसर का भरपूर फायदा उठाने की ठान ही ली है। एक ओर पाक के आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किए जाने पर जहां विपक्ष वायु सेना को शाबाशी दे रहा है तो वहीं भाजपा मोदी के महिमामंडन में जुट गई है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने तो साफ कहा है कि आतंकी ठिकानों को नष्ट करना यह साबित करता है कि नरेन्द्र मोदी के मजबूत और निर्णायक नेतृत्व में भारत सुरक्षित है।
पाक से टकराव के दौर में आरंभ हुए चुनाव प्रचार में इस्तेमाल किया जा रहा नारा 'मोदी है तो मुमकिन हैÓ इस बात का स्पष्ट संकेत देता है कि मोदी को फिर सत्तारूढ़ करने की खातिर उन्हें महान बनाए जाने की मुहिम छेड़ दी गई है। अमित शाह ने बिना मौका गंवाए यह ऐलान कर दिया कि पाकिस्तान को जो सरकार जवाब दे सकती है, उसी आधार पर 2019 का चुनाव लड़ा जाएगा।
एक पोस्ट देखिए:-
रात भर हमले की मोनिटरिंग, सुबह केबिनेट की मीटिंग, फिर राष्ट्रपति भवन में कार्यक्रम, फिर दिल्ली से उड़ कर चुरू में चुनावी रैली, फिर तुरन्त दिल्ली रवाना होकर मेट्रो में बेठ कर इस्कॉन मन्दिर में श्रीमद भगवद गीता का विमोचन....कब आराम, कब नाश्ता, कब लंच किया होगा? ये मानव नहीं, महामानव है। सेल्यूट मोदी जी।
मोदी को महान बताए जाने की पराकाष्ठा देखिए:-सिकंदर पुराना हो गया, अबसे जो जीता, वही नरेंदर है।
मोदी भक्ति की एक नमूना ये भी देखिए:-मोदी जी मेरे 15 लाख ब्याज सहित पाकिस्तान पर गिराए गए बमों के खर्च में एडजस्ट करके मेरा खाता जीरो कर देना। मेरा और आपका अब तक का हिसाब शून्य हो जायेगा।
एक और पोस्ट:-मैसेज फॉर राहुल गांधी
जब तू सो रहा था
चौकीदार पाकिस्तान को धो रहा था
एक और बानगी:-मोदी को अटल बिहारी वाजपेयी समझने की भूल मत करना। क्यूं की ये टेढ़ी ऊंगली से घी ही नहीं निकालता, डब्बा ही गरम कर देता है।
इस पोस्ट में तो सरासर चुनावी लाभ लेने का प्रयास नजर आता है:-
इसका बटन आपने ही 2014 में दबाया था।
2019 में भी वही बटन दबाना मत भूलना।
क्या इसे भारतीय वायु सेना की शौर्यगाथा का राजनीतिकरण करने का प्रयास नहीं माना जाना चाहिए। चुनाव तक अगर यही मुद्दा प्रमुख रूप से चर्चा में रहता है तो निश्चित तौर पर बीजेपी इसका फायदा उठाने में कामयाब हो सकती है। सोशल मीडिया पर चल रही यह पोस्ट कि सिर्फ आतंकी नहीं मरे हैं, कुछ की प्रधानमंत्री बनने की उम्मीदें भी मर गई हैं, यह साफ इंगित करता है कि इस मौके का भाजपा भरपूर फायदा उठाने जा रही है। इसी कड़ी में यह पोस्ट भी आपकी नजर आई होगी-
केवल मोदी को महान ही नहीं बताया जा रहा, अपितु विरोधियों को पाक परस्त बता कर कड़े तंज भी कसे जा रहे हैं। आतंकियों से पहले उनसे निपटने की अपीलें की जा रही हैं। ये पोस्टें देखिए:-
भाजपा को वोट देना मतलब सेना को एक बुलेट प्रूफ जैकेट देना। कांग्रेस को वोट देना मतलब आतंकवादी को ए के-47 देना। फैसला आपका।
गद्दारों की छाती पर एक चोट मैं भी दूंगा। आने वाले चुनाव में फिर से मोदी जी को वोट दूंगा।
साला, आज ऐसा फील हो रहा है, जैसे 2019 का लोकसभा चुनाव, कांग्रेस एडवांस में हार गई।
मोदीजी का सीना अब इंचों में नहीं, बीघा में नापा जाएगा।
बदला-बदला बोलने वाले कांग्रेसियों की एक भी पोस्ट नहीं आ रही। अरे भाई ये हमला पाकिस्तान पर हुआ है तुम पर नहीं।
जाहिर तौर पर विपक्ष को लगने लगा कि मोदी ताजा हालात का चुनाव में फायदा उठाने जा रहे हैं तो उसका काउंटर देने के लिए इस किस्म की पोस्ट सामने आई:-
इससे पहले की पायलट की वापसी का पूरा श्रेय एक व्यक्ति को दिया जाए, भक्त मीडिया 70 साल के भारत के शौर्य को शून्य करके आप को उस काल में ले जाये कि जो हो रहा है, पहली बार हो रहा है, आपकी जानकारी के लिये बता दूं कि 1971 में हमारे पायलट को पाकिस्तान ने भारत के दबाब में छोड़ा, तब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं और 1999 में पायलट नचिकेता को छोड़ा, तब प्रधानमंत्री पंडित अटल बिहारी वाजपेयी थे।
एक ओर जहां पहली सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगे जाने का मुद्दे पर सत्ता पक्ष लगातार विपक्ष को उलाहने देता जा रहा है, वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो बीबीसी के हवाले वे बालाकोट में तीन-चार सौ आतंकियों के मारे पर संदेह जाहिर करने लगे हैं।
कुल मिला कर एक ओर जहां विपक्ष को साथ लेकर सरकार पाक से मुकाबला कर रही है, वहीं देशभर में बयान युद्ध छिड़ा हुआ है। मामले का राजीतिकरण नहीं किए जाने की लाख दुहाइयां दी जाएं, मगर सच ये है कि सारे के सारे देशभक्त आपस में तलवारें भांज रहे हैं। इसका असर स्वाभाविक तौर पर आगामी चुनाव में पड़ता दिखाई दे रहा है।
एक अनुमान पहले से था कि नोटबंदी व जीएसटी की नाकामी और चुनावी वादे जुमले साबित होने के बाद दुबारा सत्ता पर काबिज होने के लिए मोदी कोई न कोई खेल खेलेंगे। कुछ को आशंका इस बात की भी थी कि इसके लिए वे पाकिस्तान से छेडख़ानी भी कर सकते हैं। हालांकि पाकिस्तान के साथ मौजूदा टकराव को मोदी की सोची-समझी रणनीति कहने का न तो पर्याप्त आधार है और न ही ऐसा कहना उचित है, मगर संयोग से चुनाव से चंद माह पहले हुए घटनाक्रम की आड़ में मोदी को दुबारा प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठाने के जतन सरेआम किए जा रहे हैं, इसमें तनिक भी संदेह नहीं है।
मौजूदा संकट के वक्त विपक्ष की सदाशयता या मजबूरी ही है कि वह ऐसे मौके पर सरकार का साथ दे रहा है, मगर मोदी भक्तों ने इस अवसर का भरपूर फायदा उठाने की ठान ही ली है। एक ओर पाक के आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किए जाने पर जहां विपक्ष वायु सेना को शाबाशी दे रहा है तो वहीं भाजपा मोदी के महिमामंडन में जुट गई है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने तो साफ कहा है कि आतंकी ठिकानों को नष्ट करना यह साबित करता है कि नरेन्द्र मोदी के मजबूत और निर्णायक नेतृत्व में भारत सुरक्षित है।
पाक से टकराव के दौर में आरंभ हुए चुनाव प्रचार में इस्तेमाल किया जा रहा नारा 'मोदी है तो मुमकिन हैÓ इस बात का स्पष्ट संकेत देता है कि मोदी को फिर सत्तारूढ़ करने की खातिर उन्हें महान बनाए जाने की मुहिम छेड़ दी गई है। अमित शाह ने बिना मौका गंवाए यह ऐलान कर दिया कि पाकिस्तान को जो सरकार जवाब दे सकती है, उसी आधार पर 2019 का चुनाव लड़ा जाएगा।
एक पोस्ट देखिए:-
रात भर हमले की मोनिटरिंग, सुबह केबिनेट की मीटिंग, फिर राष्ट्रपति भवन में कार्यक्रम, फिर दिल्ली से उड़ कर चुरू में चुनावी रैली, फिर तुरन्त दिल्ली रवाना होकर मेट्रो में बेठ कर इस्कॉन मन्दिर में श्रीमद भगवद गीता का विमोचन....कब आराम, कब नाश्ता, कब लंच किया होगा? ये मानव नहीं, महामानव है। सेल्यूट मोदी जी।
मोदी को महान बताए जाने की पराकाष्ठा देखिए:-सिकंदर पुराना हो गया, अबसे जो जीता, वही नरेंदर है।
मोदी भक्ति की एक नमूना ये भी देखिए:-मोदी जी मेरे 15 लाख ब्याज सहित पाकिस्तान पर गिराए गए बमों के खर्च में एडजस्ट करके मेरा खाता जीरो कर देना। मेरा और आपका अब तक का हिसाब शून्य हो जायेगा।
एक और पोस्ट:-मैसेज फॉर राहुल गांधी
जब तू सो रहा था
चौकीदार पाकिस्तान को धो रहा था
एक और बानगी:-मोदी को अटल बिहारी वाजपेयी समझने की भूल मत करना। क्यूं की ये टेढ़ी ऊंगली से घी ही नहीं निकालता, डब्बा ही गरम कर देता है।
इस पोस्ट में तो सरासर चुनावी लाभ लेने का प्रयास नजर आता है:-
इसका बटन आपने ही 2014 में दबाया था।
2019 में भी वही बटन दबाना मत भूलना।
क्या इसे भारतीय वायु सेना की शौर्यगाथा का राजनीतिकरण करने का प्रयास नहीं माना जाना चाहिए। चुनाव तक अगर यही मुद्दा प्रमुख रूप से चर्चा में रहता है तो निश्चित तौर पर बीजेपी इसका फायदा उठाने में कामयाब हो सकती है। सोशल मीडिया पर चल रही यह पोस्ट कि सिर्फ आतंकी नहीं मरे हैं, कुछ की प्रधानमंत्री बनने की उम्मीदें भी मर गई हैं, यह साफ इंगित करता है कि इस मौके का भाजपा भरपूर फायदा उठाने जा रही है। इसी कड़ी में यह पोस्ट भी आपकी नजर आई होगी-
केवल मोदी को महान ही नहीं बताया जा रहा, अपितु विरोधियों को पाक परस्त बता कर कड़े तंज भी कसे जा रहे हैं। आतंकियों से पहले उनसे निपटने की अपीलें की जा रही हैं। ये पोस्टें देखिए:-
भाजपा को वोट देना मतलब सेना को एक बुलेट प्रूफ जैकेट देना। कांग्रेस को वोट देना मतलब आतंकवादी को ए के-47 देना। फैसला आपका।
गद्दारों की छाती पर एक चोट मैं भी दूंगा। आने वाले चुनाव में फिर से मोदी जी को वोट दूंगा।
साला, आज ऐसा फील हो रहा है, जैसे 2019 का लोकसभा चुनाव, कांग्रेस एडवांस में हार गई।
मोदीजी का सीना अब इंचों में नहीं, बीघा में नापा जाएगा।
बदला-बदला बोलने वाले कांग्रेसियों की एक भी पोस्ट नहीं आ रही। अरे भाई ये हमला पाकिस्तान पर हुआ है तुम पर नहीं।
जाहिर तौर पर विपक्ष को लगने लगा कि मोदी ताजा हालात का चुनाव में फायदा उठाने जा रहे हैं तो उसका काउंटर देने के लिए इस किस्म की पोस्ट सामने आई:-
इससे पहले की पायलट की वापसी का पूरा श्रेय एक व्यक्ति को दिया जाए, भक्त मीडिया 70 साल के भारत के शौर्य को शून्य करके आप को उस काल में ले जाये कि जो हो रहा है, पहली बार हो रहा है, आपकी जानकारी के लिये बता दूं कि 1971 में हमारे पायलट को पाकिस्तान ने भारत के दबाब में छोड़ा, तब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं और 1999 में पायलट नचिकेता को छोड़ा, तब प्रधानमंत्री पंडित अटल बिहारी वाजपेयी थे।
एक ओर जहां पहली सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगे जाने का मुद्दे पर सत्ता पक्ष लगातार विपक्ष को उलाहने देता जा रहा है, वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो बीबीसी के हवाले वे बालाकोट में तीन-चार सौ आतंकियों के मारे पर संदेह जाहिर करने लगे हैं।
कुल मिला कर एक ओर जहां विपक्ष को साथ लेकर सरकार पाक से मुकाबला कर रही है, वहीं देशभर में बयान युद्ध छिड़ा हुआ है। मामले का राजीतिकरण नहीं किए जाने की लाख दुहाइयां दी जाएं, मगर सच ये है कि सारे के सारे देशभक्त आपस में तलवारें भांज रहे हैं। इसका असर स्वाभाविक तौर पर आगामी चुनाव में पड़ता दिखाई दे रहा है।