केन्द्रीय जलदाय राज्य मंत्री प्रो. सांवरलाल जाट को मंत्रीमंडल से हटाने का गुस्सा तो अपनी जगह है ही, मगर जन समस्याओं को लेकर जिस प्रकार भाजपा कार्यकर्ताओं ने असंतोष जाहिर किया है, वह साफ इंगित करता है कि खुद भाजपाई ही अपनी सरकार के कामकाज से खुश नहीं हैं। सच तो ये है कि वे मन ही मन जान रहे हैं कि यदि यही हालात रहे तो आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता पर कब्जा बरकरार रखना बहुत मुश्किल हो जाएगा।
भले ही पार्टी की अधिकृत विज्ञप्ति में यह कहा गया है कि संगठन व सरकार के कार्यों की समीक्षा सहित जिलों की बूथ समितियों के सम्मेलन सम्पन्न कराकर बूथ इकाइयों के सुदृढ़ीकरण के लिए अजमेर आये मंत्रियों व प्रदेष पदाधिकारियों के समूह के निर्धारित सभी कार्यक्रम सफल व उद्देश्यपूर्ण रहे, मगर सच्चाई ये है कि इस दौरान कार्यकर्ताओं का गुस्सा जिस तरह फूटा, वह स्वत: साबित करता है कि वे पूरी तरह से असंतुष्ट हैं। भले ही चिकित्सा मंत्री राजेंद्र सिंह राठौड़ कहें कि कार्यकर्ता सरकार से नाराज नहीं हैं, वे तो सहज भाव से अपनी बात रख रहे हैं, मगर भाजपा जैसी अनुशासित पार्टी में जिस तरीके से कार्यकर्ताओं ने अपनी बात रखी है, वह पार्टी हाईकमान के लिए चिंता का विषय है।
उन्होंने कहा कि अजमेर में कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह देखा गया। दो दिन में दस हजार से अधिक कार्यकर्ता सम्मेलन में शामिल हुए। उन्हें सरकार की योजनाओं की जानकारी के बारे में बताया गया। साथ ही इन से संबंधित कमियों अन्य समस्याओं के बारे में सुना गया। बैठक के दौरान जो भी सुझाव आए हैं, उनसे मुख्यमंत्री राजे को अवगत कराएंगे। दो दिन के भीतर उन्हें स्थानीय स्तर पर व्यावहारिक कठिनाइयों की जानकारी मिली है, जिन्हें दूर किया जाएगा। सरकार का यह अभियान 13 अगस्त को समाप्त हो जाएगा।
कार्यकर्ताओं के गिले-शिकवे, समस्याओं और उनके मन की बात जानने के साथ भाजपा का दो दिवसीय बूथ स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन शुक्रवार को संपन्न हुआ। इसमें संदेश दिया गया कि कार्यकर्ता और पदाधिकारियों से हुए सीधे संवाद में समस्या और सुझाव समझ लिए गए हैं, अब यह सब मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को बताएंगे। मंत्रियों ने वैशाली नगर स्थित होटल में जनसंघ के पूर्व कार्यकर्ता, पूर्व विधायक, सांसद, पूर्व वर्तमान पदाधिकारियों की बैठक ली। जनसंघ के पूर्व पदाधिकारियों का सम्मान किया गया। संगठन पदाधिकारियों से फीडबैक लिया। बैठक में प्रदेश मंत्री अशोक लोहाटी, शहर जिलाध्यक्ष अरविंद यादव, देहात जिलाध्यक्ष बीपी सारस्वत, महामंत्री जयकिशन पारवानी, महामंत्री रमेश सोनी, उपाध्यक्ष सोमरत्न आर्य सतीश बंसल, रविंद्र जसोरिया, संजय खंडेलवाल सहित वरिष्ठ कार्यकर्ता उपस्थित थे।
लब्बोलुआब पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं का एक कविता के माध्यम से ये कहना कि सरकार की अधिकारियों को परवाह नहीं, क्योंकि कार्यकर्ता की हिम्मत नहीं.., संगठन को फुर्सत नहीं, जनप्रतिनिधियों को जरूरत नहीं.., इसलिए अधिकारियों को सरकार की परवाह नहीं..., इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि सत्ता और संगठन में तालमेल का पूरी तरह से अभाव है। किसी सत्तारूढ़ पार्टी का कार्यकर्ता ही ये कहने लगे कि मंत्रियों और विधायकों के पास समय नहीं है, जनता को सरकार की योजनाओं का फायदा नहीं मिल पा रहा है और अधिकारी ही सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं को विफल करने में लगे हैं, तो समझा जा सकता है कि वे अंदर से कितने दुखी हैं। जाहिर सी बात है कि आम जनता के बीच तो इन्हीं कार्यकर्ताओं को वोट मांगने जाना होता है। भला वे जनता को क्या जवाब दें।
यह कम अफसोसनाक नहीं भाजपा नेता कार्यकर्ताओं से यह कह कर पल्लू झाड़ रहे हैं कि राष्ट्रहित सर्वोपरि होना चाहिए, पहले राष्ट्र के बारे में, फिर संगठन और उसके बाद स्वयं के बारे में सोचना चाहिए। कार्यकर्ताओं ने तो अपना सिर ही धुन लिया होगा कि क्या हमने पार्टी के लिए इसलिए खून पसीना बहाया कि हमें खुद को भूल कर राष्ट्रहित की चिंता की सीख दी जाएगी।
बहरहाल, पार्टी की इस कवायद का क्या लाभ होगा, क्या कदम उठाए जाएंगे, मगर इतना तय है कि पार्टी के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
8094767000
भले ही पार्टी की अधिकृत विज्ञप्ति में यह कहा गया है कि संगठन व सरकार के कार्यों की समीक्षा सहित जिलों की बूथ समितियों के सम्मेलन सम्पन्न कराकर बूथ इकाइयों के सुदृढ़ीकरण के लिए अजमेर आये मंत्रियों व प्रदेष पदाधिकारियों के समूह के निर्धारित सभी कार्यक्रम सफल व उद्देश्यपूर्ण रहे, मगर सच्चाई ये है कि इस दौरान कार्यकर्ताओं का गुस्सा जिस तरह फूटा, वह स्वत: साबित करता है कि वे पूरी तरह से असंतुष्ट हैं। भले ही चिकित्सा मंत्री राजेंद्र सिंह राठौड़ कहें कि कार्यकर्ता सरकार से नाराज नहीं हैं, वे तो सहज भाव से अपनी बात रख रहे हैं, मगर भाजपा जैसी अनुशासित पार्टी में जिस तरीके से कार्यकर्ताओं ने अपनी बात रखी है, वह पार्टी हाईकमान के लिए चिंता का विषय है।
उन्होंने कहा कि अजमेर में कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह देखा गया। दो दिन में दस हजार से अधिक कार्यकर्ता सम्मेलन में शामिल हुए। उन्हें सरकार की योजनाओं की जानकारी के बारे में बताया गया। साथ ही इन से संबंधित कमियों अन्य समस्याओं के बारे में सुना गया। बैठक के दौरान जो भी सुझाव आए हैं, उनसे मुख्यमंत्री राजे को अवगत कराएंगे। दो दिन के भीतर उन्हें स्थानीय स्तर पर व्यावहारिक कठिनाइयों की जानकारी मिली है, जिन्हें दूर किया जाएगा। सरकार का यह अभियान 13 अगस्त को समाप्त हो जाएगा।
कार्यकर्ताओं के गिले-शिकवे, समस्याओं और उनके मन की बात जानने के साथ भाजपा का दो दिवसीय बूथ स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन शुक्रवार को संपन्न हुआ। इसमें संदेश दिया गया कि कार्यकर्ता और पदाधिकारियों से हुए सीधे संवाद में समस्या और सुझाव समझ लिए गए हैं, अब यह सब मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को बताएंगे। मंत्रियों ने वैशाली नगर स्थित होटल में जनसंघ के पूर्व कार्यकर्ता, पूर्व विधायक, सांसद, पूर्व वर्तमान पदाधिकारियों की बैठक ली। जनसंघ के पूर्व पदाधिकारियों का सम्मान किया गया। संगठन पदाधिकारियों से फीडबैक लिया। बैठक में प्रदेश मंत्री अशोक लोहाटी, शहर जिलाध्यक्ष अरविंद यादव, देहात जिलाध्यक्ष बीपी सारस्वत, महामंत्री जयकिशन पारवानी, महामंत्री रमेश सोनी, उपाध्यक्ष सोमरत्न आर्य सतीश बंसल, रविंद्र जसोरिया, संजय खंडेलवाल सहित वरिष्ठ कार्यकर्ता उपस्थित थे।
लब्बोलुआब पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं का एक कविता के माध्यम से ये कहना कि सरकार की अधिकारियों को परवाह नहीं, क्योंकि कार्यकर्ता की हिम्मत नहीं.., संगठन को फुर्सत नहीं, जनप्रतिनिधियों को जरूरत नहीं.., इसलिए अधिकारियों को सरकार की परवाह नहीं..., इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि सत्ता और संगठन में तालमेल का पूरी तरह से अभाव है। किसी सत्तारूढ़ पार्टी का कार्यकर्ता ही ये कहने लगे कि मंत्रियों और विधायकों के पास समय नहीं है, जनता को सरकार की योजनाओं का फायदा नहीं मिल पा रहा है और अधिकारी ही सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं को विफल करने में लगे हैं, तो समझा जा सकता है कि वे अंदर से कितने दुखी हैं। जाहिर सी बात है कि आम जनता के बीच तो इन्हीं कार्यकर्ताओं को वोट मांगने जाना होता है। भला वे जनता को क्या जवाब दें।
यह कम अफसोसनाक नहीं भाजपा नेता कार्यकर्ताओं से यह कह कर पल्लू झाड़ रहे हैं कि राष्ट्रहित सर्वोपरि होना चाहिए, पहले राष्ट्र के बारे में, फिर संगठन और उसके बाद स्वयं के बारे में सोचना चाहिए। कार्यकर्ताओं ने तो अपना सिर ही धुन लिया होगा कि क्या हमने पार्टी के लिए इसलिए खून पसीना बहाया कि हमें खुद को भूल कर राष्ट्रहित की चिंता की सीख दी जाएगी।
बहरहाल, पार्टी की इस कवायद का क्या लाभ होगा, क्या कदम उठाए जाएंगे, मगर इतना तय है कि पार्टी के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
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