राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्रीमती वसुंधरा राजे अपनी सुराज संकल्प यात्रा के दौरान एक ओर जहां कांग्रेस, राज्य सरकार व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर तीखे प्रहार कर रही हैं, वहीं आम लोगों का दिल जीतने के लिए अपना हाई प्रोफाइल रूप त्याग कर लो प्रोफाइल शख्सियत को भी उभार रही हैं। इस यात्रा के दौरान उन्हें देखने, सुनने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ रहा है, जो कि उनके प्रति लोगों में मौजूद क्रेज को उजागर करता है। कदाचित अपने प्रति आम लोगों की चाहत को वे गहराई से समझ रही हैं, और इसी कारण उनसे नजदीकी का कोई भी मौका नहीं चूकना चाहतीं। इसी सिलसिले में वे सारे सुरक्षा इंतजामों को दरकिनार करते हुए आदिवासी महिलाओं से इस प्रकार घुल मिल गईं, मानों वे उनकी सहेलियां हों। इससे भी एक कदम आगे बढ़ कर उन्होंने एक कार्यकर्ता के इस आग्रह को भी स्वीकार कर लिया कि वे उसकी मोटर साइकिल पर बैठें।
हुआ यूं कि डूंगरपुर जिले के बीजामाता मोड़़ से बीजामाता मंदिर तक रथ से जाने का मार्ग नहीं था। जैसे ही श्रीमती राजे रथ से नीचे उतर कर उनकी कार में बैठने लगी तो एक कार्यकर्ता ने कहा मेरी इच्छा है कि मैं अपनी मोटर साईकिल से आपको बीजामाता मंदिर तक ले जाऊं, फिर क्या था, श्रीमती राजे बैठ गई कार्यकर्ता शंकर मीणा की मोटरसाइकिल पर। और पहुंच गई बीजामाता मंदिर। जहां उन्होंने दर्शन और पूजा-अर्चना की। उनकी इस सहजता को देख कर वहां मौजूद लोग अभिभूत हो गए।
ऐसा प्रतीत होता है कि इस बार वे सत्ता में लौटने के लिए कोई कोर कसर बाकी नहीं छोडऩा चाहतीं। स्वाभाविक भी है, यदि ये मौका चूकीं तो उनके राजनीतिक कैरियर पर बे्रक लग जाएगा, कम से कम राजस्थान में, क्योंकि उनकी जिद के आगे झुक कर ही हाईकमान ने उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट किया है।