अजमेर में भाजपा की बैठक में मौजूद किरीट सोमैया |
ज्ञातव्य है कि हाल ही जब भाजपा ने मोदी को प्रचार अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने अपनी पार्टी जदयू को यही सोच कर अलग कर लिया कि भाजपा भले ही अभी मोदी को प्रधानमंत्री पद का दावेदार घोषित नहीं कर रही है, मगर करेगी वही। इस पर भाजपा ने बिहार की जनता की हमदर्दी जीतने के लिए गठबंधन तोडऩे का जिम्मेदार नीतिश को ठहरा दिया। साथ ही यह भी कहा कि हमने तो मोदी को केवल प्रचार अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया है। नीतिश को तो गठबंधन तोडऩा है, इस कारण बहाना तलाश रहे थे। भाजपा के सारे प्रवक्ता चिल्ला-चिल्ला कर कह रहे हैं कि भाजपा ने अभी प्रधानमंत्री पद के दावेदार की घोषणा नहीं की है। अव्वल तो भाजपा ने अभी इस पर विचार ही नहीं किया है। हालांकि भाजपा की इस दोमुंही बात की असलियत सभी जानते हैं। वह लाख मना करे, मगर सब को पता है कि भाजपा क्या करने वाली है। जनता को तो तब से पता है, जब से मोदी के गुजराज का तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने पर उन्हें दूल्हा बना कर घूम रही है। भाजपा इस प्रकार का दोमुंहापन संघ के मामले में वर्षों से स्थापित है। वह बार-बार कहती रही है कि संघ का भाजपा के संगठनात्मक मामलों में कोई दखल नहीं है, जबकि असलियत क्या है, ये सब जानते हैं। इसकी पोल भी पिछले दिनों तब खुल गई, जब आडवाणी को इस्तीफा वापस लेने के लिए मनाने की खातिर संघ प्रमुख मोहन भागवत को हस्तक्षेप करना पड़ा और इसकी पुष्टि खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कर दी।
खैर, ताजा मामले में भले ही पूरी भाजपा मोदी का पत्ता खोलने को तैयार नहीं है, मगर किरीट सोमैया ने तो पत्ता खोल ही दिया है। अब ये आप पर है कि आप भाजपा के बड़े नेताओं पर यकीन करते हैं या फिर सोमैया पर। हां, इतना तय है कि अगर आप भाजपा के किसी बड़े नेता से बात करेंगे तो वह यही कह कर पल्लू झाडऩे की कोशिश करेगा कि वह सोमैया की निजी राय या मोदी के प्रति श्रद्धा हो सकती है।
-तेजवानी गिरधर