प्राकृतिक रूप से नष्ट होने वाली सामग्री जैसे फूल, पत्ते, माला, बेलपत्र, दूर्वा, आदि अपने घर के बगीचे या पौधों की जड़ में दबा सकते हैं। या किसी कम्पोस्ट पिट यादि खाद गड्ढे में डालें। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और प्रदूषण नहीं होता। अविघटनीय या हानिकारक वस्तुएं जैसे प्लास्टिक, थर्मोकोल, पॉलिथीन, कपड़ा, रंगीन मूर्तियां आदि को झील व तालाब में नहीं डालना चाहिए। उन्हें नगर निगम के सूखे कचरे वाले पात्र में डालना चाहिए। मिट्टी या गोबर की मूर्तियां घर के पौधों के पास या बगीचे की मिट्टी में विसर्जित कर सकते हैं। रासायनिक रंगों वाली मूर्तियां नगर निगम द्वारा तय निर्धारित विसर्जन टैंक या कृत्रिम कुंड में ही डालनी चाहिए। घी, तेल, अगरबत्ती, कपड़ा, राख, रौली, सिंदूर, चावल आदि जैविक हैं, इन्हें मिट्टी में दबाया जा सकता है। राख को पेड़ की जड़ में विसर्जित किया जा सकता है।
तीसरी आंख
बुधवार, नवंबर 05, 2025
उपयोग में ली हुई पूजन सामग्री का विसर्जन कहां करना चाहिए?
पिछले दिनो पाया गया कि अनेक स्थानों पर पूजन सामग्री फैंकी हुई है, विशेष रूप से आनासागर में, पीपल के पेडों के पास और हैंडपंपों के निकट। क्या आपको ख्याल में है कि लोग इन स्थानों पर पूजन सामग्री क्यों डालते हैं? असल में हमारी धार्मिक मान्यता है कि पूजा के बाद सामग्री अथवा खंडित मूर्ति व देवी-देवताओं के फटे हुए चित्रों को नदी में विसर्जन करना चाहिए। जहां नदी नहीं है, वहां लोग पानी के कुंड, कुएं या तालाब में पूजन सामग्री विसर्जित करते हैं। इसी प्रकार हैंड पंप को भी जल का स्थान मानते हुए उसके पास पूजन सामग्री डाली जाती है। एक धार्मिक मान्यता यह भी है कि पूजन सामग्री पीपल अथवा किसी पेड के नीचे डाली जा सकती है। इसी वजह से लोग पूजन सामग्री का विसर्जन इन जगहों पर करते हैं। हालांकि आनासागर में पूजन सामग्री अथवा मूर्तियों का विसर्जन करने की मनाही है, मगर लोग चुपके से विसर्जित कर ही देते हैं, जिससे आनासागर प्रदूषित होता है। आप देखिए कि जिस पूजा सामग्री को हम बहुत श्रद्धा से उपयोग करते हैं, उपयोग के बाद उसे हैंडपंप व पीपल के पेड के नीचे फैंक आते हैं। अब सवाल उठता है कि उपयोग में ली गई पूजन सामग्री का विसर्जन कैसे की जाए?
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