तीसरी आंख

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गुरुवार, जनवरी 09, 2025

क्यों जरूरी है इष्ट देवता?

यह सर्वविदित है कि इस्लाम एकेश्वरवाद के तहत केवल खुदा में ही यकीन रखता है। हिंदू दर्शन में भी एके साधे, सब सधे की मान्यता है, मगर बहुदेववाद चलन में है। हिंदू मान्यता के अनुसार देवी-देवता तैंतीस करोड़ हैं। कुछ मानते हैं कि देवी-देवता तैंतीस करोड नहीं बल्कि तैंतीस कोटि अर्थात प्रकार के हैं। उनमें वे प्रचलित देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना किया करते हैं। भगवान श्रीकृष्ण, भगवान राम, विष्णु, ब्रह्मा, महेश के अतिरिक्त दुर्गा, सरस्वती, हनुमान, गणेश सहित अनेक देवी-देवताओं के साथ लोक देवता यथा बाबा रामदेव, तेजाजी महाराज, भैरों जी महाराज आदि की आराधना की जाती है। इसी प्रकार ग्राम देवता, कुल देवता भी होते हैं। जिस देवी-देवता के प्रति निजी आस्था होती है, उसे इष्ट देवता कहते हैं।

इष्ट देवता क्या है, हमारा इष्ट देवता कौन होना चाहिए, इस विषय पर चर्चा से पहले एक प्रचलित कहानी की बात करते हैं। कहते हैं कि एक बार एक नाव में एक हिंदू व एक मुसलमान सवार थे। अचानक तूफान आया। दोनों अपने-अपने भगवान को याद करने लगे। मुसलमान ने केवल खुदा को ही याद किया, तो वह बच गया। हिंदू ने कभी हनुमान जी को याद किया तो कभी दुर्गा मां को पुकारा, कभी गणेश जी का स्मरण किया तो कभी श्रीकृष्ण को और वह डूब गया। यह कहानी मूलतः हिंदू धर्म पर नहीं, बल्कि बहुदेववाद पर तंज कसती है। कहानी का प्रयोजन ये है कि सफलता के लिए एकनिष्ट होना चाहिए। एकनिष्ट होने से एकाग्रता बढ़ती है, जबकि भिन्न देवी-देवताओं को एक साथ इष्टदेव मान लेने से एकाग्रता भंग होती है। भले ही कोई देवी या देवता सर्वशक्तिमान भगवान या ईश्वर नहीं हैं, मगर वे भगवान की ही शक्ति से संचालित हैं। देवता भिन्न-भिन्न हैं और उनकी प्रकृति भी अलग-अलग है, मगर उनमें मौजूद शक्ति एक ही है। जैसे दीपक, मोमबत्ती, चूल्हा, यज्ञ आदि में स्थित अग्रि एक ही है। भिन्न-भिन्न देवी-देवता की आराधना का अलग-अलग फल है, मगर मनुष्य को इष्ट देव का सर्व प्रथम व सर्वाधिक ध्यान करना चाहिए। जब भी विपत्ति आए तो केवल इष्ट देव का ही ध्यान करना चाहिए। जैसे कहते हैं न कि जीवन में गुरु होना जरूरी है, वैसे ही इष्ट भी उतना ही जरूरी है।

वस्तुतः हर इंसान किसी एक देवी या देवता की ओर सबसे ज्यादा आकर्षित होता है और वही देवी या देवता उसका इष्ट देव होता है। कुछ लोग इष्ट देव या देवी का निर्धारण कुंडली में अंकित जन्म नक्षत्र के आधार पर करते हैं, जबकि कुछ की मान्यता ये है कि इष्ट देव का संबंध ग्रह-नक्षत्रों से नहीं होता। वे मानते हैं कि इष्ट देव पिछले जन्मों के संस्कारों से तय होता है। वस्तुत जो देव स्वतः पसंद हो, वही इष्ट देव होता है। इस बारे में ज्योतिष कहता है कि आपका जन्म जिस नक्षत्र में होता है, उसी के देवता आपको आकर्षित करते हैं।

जो लोग मानते हैं कि ज्योतिष हमारे इष्ट देव का निर्धारण करता है, उनके अनुसार आप अपनी जन्म तारीख, जन्म दिन, बोलते नाम की राशि या अपनी जन्म कुंडली की लग्न राशि के अनुसार जान सकते हैं। जिनका जन्म जनवरी या नवंबर माह में हुआ हो वे शिव या गणेश की पूजा करें। फरवरी में जन्मे शिव की उपासना करें। मार्च व दिसंबर में जन्मे व्यक्ति विष्णु की साधना करें। अप्रेल, सितंबर, अक्टूबर में जन्मे व्यक्ति गणेशजी की पूजा करें। मई व जून माह में जन्मे व्यक्ति मां भगवती की पूजा करें। जुलाई माह में जन्मे व्यक्ति विष्णु व गणेश का घ्यान करें।

जिनको वार का पता हो, परंतु समय का पता न हो, तो वार के अनुसार इष्ट देव इस प्रकार होंगे- रविवार- विष्णु, सोमवार- शिवजी, मंगलवार- हनुमान जी, बुधवार- गणेश जी, गुरुवार- शिव जी, शुक्रवार- देवी, शनिवार- भैरव जी।

जिनको जन्म समय ज्ञात हो, उनके लिए जन्म कुंडली के पंचम स्थान से पूर्व जन्म के संचित कर्म, ज्ञान, बुद्धि, शिक्षा, धर्म व इष्ट का बोध होता है। अरुण संहिता के अनुसार व्यक्ति के पूर्व जन्म में किए गए कर्म के आधार पर ग्रह या देवता भाव विशेष में स्थित होकर अपना शुभाशुभ फल देते हैं। पंचम स्थान में स्थित ग्रहों या ग्रह की दृष्टि के आधार पर आपके इष्ट देव तय होते हैं। सूर्य- विष्णु, चंद्रमा- राधा, पार्वती, शिव, दुर्गा, मंगल- हनुमानजी, कार्तिकेय, बुध- गणेश, विष्णु, गुरू- शिव, शुक्र- लक्ष्मी, तारा, सरस्वती। शनि- भैरव, काली।

जन्मकुंडली के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति के इष्ट देवी या देवता निश्चित होते हैं। यदि उन्हें जान लिया जाए तो कितने भी प्रतिकूल ग्रह हो, आसानी से उनके दुष्प्रभावों से रक्षा की जा सकती है। 

लग्न के अतिरिक्त पंचम व नवम भाव के स्वामी ग्रहों के अनुसार देवी-देवताओं का ध्यान पूजन भी सुख-सौहार्द्र बढ़ाने वाला होता है। इष्ट देव की पूजा करने के साथ रोज एक या दो माला मंत्र जाप करना चमत्कारिक फल दे सकता है और आपकी संकटों से रक्षा कर सकता है।

https://www.youtube.com/watch?v=giIW26A2cA4&t=29s 

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