तीसरी आंख

जिसे वह सब दिखाई देता है, जो सामान्य आंखों से नहीं दिखाई देता है

रविवार, जनवरी 22, 2017

सफाई क्यों देनी पड़ी मनमोहन वैद्य को?

संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने आखिर खुद ही सफाई देते हुए कहा है कि संघ आरक्षण के खिलाफ नहीं है, मगर ये सवाल तो सवाल ही बना रह गया कि आखिर उनके बयान पर विवाद हुआ ही क्यों कर? क्या मीडिया ने उनके पहले दिए बयान को समझने में गलती की? क्या वे अपने पहले दिए बयान में बात ठीक से कह नहीं पाए, इस कारण मीडिया ने ये अर्थ निकाला कि संघ आरक्षण के खिलाफ है? या फिर मीडिया ने जानबूझकर उनके बयान का गलत अर्थ निकाल कर विवाद पैदा किया, जैसा कि कुछ संघनिष्ठ लोग मान रहे हैं?
यह बात ठीक है कि वैद्य ने बाद में जो बयान दिया है, उसमें उन्होंने अपनी बात को तफसील से समझाया है कि संघ आरक्षण का पक्षधर है। इसकी वजह ये बताई है कि चूंकि एक वर्ग सामाजिक भेदभाव की वजह से पिछड़ा हुआ है, उसे आरक्षण की जरूरत महसूस की गई और चूंकि सामाजिक भेदभाव अब भी जारी है, इस कारण आरक्षण भी जारी रहना चाहिए।
अब जरा उनके पहले दिए बयान पर गौर करें तो उसमें उनका कहना था कि आरक्षण को खत्म करना चाहिए और इसकी जगह ऐसी व्यवस्था लाने की जरूरत है, जिसमें सबको समान अवसर और शिक्षा मिले। वैद्य ने कहा कि अगर लंबे समय तक आरक्षण जारी रहा तो यह अलगाववाद की तरफ ले जाएगा। उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र में हमेशा के लिए ऐसे आरक्षण की व्यवस्था का होना अच्छी बात नहीं है। सबको समान अवसर और शिक्षा मिले।
उनकी इस बात ये तो स्पष्ट है कि संघ सिद्धांतत: आरक्षण के पक्ष में नहीं, मगर चूंकि सामाजिक भेदभाव जारी है, इस कारण यह लागू ही रहना चाहिए। समझा जा सकता है कि विवाद हुआ ही इसलिए कि उन्होंने जितनी स्पष्टता के साथ बाद में बयान दिया, अगर वैसा ही पहले भी कह देते तो विवाद होता ही नहीं। अव्वल तो ऐन चुनाव के वक्त इस विवादास्पद विषय पर बोलते ही नहीं। अगर सवाल का उत्तर देना बहुत जरूरी ही था तो ठीक वैसा ही बोलते, जैसा कि बाद में कहा। जरा देखिए, उन्होंने कितने साफ शब्दों में स्पष्ट किया है कि आरक्षण जरूरी है:-
https://youtu.be/LIic-Nx8JYg
असल में विवाद ने इसलिए तूल पकड़ा क्योंकि इस वक्त उत्तरप्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। यह बात वैद्य भी जानते रहे होंगे, मगर उनसे यह चूक कैसी हुई, यह समझ से परे है। हालांकि माहौल बिगड़ता देख उन्होंने तुरंत सफाई दी, मगर तब तक पिछड़े तबके में तो यह संदेश चला ही गया कि संघ आरक्षण के खिलाफ है। वह इसलिए भी कि इससे पहले भी बिहार चुनाव के वक्त संघ प्रमुख मोहन भागवत कुछ इसी तरह का बयान दे चुके हैं, जिसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ा।
-तेजवानी गिरधर
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8094767000

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