हालांकि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनने और मुख्यमंत्री पद की दावेदार के रूप में स्थापित हो चुकी श्रीमती वसुंधरा जानती हैं कि अब अधिसंख्य पुराने नेता भी उनका नेतृत्व स्वीकार कर रहे हैं, फिर भी उनका सम्मान रखने की खातिर अब उनसे मिल कर नाराजगी को सदा के लिए समाप्त करने की कवायद में फिर जुट गई हैं। हालांकि इससे पहले भी उन्होंने यह अभियान चलाया था और पुराने नेताओं से मिल कर उनका दिल जीतने की कोशिश की थी, मगर राष्ट्रीय अध्यक्ष का मसला नहीं सुलझ पाने के कारण उसे स्थगित कर दिया था। अब जब कि उन्हें लगभग फ्री हैंड सा मिल गया है, वे पूरे जोश-खरोश के साथ अपने अभियान में फिर जुट गई हैं। इसका एक बड़ा फायदा ये हो रहा है कि एक ओर जहां नेताओं की नाराजगी दूर हो रही है, वहीं उनके वसुंधरा को भावी मुख्यमंत्री स्वीकार करने के बयानों से पार्टी स्तर पर मजबूती भी मिल रही है। इससे यह संदेश जा रहा है कि अब वसुंधरा की दावेदारी में कोई कसर बाकी नहीं रह गई है।
सबसे पहले उन्होंने अपने धुर विरोधी दिग्गज कैलाश मेघवाल को अपने निवास पर आमंत्रित कर गिले-शिकवे दूर किए तो मेघवाल ने भी उनको भावी मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार करने की ऐलान कर दिया। इसके बाद उन्होंने पूर्व उपमुख्यमंत्री हरिशंकर भाभड़ा के निवास स्थान पर जा कर उनकी आशीर्वाद लिया। इसके एवज में भाभड़ा ने पुरानी सारी बातें भूलते हुए कहा कि वे पहले भी वसुंधरा राजे के साथ थे, आज भी हैं और आगे भी साथ रहेंगे। जानकारी है कि वे जल्द ही कटे-कटे से चल रहे घनश्याम तिवाड़ी को भी मनाने की कोशिश करने वाली हैं।
ज्ञातव्य है प्रदेश भाजपा में सुलह से पहले भी वसुंधरा ने कुशलक्षेम पूछने के बहाने कोटा में बुजुर्ग नेताओं से मुलाकात की और इन नेताओं के अगले विधानसभा चुनाव में कामयाबी का आशीर्वाद मांगा था। उन्होंने वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं तक से भेंट की थी। तब पत्रकारों ने जब यह सवाल किया था कि इस दौरे के क्या मायने हैं तो उन्होंने कहा था कि राज को राज रहने दो। तब उन्होंने वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री के के गोयल, पूर्व सांसद रघुवीरसिंह कौशल, पूर्व केंद्रीय मंत्री भुवनेश चतुर्वेदी, जुझारसिंह और रामकिशन वर्मा के घर पहुंच कर उनकी कुशलक्षेम पूछी। वे साहित्यकार वयोवृद्ध भाजपा नेता गजेंद्रसिंह सोलंकी की कुशलक्षेम पूछने भी गई थीं। वरिष्ठ नेता भाभडा की कुशलक्षेम उन्होंने अपने इस दौरे में भी पूछी थी। वसुंधरा के इस दौरे को अगले विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए कूटनीति की जाजम बिछाने के रूप में भी देखा जा गया था।
-तेजवानी गिरधर
सबसे पहले उन्होंने अपने धुर विरोधी दिग्गज कैलाश मेघवाल को अपने निवास पर आमंत्रित कर गिले-शिकवे दूर किए तो मेघवाल ने भी उनको भावी मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार करने की ऐलान कर दिया। इसके बाद उन्होंने पूर्व उपमुख्यमंत्री हरिशंकर भाभड़ा के निवास स्थान पर जा कर उनकी आशीर्वाद लिया। इसके एवज में भाभड़ा ने पुरानी सारी बातें भूलते हुए कहा कि वे पहले भी वसुंधरा राजे के साथ थे, आज भी हैं और आगे भी साथ रहेंगे। जानकारी है कि वे जल्द ही कटे-कटे से चल रहे घनश्याम तिवाड़ी को भी मनाने की कोशिश करने वाली हैं।
ज्ञातव्य है प्रदेश भाजपा में सुलह से पहले भी वसुंधरा ने कुशलक्षेम पूछने के बहाने कोटा में बुजुर्ग नेताओं से मुलाकात की और इन नेताओं के अगले विधानसभा चुनाव में कामयाबी का आशीर्वाद मांगा था। उन्होंने वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं तक से भेंट की थी। तब पत्रकारों ने जब यह सवाल किया था कि इस दौरे के क्या मायने हैं तो उन्होंने कहा था कि राज को राज रहने दो। तब उन्होंने वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री के के गोयल, पूर्व सांसद रघुवीरसिंह कौशल, पूर्व केंद्रीय मंत्री भुवनेश चतुर्वेदी, जुझारसिंह और रामकिशन वर्मा के घर पहुंच कर उनकी कुशलक्षेम पूछी। वे साहित्यकार वयोवृद्ध भाजपा नेता गजेंद्रसिंह सोलंकी की कुशलक्षेम पूछने भी गई थीं। वरिष्ठ नेता भाभडा की कुशलक्षेम उन्होंने अपने इस दौरे में भी पूछी थी। वसुंधरा के इस दौरे को अगले विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए कूटनीति की जाजम बिछाने के रूप में भी देखा जा गया था।
-तेजवानी गिरधर
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