तीसरी आंख

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शुक्रवार, दिसंबर 12, 2025

घड़ी को कभी नहीं रुकने दीजिए

दोस्तो, नमस्कार। दीवाल घड़ी व हाथ घड़ी की सुई का रुक जाना वास्तु-शास्त्र, ज्योतिष और लोक-मान्यताओं में एक विशेष संकेत माना गया है। यह पूरी तरह आस्था पर आधारित विषय है, पर लोगों के अनुभवों में इसका एक मनोवैज्ञानिक पहलू भी जुड़ा होता है। वास्तु के अनुसार घड़ी समय, ऊर्जा के प्रवाह और जीवन की गति का प्रतीक मानी जाती है। इसलिए कहा जाता है कि घड़ी का रुकना ऊर्जा रुकने का संकेत है। घड़ी के रुकने को घर में गतिशीलता, प्रगति या सकारात्मक ऊर्जा प्रभावित होने का संकेत माना जाता है। वास्तु में कहा गया है कि “ठहरा हुआ समय” घर में नहीं रखना चाहिए। कई वास्तु विशेषज्ञ कहते हैं कि रुकी हुई घड़ी नकारात्मक कंपन पैदा करती है, जिससे घर का माहौल भारी लगने लगता है। ऐसी भी मान्यता है कि ईशान-उत्तर दिशा में लगी घड़ी का रुकना अधिक अशुभ है, क्योंकि ये दिशाएं सकारात्मक ऊर्जा, धन और अवसरों का प्रतीक मानी जाती हैं।

यहां घड़ी रुक जाए तो संकेत माना जाता है कि कार्यों में देरी, अवसर चूकने या आर्थिक बाधा आ सकती है। लोक मान्यताओं में घड़ी का रुक जाना अक्सर यह संकेत माना गया जाता है कि घर में कोई परिवर्तन या घटना होने वाली है। जैसे कोई महत्वपूर्ण समाचार, यात्रा, निर्णय आदि।

कुछ लोग मानते हैं कि जब घर के किसी सदस्य के जीवन में अचानक तनाव, उलझन या असंतुलन बढ़ता है तो “घड़ी रुकना” उसका प्रतीक माना जाता है। रुकी घड़ी को विवाह, गृह-प्रवेश या नए काम की शुरुआत में प्रतिकूल माना गया है। इसके अतिरिक्त बंद हो चुकी खराब घडी को घर में नहीं रखने की सलाह दी जाती है।

वास्तव में घड़ी के रुकने की वजह साधारण होती है बैटरी का खत्म होना,

मगर जब किसी व्यक्ति का मन पहले से परेशान हो, तो घड़ी का रुकना उसे अशुभ संकेत लगेगा। अतः रुकी हुई घड़ी तुरंत चलवा दें या हटा दें

वास्तुविद बताते हैं कि घड़ी हमेशा पूर्व-उत्तर दिशा में सबसे उपयुक्त है।

टिक-टिक साफ सुनाई दे, तो यह प्रगति का सूचक माना जाता है। घडी का एक उपयोग यह भी है कि यदि मकान में सीढी एंटी क्लॉक वाइज हो तो उसका वास्तु दोश दूर करने के लिए सीढी के मोड पर घडी लगाई जाती है।


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