तीसरी आंख

जिसे वह सब दिखाई देता है, जो सामान्य आंखों से नहीं दिखाई देता है

रविवार, अक्टूबर 27, 2024

उम्र बढानी हो तो रो लीजिए

आपने देखा होगा कि इस जगत में विधवाओं की संख्या अधिक है, जबकि विधुरों की कम। वजह क्या है? वजह ये कि आदमी की उम्र औरत की तुलना में कम होती है। उसकी मूल वजह आदमी का अपेक्षाकृत अधिक तनाव ग्रस्त होना। यह भी कि औरत की सहन षक्ति अधिक होती है, इसलिए वह तनाव को झेल जाती है। इसी कारण यह अवधारणा बनी है कि चूंकि आदमी अमूमन नहीं रोता, इस कारण उसकी उम्र कम होती है, जबकि औरत रोती है, इस कारण उसकी उम्र अधिक होती है। इसके अतिरिक्त पति की मृत्यु के बाद विधवा फिर भी लंबा जी लेती है, जबकि पत्नी की मृत्यु के बाद पति की जीवन कठिन हो जाता है। उसे परिवार का अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाता।

यह एक आम धारणा है कि आदमी को रोना नहीं चाहिए। रोने से उसकी मर्दानगी पर सवाल उठता है। जब कोई लडका रोता है तो यही कहते हैं कि लडकी है क्या, जो रो रहा है। रोती तो लडकियां हैं, लडके नहीं। हालांकि, मौलिक रूप से यह गलत है। रोना एक स्वाभाविक मानवीय भावना है, और इसे व्यक्त करना मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी होता है। जानकार तो रोने के भी फायदे गिनाते हैं। रोने से हमारे शरीर से स्ट्रेस हार्मोन (जैसे कि कॉर्टिसोल) कम होते हैं, जिससे तनाव कम होता है और व्यक्ति को मानसिक राहत मिलती है। तभी तो कहते हैं कि रोने से मन हल्का हो जाता है। किसी महिला के पति की मौत हो जाने पर उसे जानबूझ कर रूलाया जाता है, ताकि उसका मन हल्का हो जाए, वह तनाव से मुक्त हो जाए। इसके अतिरिक्त जब हम अपने दुख या भावनाएं व्यक्त करते हैं, तो दूसरों से समर्थन पाने की संभावना बढ़ जाती है, जो कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।

चूंकि आदमी के रोने को मर्दानगी से जोडा जाता है, इस कारण वह सामान्यतः नहीं रोता या अपने आप को रोने से रोक लेता है। रोने को दबाने या भावनाओं को व्यक्त न करने से लंबे समय तक मानसिक तनाव और शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है, जिससे व्यक्ति की उम्र कम हो जाती है। इसलिए विद्वान सलाह देते हैं कि किसी परेषानी के कारण रोने का मन करे तो रो लेना चाहिए, चाहे अपने किसी अंतरग के सामने, चाहे कमरा बंद कर अकेले में।


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