षव यात्रा के दौरान मृतक के सिर की दिशा में बदलाव एक प्राचीन परंपरा और धार्मिक मान्यता का हिस्सा है, जो विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक संदर्भों में महत्वपूर्ण है।
ऐसी मान्यता है कि मृतक की आत्मा को उसकी अंतिम यात्रा में सम्मानजनक तरीके से विदा किया जाना चाहिए। शव को आरंभ में सिर आगे करके ले जाना इस बात का प्रतीक है कि मृतक अभी भी परिवार और समाज के बीच है। आधे रास्ते में पैर आगे करके शव को ले जाने का अर्थ यह है कि अब वह दुनिया से विदा हो रहा है, संसार के कर्तव्यों से मुक्ति पा ली है और उसे अंतिम विश्राम स्थल की ओर ले जाया जा रहा है। रास्ते के बीच में चबूतरा होता है, जहां षव की दिषा बदल जाती है। दिषा बदलने से मृतात्मा का जगत से संबंध टूटता है। तब उसे अहसास होता है कि अब जगत से नाता टूट रहा है और उसकी यात्रा परलोक की ओर है।
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