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तीसरी आंख
सोमवार, मार्च 03, 2025
महिलाएं अंतिम संस्कार में शामिल क्यों नहीं होती?
हालांकि परिजन के निधन पर विशेष परिस्थितियों में महिलाएं शवयात्रा और अंतिम संस्कार के दौरान श्मशान स्थल पर मौजूद रहती हैं, मगर आमतौर पर केवल पुरुष ही अंत्येष्टि में शामिल होते हैं। महिलाओं के लिए श्मशान स्थल वर्जित होने के पीछे जरूर कोई कारण होंगे। आइये, उन्हें समझने की कोशिश करते हैं। ऐसी मान्यता है कि पुरूशों की तुलना में महिलाएं कोमल हृदय होती हैं। यद्यपि निकट संबंधी के निधन पर पुरूश भी रोते हैं, लेकिन व्यवहार में पाया गया है कि महिलाएं अधिक विलाप करती हैं। अंतिम संस्कार का प्रयोजन ही यह होता है कि मृत आत्मा का षरीर के अतिरिक्त इस जगत से संबंध विच्छेद हो जाए, कपाल क्रिया उसका ही हिस्सा है, लेकिन महिलाओं के रोने की अवस्था में संबध विच्छेद की प्रक्रिया में बाधा आ सकती है। ऐसा माना जाता है कि ष्मषान स्थल पर अषांत मृत आत्माएं विचरण करती रहती हैं, जो कोमल मन वाली महिलाओं में प्रवेष कर सकती हैं। अंतिम संस्कार के दौरान घर सूना न रहे, इसलिए भी महिलाओं को घर पर रहने की सलाह दी जाती है। बदले हालात में अब भाइयों के अभाव में बहिनें अपने माता पिता के निधन पर अर्थी को कंधा देने लगी है, जिसे नारी सषक्तिकरण के रूप में देखा जाता हे, मगर आज भी आम तौर पर महिलाएं अंतिम संस्कार में नहीं जातीं। यह परंपरा पुरूश प्रधान समाज की द्योतक है। महिलाओं ने भी इस व्यवस्था को स्वीकार कर रखा है। हालांकि महिलाओं के ष्मषान स्थल पर जाने पर कोई रोक नहीं है।
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