तीसरी आंख

जिसे वह सब दिखाई देता है, जो सामान्य आंखों से नहीं दिखाई देता है

बुधवार, नवंबर 06, 2024

ज्योतिषी के लिए आस्तिक होना जरूरी नहीं?

क्या आपको इस बात पर यकीन होगा कि कोई नास्तिक भी ज्योतिश का प्रकांड पंडित हो सकता है। जाहिर है, आप यही कहेंगे कि ऐसा कैसे संभव हो सकता है। जो आस्तिक नहीं, उसे ज्योतिश आ ही कैसे सकता है। मगर सच ये है कि ऐसा संभव होते देखा है मैने। मेरे एक अभिन्न मित्र नास्तिक हैं, बचपन से। कभी कोई पूजा-पाठ नहीं करते। न दीया जलाते हैं और न ही अगरबत्ती। बावजूद इसके वे हस्तरेखा व कुंडली के प्रकांड विद्वान हैं। सटीक भविश्यवाणी किया करते हैं। दिलचस्प बात ये है कि खुद टोने-टोटके में यकीन नहीं करते, मगर जिज्ञासु को उसका उपाय बताते हैं। मैं तब अचंभित रह गया, जब उन्होंने एक सुपरिचित ज्योतिशी को उनकी हथेली देख कर बता दिया था अमुक दिन आपका एक बडा ऑपरेषन होगा, जबकि स्वयं ज्योतिशी को इसकी जानकारी नहीं थी। ऐसा प्रतीत होता है कि ज्योतिश विषुद्ध रूप से एक विज्ञान है, जैसे एमबीबीएस। एमबीबीएस करने के लिए धार्मिक होने की कोई जरूरत नहीं, ठीक इसी प्रकार ज्योतिर्विद्या सीखने के लिए आस्तिक होना जरूरी नहीं। हां, इतना जरूर हो सकता है कि आस्तिक ज्योतिशी भविश्य वाणी करते वक्त अंतर्दृश्टि का उपयोग भी किया करते होंगे। इन्ट्यूषन का उपयोग करते होंगे। मैं निजता की रक्षा करते हुए नास्तिक ज्योतिशी का नाम उजागर नहीं करूंगा। मेरा मकसद सिर्फ ज्योतिश को विषुद्ध विज्ञाान होने को आपसे साझा करना है।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें