राज्य मंत्रीमंडल के लंबे समय से प्रतीक्षित विस्तार का आखिर समय आ ही गया। कई बार चर्चा हुई कि विस्तार अब होगा, अब होगा, मगर हर बार किसी न किसी वजह से वह टलता ही रहा, मगर अब स्थिति यहां तक आ गई है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को आगामी 27 अक्टूबर तक विस्तार करना ही होगा।
असल में यूं तो वसुंधरा राजे के पास आगामी 15 नवंबर तक का समय था। तब नसीराबाद से विधायक बनने के बाद इस्तीफा देकर सांसद बने प्रो. सांवरलाल जाट के बिना विधायक रहते मंत्री बने रहने को छह माह पूरे होने हैं। इस बात की कोई संभावना भी नहीं थी कि उन्हें फिर से विधानसभा का चुनाव लडय़ा जाए। अगर विधायक रखना ही था तो इस्तीफा ही क्यों दिलवाते। खैर, चूंकि 15 नवंबर तक जाट को इस्तीफा देना ही होगा और उनके इस्तीफा देते ही न्यूनमत 12 मंत्रियों की बाध्यता आ जाएगी, यानि कि तब तक उन्हें मंत्रीमंडल का विस्तार करना ही होगा। मगर इस बीच समस्या ये आ गई कि राज्य में कुछ स्थानीय निकायों के चुनाव के लिए आचार संहिता 28 अक्टूबर को लागू हो जाएगी और तब वे मंत्रीमंडल का विस्तार नहीं कर पाएंगी, इस कारण अब यह लगभग पक्का ही है कि 27 अक्टूबर तक किसी भी सूरत में जाट का इस्तीफा और मंत्रीमंडल का विस्तार कर दिया जाएगा। इसमें भी एक पेच बताया जा रहा है। भाजपा हाईकमान की इच्छा है कि फिलहाल जाट के इस्तीफा देने के साथ सिर्फ एक-दो नए मंत्री बना दिए जाएं और पूरा विस्तार बाद में किया जाए, मगर जानकारी ये है कि वसुंधरा ठीक से विस्तार करना चाहती हैं। अब देखना ये है कि क्या हाईकमान वसुंधरा राजे को अपनी बात मानने में कामयाब हो जाता है या फिर वसुंधरा की इच्छा को पूरा किया जाता है।
कुल मिला कर मंत्रीमंडल विस्तार के लिए उलटी गिनती शुरू होने के साथ मंत्री बनने के इच्छुक विधायकों में हलचल तेज हो गई है। बनने में कौन कामयाब होगा, ये तो वक्त ही बताएगा।
-तेजवानी गिरधर
असल में यूं तो वसुंधरा राजे के पास आगामी 15 नवंबर तक का समय था। तब नसीराबाद से विधायक बनने के बाद इस्तीफा देकर सांसद बने प्रो. सांवरलाल जाट के बिना विधायक रहते मंत्री बने रहने को छह माह पूरे होने हैं। इस बात की कोई संभावना भी नहीं थी कि उन्हें फिर से विधानसभा का चुनाव लडय़ा जाए। अगर विधायक रखना ही था तो इस्तीफा ही क्यों दिलवाते। खैर, चूंकि 15 नवंबर तक जाट को इस्तीफा देना ही होगा और उनके इस्तीफा देते ही न्यूनमत 12 मंत्रियों की बाध्यता आ जाएगी, यानि कि तब तक उन्हें मंत्रीमंडल का विस्तार करना ही होगा। मगर इस बीच समस्या ये आ गई कि राज्य में कुछ स्थानीय निकायों के चुनाव के लिए आचार संहिता 28 अक्टूबर को लागू हो जाएगी और तब वे मंत्रीमंडल का विस्तार नहीं कर पाएंगी, इस कारण अब यह लगभग पक्का ही है कि 27 अक्टूबर तक किसी भी सूरत में जाट का इस्तीफा और मंत्रीमंडल का विस्तार कर दिया जाएगा। इसमें भी एक पेच बताया जा रहा है। भाजपा हाईकमान की इच्छा है कि फिलहाल जाट के इस्तीफा देने के साथ सिर्फ एक-दो नए मंत्री बना दिए जाएं और पूरा विस्तार बाद में किया जाए, मगर जानकारी ये है कि वसुंधरा ठीक से विस्तार करना चाहती हैं। अब देखना ये है कि क्या हाईकमान वसुंधरा राजे को अपनी बात मानने में कामयाब हो जाता है या फिर वसुंधरा की इच्छा को पूरा किया जाता है।
कुल मिला कर मंत्रीमंडल विस्तार के लिए उलटी गिनती शुरू होने के साथ मंत्री बनने के इच्छुक विधायकों में हलचल तेज हो गई है। बनने में कौन कामयाब होगा, ये तो वक्त ही बताएगा।
-तेजवानी गिरधर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें