पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे राजस्थान प्रदेश भाजपा में पिछले चार साल से चल रही खींचतान के बाद हुए समझौते बड़ी सावधानी से बनाए रखते हुए पुराने सारे गिले-शिकवे समाप्त कर देना चाहती हैं। वे इरादतन या गैर इरादतन उपेक्षित हुए वरिष्ठ भाजपा नेताओं को मना कर फिर से मुख्यधारा में लाना चाहती हैं, ताकि इस बार मनमुटाव के चलते सत्ता का वरण करने से न चूक जाएं। भाजपा मुख्यालय में प्रदेशाध्यक्ष का पदभार ग्रहण करते समय उन्होंने जो भावपूर्ण भाषण दिया, वह तो इसी बात का इशारा करता है।
पार्टी में सभी का सम्मान करने का भाव दर्शात हुए उन्होंने कहा कि मैं आपको विश्वास दिलाना चाहती हूं कि मैं आपके साथ और मार्गदर्शन के बिना अपना एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाऊंगी। सब को साथ लेकर चलना ही मेरी पहली प्राथमिकता होगी, क्योंकि मैं मानती हूं कार्यकर्ताओं के बगैर, कोई भी संगठन बिन पानी मछली जैसा होता है। बिन प्राण शरीर जैसा होता है। इसलिये आप साथ हैं, तो हर मुश्किल आसान है। सबसे पहले उन्होंने पार्टी के पूर्वजों जनसंघ के प्रदेशाध्यक्ष रहे स्व. श्री मदन सिंह, स्व. श्री गुमानमल लोढ़ा, स्व. सतीशचन्द्र अग्रवाल, स्व. चिरंजीलाल एडवोकेट, स्व. श्री रवि दत्त वैद्य और स्व. अजीत सिंह और जनसंघ के प्रदेशाध्यक्ष रहे कृष्ण कुमार जी गोयल और भानुकमार शास्त्री एवं भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष रहे स्व. श्री जगदीश जी माथुर को भी श्रद्धा के साथ याद किया।
आपको याद होगा कि एक समय में मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने पुराने दिग्गजों को कथित रूप से खंडहर तक की संज्ञा दे दी थी, उन्हीं के बारे में वसुंधरा के रवैये में कितना परिवर्तन आया है, इसका अंदाजा उनकी इन पंक्तियों से हो जाता है-भाजपा को हमारे जिन वरिष्ठ नेताओं ने सींचा है, मैं उनके सम्मान में सदैव नतमस्तक रहूंगी। मैं यहां याद करना चाहूंगी जनसंघ के प्रदेशाध्यक्ष, मुख्यमंत्री और उपराष्ट्रपति रहे स्व. भैरोसिंह जी शेखावत को, जिन्होंने राजस्थान को बहुत कुछ दिया। ज्ञातव्य है कि अकेले वसुंधरा के रवैये के कारण ही उपराष्ट्रपति पद का कार्यकाल समाप्त कर राजस्थान लौटने पर शेखावत अपने ही राज्य में बेगाने हो गए थे। नतीजतन शेखावत ने वसुंधरा के कार्यकाल की बखिया उधेडऩा शुरू कर दिया था। वसुंधरा व शेखावत की इस नाइत्तफाकी का ही परिणाम है कि शेखावत के जवांई नरपत सिंह राजवी हाशिये पर ला दिए गए। राजवी आज तक उस पीड़ा को नहीं भूल पाए होंगे।
इसी कड़ी में तथाकथित खंडहर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष रहे हरिशंकर भाभड़ा, भंवर लाल शर्मा, ललित किशोर चतुर्वेदी, रामदास अग्रवाल, रघुवीर सिंह कौशल, गुलाबचंद कटारिया, महेशचन्द शर्मा और ओमप्रकाश माथुर आदि के नाम के साथ भी बड़ी श्रद्धा के साथ श्री व जी जोड़ते हुए उन्होंने कहा इन सबको भी मेरा अभिवादन, जिनसे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है। निवर्तमान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी के साथ उनके कैसे संबंध रहे, ये किसी से छिपे हुए नहीं हैं, उनके बारे में उन्होंने कहा-अरुण जी और उनकी पूरी टीम की भी आभारी हूं, जिन्होंने मेरे साथ काम किया। संगठन को मजबूत करने में अरूण जी का भी कम योगदान नहीं है। वे अपना दायित्व भले ही आज मुझे औपचारिक रूप से सौंप रहे हैं, लेकिन मेरे साथ काम उन्हें भी करना है। उनका दायित्व कम नहीं हुआ है, बल्कि और बढ़ा है।
वसुंधरा 14 नवम्बर 2002 के उस दिन को भी नहीं भूलीं, जब कि उन्होंने पहली बार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का पद संभाला था और कहा-यही स्थान था, करीब-करीब यही चेहरे थे, ऐसे ही ऊर्जावान कार्यकर्ताओं की फौज थी, जिनकी पवित्र उपस्थिति में मैंने प्रदेशाध्यक्ष पद ग्रहण किया था। उस दिन यहां बैठे सभी कार्यकर्ताओं ने मुझे आशीर्वाद दिया था और विश्वास दिलाया था कि मजबूती और पूरे दमखम के साथ वे मेरे साथ खड़े रहेंगे और कंधे से कंधा मिलाकर मेरा साथ देंगे। मुझे फख्र है सब कार्यकर्ताओं ने जी-जान से एकजुट होकर मेहनत की तो हम दिसम्बर 2003 में ऐतिहासिक बहुमत के साथ सरकार बनाने में सफल हुए। उनके इस कथन से यह आभास साफ नजर आया कि अपनी गलतियों के चलते उन्होंने बहुत कुछ खो दिया।
कहते हैं न कि इंसान ठोकर खा कर ही संभलता है, कुछ इसी तरह का भाव नजर आया इन पंक्तियों में-पता भी नहीं चला और 10 साल का समय पलक झपकते हुए निकल गया। इन 10 सालों में मैंने हमारी सरकार को आते भी देखा, तो जाते भी देखा और अब आते हुए देख रही हूं। ये तीनों अनुभव अलग-अलग किस्म के हैं। इस दौरान चुनौतियों के कई पड़ाव भी देखे, तो कई उतार-चढ़ाव भी देखे, जिनसे बहुत कुछ सीखने को मिला। आज फिर वही घड़ी आ गई है। आज भी आप सबके आदेशों की अनुपालना में 14 नवम्बर, 2002 जैसा ही दृश्य यहां दोहराया जा रहा है। उस वक्त भी नेता प्रतिपक्ष गुलाब जी भाई साहब थे, और आज भी। उस वक्त भी कार्यकर्ताओं में जुनून था और आज भी है। बल्कि मैं तो कहूंगी उस समय से कई गुना ज्यादा जोश आज आपमें देखने को मिल रहा है।
ताजा सुलह के बाद उनमें उत्पन्न आत्मविश्वास इन पंक्तियों से झलका-मुझे पता है आप सब कार्यकर्ता कमर कसकर तैयार खड़े हैं। आप वो कार्यकर्ता हैं, जो भूखे-प्यासे रहकर भी घर-घर कमल खिलाने में हमेशा जुटे रहते हैं। इसलिये ये तय समझ लो कि जो ऐतिहासिक जीत हमें दिसम्बर 2003 में मिली थी, भाजपा दिसम्बर 2013 में उससे भी बड़ी जीत की कहानी लिखेगी।
-तेजवानी गिरधर
पार्टी में सभी का सम्मान करने का भाव दर्शात हुए उन्होंने कहा कि मैं आपको विश्वास दिलाना चाहती हूं कि मैं आपके साथ और मार्गदर्शन के बिना अपना एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाऊंगी। सब को साथ लेकर चलना ही मेरी पहली प्राथमिकता होगी, क्योंकि मैं मानती हूं कार्यकर्ताओं के बगैर, कोई भी संगठन बिन पानी मछली जैसा होता है। बिन प्राण शरीर जैसा होता है। इसलिये आप साथ हैं, तो हर मुश्किल आसान है। सबसे पहले उन्होंने पार्टी के पूर्वजों जनसंघ के प्रदेशाध्यक्ष रहे स्व. श्री मदन सिंह, स्व. श्री गुमानमल लोढ़ा, स्व. सतीशचन्द्र अग्रवाल, स्व. चिरंजीलाल एडवोकेट, स्व. श्री रवि दत्त वैद्य और स्व. अजीत सिंह और जनसंघ के प्रदेशाध्यक्ष रहे कृष्ण कुमार जी गोयल और भानुकमार शास्त्री एवं भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष रहे स्व. श्री जगदीश जी माथुर को भी श्रद्धा के साथ याद किया।
आपको याद होगा कि एक समय में मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने पुराने दिग्गजों को कथित रूप से खंडहर तक की संज्ञा दे दी थी, उन्हीं के बारे में वसुंधरा के रवैये में कितना परिवर्तन आया है, इसका अंदाजा उनकी इन पंक्तियों से हो जाता है-भाजपा को हमारे जिन वरिष्ठ नेताओं ने सींचा है, मैं उनके सम्मान में सदैव नतमस्तक रहूंगी। मैं यहां याद करना चाहूंगी जनसंघ के प्रदेशाध्यक्ष, मुख्यमंत्री और उपराष्ट्रपति रहे स्व. भैरोसिंह जी शेखावत को, जिन्होंने राजस्थान को बहुत कुछ दिया। ज्ञातव्य है कि अकेले वसुंधरा के रवैये के कारण ही उपराष्ट्रपति पद का कार्यकाल समाप्त कर राजस्थान लौटने पर शेखावत अपने ही राज्य में बेगाने हो गए थे। नतीजतन शेखावत ने वसुंधरा के कार्यकाल की बखिया उधेडऩा शुरू कर दिया था। वसुंधरा व शेखावत की इस नाइत्तफाकी का ही परिणाम है कि शेखावत के जवांई नरपत सिंह राजवी हाशिये पर ला दिए गए। राजवी आज तक उस पीड़ा को नहीं भूल पाए होंगे।
इसी कड़ी में तथाकथित खंडहर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष रहे हरिशंकर भाभड़ा, भंवर लाल शर्मा, ललित किशोर चतुर्वेदी, रामदास अग्रवाल, रघुवीर सिंह कौशल, गुलाबचंद कटारिया, महेशचन्द शर्मा और ओमप्रकाश माथुर आदि के नाम के साथ भी बड़ी श्रद्धा के साथ श्री व जी जोड़ते हुए उन्होंने कहा इन सबको भी मेरा अभिवादन, जिनसे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है। निवर्तमान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी के साथ उनके कैसे संबंध रहे, ये किसी से छिपे हुए नहीं हैं, उनके बारे में उन्होंने कहा-अरुण जी और उनकी पूरी टीम की भी आभारी हूं, जिन्होंने मेरे साथ काम किया। संगठन को मजबूत करने में अरूण जी का भी कम योगदान नहीं है। वे अपना दायित्व भले ही आज मुझे औपचारिक रूप से सौंप रहे हैं, लेकिन मेरे साथ काम उन्हें भी करना है। उनका दायित्व कम नहीं हुआ है, बल्कि और बढ़ा है।
वसुंधरा 14 नवम्बर 2002 के उस दिन को भी नहीं भूलीं, जब कि उन्होंने पहली बार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का पद संभाला था और कहा-यही स्थान था, करीब-करीब यही चेहरे थे, ऐसे ही ऊर्जावान कार्यकर्ताओं की फौज थी, जिनकी पवित्र उपस्थिति में मैंने प्रदेशाध्यक्ष पद ग्रहण किया था। उस दिन यहां बैठे सभी कार्यकर्ताओं ने मुझे आशीर्वाद दिया था और विश्वास दिलाया था कि मजबूती और पूरे दमखम के साथ वे मेरे साथ खड़े रहेंगे और कंधे से कंधा मिलाकर मेरा साथ देंगे। मुझे फख्र है सब कार्यकर्ताओं ने जी-जान से एकजुट होकर मेहनत की तो हम दिसम्बर 2003 में ऐतिहासिक बहुमत के साथ सरकार बनाने में सफल हुए। उनके इस कथन से यह आभास साफ नजर आया कि अपनी गलतियों के चलते उन्होंने बहुत कुछ खो दिया।
कहते हैं न कि इंसान ठोकर खा कर ही संभलता है, कुछ इसी तरह का भाव नजर आया इन पंक्तियों में-पता भी नहीं चला और 10 साल का समय पलक झपकते हुए निकल गया। इन 10 सालों में मैंने हमारी सरकार को आते भी देखा, तो जाते भी देखा और अब आते हुए देख रही हूं। ये तीनों अनुभव अलग-अलग किस्म के हैं। इस दौरान चुनौतियों के कई पड़ाव भी देखे, तो कई उतार-चढ़ाव भी देखे, जिनसे बहुत कुछ सीखने को मिला। आज फिर वही घड़ी आ गई है। आज भी आप सबके आदेशों की अनुपालना में 14 नवम्बर, 2002 जैसा ही दृश्य यहां दोहराया जा रहा है। उस वक्त भी नेता प्रतिपक्ष गुलाब जी भाई साहब थे, और आज भी। उस वक्त भी कार्यकर्ताओं में जुनून था और आज भी है। बल्कि मैं तो कहूंगी उस समय से कई गुना ज्यादा जोश आज आपमें देखने को मिल रहा है।
ताजा सुलह के बाद उनमें उत्पन्न आत्मविश्वास इन पंक्तियों से झलका-मुझे पता है आप सब कार्यकर्ता कमर कसकर तैयार खड़े हैं। आप वो कार्यकर्ता हैं, जो भूखे-प्यासे रहकर भी घर-घर कमल खिलाने में हमेशा जुटे रहते हैं। इसलिये ये तय समझ लो कि जो ऐतिहासिक जीत हमें दिसम्बर 2003 में मिली थी, भाजपा दिसम्बर 2013 में उससे भी बड़ी जीत की कहानी लिखेगी।
-तेजवानी गिरधर
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