तीसरी आंख

जिसे वह सब दिखाई देता है, जो सामान्य आंखों से नहीं दिखाई देता है

गुरुवार, अक्टूबर 25, 2012

किरण ने भी जताई गडकरी के प्रति वफादारी


भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव एवं विधायक श्रीमती किरण माहेश्वरी ने भी अपने अध्यक्ष नितिन गडकरी के प्रति वफादारी जाहिर कर दी है। इससे पहले जहां पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने गडकरी को संबल प्रदान किया, वहीं लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज भी खुल कर साथ खड़ी हो चुकी हैं। प्रवक्ता बलबीर पुंज व मुख्तार अब्बास नकवी भी औपचारिक रूप से निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए औपचारिकता निभा चुके हैं। ये बात दीगर है कि शतरंज में ढ़ाई घर की चाल चलने वाले भाजपा सांसद राम जेठमलानी ने जरूर विभीषण वाला काम कर दिया है।
खैर, अपुन बात कर रहे थे, किरण माहेश्वरी की। उन्होंने अपने लिखित बयान में गडकरी को इस बात के लिए बधाई दी है कि उन्होंने उन पर लगाए जा रहे भ्रष्टाचार के आरोपों की किसी भी एजेन्सी से जांच करवाने को कहा है। अब इसमें बधाई वाली बात कहां से आ गई, ये तो खुद किरण माहेश्वरी ही जानें। किरण के बयान में विरोधाभास देखिए। एक ओर वे कहती हैं कि सारी एजेंसियां कांग्रेस सरकार के नियत्रंण में है, इसलिए यह भी नहीं कहा जा सकता कि जांच में शिथिलता एवं पक्षपात की संभावना है। दूसरी ओर वे यह अपेक्षा भी रख रही हैं कि केन्द्रीय सरकार के अधिकरण कांग्रेस के दबाव में विद्वेष पूर्वक कार्यवाही नहीं करेंगे। सवाल ये उठता है कि यदि आपको सरकार पर भरोसा ही नहीं है तो जांच की मांग काहे को कर रहे हैं। अर्थात जांच की मांग इस कारण कर रहे हैं ताकि फिलहाल कहीं कमजोरी साबित न हो जाए और शक इस कारण कर रहे हैं ताकि अगर बाद में सच में गड़बड़ी उजागर हो जाए तो कम से कम यह कहने की गुंंजाइश तो रहे कि सरकार ने बदले की भावना से काम किया है।
एक और दिलचस्प बात देखिए। किरण ने कहा है कि नितिन गडकरी पर भ्रष्टाचार के आरोप कांग्रेस की एक गहरी चाल है। जबकि सच ये है कि उनके खिलाफ पहले अरविंद केजरीवाल ने मामला उठाया और बाद में एक अखबार ने अपनी खोज खबर के आधार पर।
किरण का कहना है कि देश की सत्ता संभालने के बाद से ही कांग्रेस की रणनीति है, विरोधियों की प्रतिष्ठा गिराना और चरित्र हनन। वाकई कांग्रेस की बड़ी दुर्गति है। विरोधी कहते हैं कि कांग्रेस बदमाशी कर रही है, उधर केजरीवाल ने चिल्ला चिल्ला कर आसमान सिर पर उठा रखा है कि कांग्रेस व भाजपा मिलीभगत कर एक दूसरे के निजी मामलात दबा रहे हैं।
किरण का कहना है कि भाजपा कांग्रेस के षड्यंत्रों से विचलित नहीं है। सवाल उठता है कि कौन कह रहा है कि भाजपा विचलित है? ये तो खुद भाजपा नेताओं को ही पता है कि वे सकते में हैं या नहीं कि जिनके नेतृत्व में आगामी लोकसभा चुनाव लडऩा है, वहीं निशाने पर आ गया है।
प्रसंगवश बता दें कि जब केजरीवाल ने हमला बोला था तब तो गडकरी खुल कर सामने आए थे, मगर अखबार के खुलासे के बाद से वे स्वयं छिप कर अपने अन्य साथियों से बयान जारी करवा रहे हैं। सुषमा स्वराज ने तो गडकरी को पाक साफ बताने के लिए बड़ा ही लचर तर्क दिया। वे बोलीं कि गडकरी स्वयं रजत शर्मा के कार्यक्रम आपकी अदालत में तीखे सवालों के जवाब दे चुके हैं, जबकि एक आम आदमी भी जानता है कि रजत शर्मा का यह कार्यक्रम नूरा कुश्ती से ज्यादा कुछ नहीं होता। इसमें लगता तो ये है कि सवाल तीखे हैं, मगर सच ये है कि यह सब मैच फिक्सिंग होती है और इसके जरिए कटघरे में बैठे नेता को उसको पूरा पक्ष उभारने का मौका दिया जाता है। दर्शक तक भाड़े के लाए हुए नजर आते हैं, जो कि नेता के बयानों पर तालियों की गडगड़ाहट से स्टूडियो को गुंजा देते हैं।
खैर, फिलहाल सरकार ने जांच शुरू करवा दी है, जिसमें कि अभी वक्त लगेगा, तब तक तो गडकरी की जान सांसत में ही है।
-तेजवानी गिरधर

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