तीसरी आंख

जिसे वह सब दिखाई देता है, जो सामान्य आंखों से नहीं दिखाई देता है

शनिवार, सितंबर 29, 2012

आडवाणी ने दिखा दिया भाजपा को आइना


भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सूरजकुंड (फरीदाबाद) में भाजपा कार्यसमिति व कार्यपरिषद की तीन दिवसीय बैठक के समापन समारोह में पार्टी नेताओं को पार्टी की मौजूदा हालत का आइना दिखा दिया। उन्होंने कहा कि लोग भाजपा को कांग्रेस का स्वभाविक विकल्प नहीं मान रहे। हालांकि राजनीतिक माहौल कांग्रेस के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का विकल्प बनने के लिए भाजपा में ईमानदारी और एकजुटता की जरूरत है। तभी लोगों का भरोसा हासिल होगा। उन्होंने कहा कि भाजपा को अपनी यूनीक सेलिंग प्वाइंट के मुताबिक खुद को ईमानदार, देशभक्त और अनुशासित पार्टी के रूप में स्थापित करना होगा। लोगों के बीच चर्चा होती है कि कांग्रेस भ्रष्टाचार में लिप्त है। पर यह बात भी होती है कि बाकी दल भी तो ऐसे ही हैं। संभव है कि भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं को उनकी यह साफगोई पसंद नहीं आई हो, मगर हकीकत यही है।
वस्तुत: भाजपा तभी तक साफ सुथरी थी, जबकि वह विपक्ष में थी। जब तक उसे भ्रष्टाचार करने का मौका नहीं मिला था। पार्टी विथ द डिफ्रेंस का उसका स्लोगन तभी तक सार्थक था। मगर जैसे ही वह सत्ता में आई तो  उसमें भी वही दुर्गुण प्रवेश कर गए, जो स्वाभाविक रूप से लंबे समय तक सत्ता में रही कांग्रेस में थे। उस वक्त पार्टी के नीति निर्धारकों ने दूरदृष्टि रखते हुए इस पर ध्यान नहीं दिया। उन्हीं दुर्गुणों के कारण वह सदैव कांगे्रस को निशाने पर रखती थी। उसकी बात लोगों को गले भी उतरती थी। मगर सत्ता के साथ दहेज में आने वाली बुराइयों से भाजपा बच नहीं पाई। कांग्रेसी तो चलो लंबे समय से भ्रष्टाचार कर रहे थे, इस कारण उसमें उतावलापन नहीं था, मगर भाजपा नेता तो ऐसे टूट पड़े, जैसे लंबे समय से भूखा-प्यासा खाने -पीने पर टूट पड़ता है। कांग्रेस पर चूंकि भ्रष्टाचार का लेबल लगा हुआ था, इस कारण जब भी कोई कांग्रेस की आलोचना करता तो कोई चौंकता नहीं था, मगर चूंकि भाजपाई साफ-सुथरे रहे, इस कारण उनकी सफेद कमीज पर थोड़ा सा भी दाग उभर कर साफ नजर आ रहा था। कांग्रेस कभी अपने आप को बेहद ईमानदार होने का दावा नहीं करती थी, मगर चूंकि भाजपा एक मात्र इसी दावे के आधार पर जनता का दिल जीत कर सत्ता में आई तो उसकी थोड़ी सी बेईमानी भी लोगों को बेहद बुरी लगी। इस के अतिरिक्त किसी समय में भाजपा को सर्वाधिक अनुशासित पार्टी के रूप में सम्मान दिया जाता था, मगर अनुशासनहीनता के एकाधिक मामले सामने आने के बाद अब वह कांग्रेस जैसी ही नजर आती है। सच तो ये है कि कांग्रेस चूंकि परिवारवाद पर टिकी है और उसका हाईकमान वास्तविक सुप्रीमो है और उसे चैलेंज नहीं किया जा सकता, मगर भाजपा में आतंरिक लोकतंत्र के कारण अनुशासन बड़े पैमाने पर तार-तार हुआ है। वसुंधरा राजे, येदियुरप्पा जैसों का आचरण सबके सामने हैं। कुल मिला कर आडवाणी ने इसी सच को अपने शब्दों में कहा है। वे अमूमन अपने ब्लॉग पर इस प्रकार की खरी बातें लिखते रहे हैं। कई भाजपाइयों को उनका इस प्रकार लिखना नागवार गुजरता है। अब तो उन्होंने कार्यसमिति में ही इस सच से पार्टी नेताओं का साक्षात्कार करवा दिया है।
आज अगर वे इस बात पर जोर दे रहे हैं तो उसकी एक मात्र वजह ये है कि अब आम मतदाता में कांग्रेस व भाजपा में कोई खास अंतर करके नहीं देखता। अलबत्ता हिंदूवाद जरूर वह आधार है, जिस पर पार्टी टिकी हुई है। मगर आज जिस तरह से हिंदू बुरी तरह जातिवाद में बंट चुका है, वह आधार भी खिसकता जा रहा है। सच तो ये है कि वह हिंदूवाद के मामले में भी अंतरद्र्वंद्व में जी रही है। उसे समझ ही नहीं आ रहा कि वह कट्टर हिंदूवाद का झंडा लेकर चले या कुछ नरम पड़े। पार्टी साफ तौर पर दो धाराओं में बंटी हुई है। इसी कारण पर उसके ऊपर दोहरे चरित्र के आरोप लगते हैं। ऐसे में यदि वाकई उसे सर्वश्रेष्ठ साबित होना है तो उसे ईमानदार, देशभक्त और अनुशासित हो कर दिखाना ही होगा। तभी वह कांग्रेस का स्वाभाविक विकल्प बन पाएगी।
-तेजवानी गिरधर

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