तीसरी आंख

जिसे वह सब दिखाई देता है, जो सामान्य आंखों से नहीं दिखाई देता है

रविवार, जनवरी 05, 2014

आप को कांग्रेस के समर्थन से भाजपा चिंतित

दिल्ली में आम आदमी पार्टी को कांग्रेस के समर्थन देने से सरकार बन जाने के साथ ही भाजपा चिंता में पड़ गई है। उसे लगता है कि दिल्ली की सफलता के बाद आम आदमी पार्टी अब पूरे देश में भी पांव पसारेगी और इसका सीधा नुकसान उसे होगा। उसकी ज्यादा चिंता ये है कि बड़ी मुश्किल से नरेन्द्र मोदी को प्रोजेक्ट कर हीरो बनाया है, जिसके सहारे उसकी वैतरणी पार हो जाती, मगर अब केजरीवाल के एक नए हीरो के रूप में उभरने से कांग्रेस विरोधी वोटों में बंटवारा हो जाएगा। जैसा कि आम आदमी पार्टी घोषणा कर चुकी है कि वह लोकसभा चुनाव में बड़े पैमाने पर प्रत्याशी उतारेगी, भाजपा को चिंता है कि भाजपा के प्रभाव वाले शहरी क्षेत्रों में आम आदमी पार्टी उसको नुकसान पहुंचाएगी, भले ही उसके प्रत्याशी जीतने में कामयाब न हो पाएं। भाजपा की इसी चिंता का परिणाम है कि सोशल मीडिया पर आम आदमी पार्टी पर हमले वाले आइटमों की भरमार नजर आने लगी है। देखिए बानगी:-


दिल्ली में खुद काँग्रेस ने
करवाया अपना सुपडा साफ !
चार राज्यों के चुनाव में
कांग्रेस को करारी हार भले
ही मिली हो लेकिन
दिल्ली को लेकर भारत
कि राजनीति में काँग्रेस
रुपी विदेशी ताकतों ने बहोत
बडा गेम खेला हैं।
ये गेम
काँग्रेस ने अपनी पेदाईश "आप"
पार्टी को साथ लेकर खेला हैं।
बंदुक और निशाना काँग्रेस
(विदेशी ताकतों) का था,
कंधा कजरिवाल का वापरा गया और
लक्ष्य चुनाव 2014 ।
दिल्ली में "आप" पार्टी कि कोई
औकात नहीं थी कि वे इतनी सिटे
जित कर ले जाये जब तक
कि काँग्रेस अपनी लडाई से पिछे
ना हट पडे।
दिल्ली में काँग्रेस
हारी नहीं बल्कि काँग्रेस ने
खुद हार को गले लगाया और कजरीवाल
ने जित खुद के दम पर हाँसील
नहीं कि बल्कि काँग्रेस ने हर
तरह से "आप" को पैर पसारने
का मौका देकर जित दिलाई।
अब सवाल खडा होता हैं कि आखिर
इसके पिछे कि पुरी साजिश हैं
क्या....
ये एक बहोत बडा षडयंत्र
जो कि लंबी रणनिती के तहत
खेला गया हैं। इस षडयंत्र
को चुनाव के पहले सिर्फ
दिल्ली ही नहीं बल्कि देशभर में
किये गये तमाम सर्वेक्षणों के
नतिजों के बाद तयार
किया गया हैं।
हर तरह के चुनावी सर्वेक्षण में
हर राज्यों में काँग्रेस
की करारी हार सामने आ
ही रही हैं। लेकिन काँग्रेस
किसी भी तरह से अपनी इस "हार"
को बीजेपी के गले की "विजय"
माला बनने नहीं देना चाहती। और
जनता का मुड भी काँग्रेस
अच्छी तरह से भाँप चुकी हैं
कि किसी भी परिस्थिति में
जनता अब काँग्रेस को वोट
नहीं देने वाली।और नरेंद्र
मोदी के हाथ में देश कि कमान
काँग्रेस बर्दाश्त कर
ही नहीं सकती। लेकिन नरेंद्र
मोदी का तोड अब काँग्रेस के
जरीये निकलना असंभवसा हैं। इस
लिये काँग्रेस ने अब
अपनी रणनीती को बदलते हुवे
पैतरा ही बदल लिया।
दिल्ली में "आप" का कद बढवाकर
काँग्रेस ने कई निशाने साधे
हैं...
"आप" को जितवा कर काँग्रेस ने
कजरीवाल को हिरों बनाने
कि कोशिश कि हैं
सारे काँग्रेसी दलाल
मिडीया जिनको मजबुरी में
नरेंद्र मोदी का ही नाम
लेना पडता था वो अब कजरीवाल
को मोदी कि तुलना में
खडा करेंगे
विदेशी ताकतों ने पहले
ही कजरीवाल पर भारी भरकम
पैसा लगा रखा हैं अब
विदेशी पैसों पर ही पलने
वाला भांड मिडीया पुरी ताकत
लगाकर कजरीवाल को नरेंद्र
मोदी के टक्कर में खडा करने
कि कोशिश करेगा
इसका मतलब लोकसभा चुनाव में
जो वोट काँग्रेस से कट कर
बीजेपी को जा रहे थे अब उन्हे
कजरीवाल के खाते में
उतारा जायेगा
विदेशी ताकतों ने अपनी रखेल
काँग्रेस को अब नई खाल "आप"
पार्टी के रुप में उतार
दिया हैं
plz atention and high alert for। MISSION 2014 होशियार! होशियार! होशियार! यह
नरेंद्र मोदी कि बढती ताकत पर कठोर अंकुश लगाने का राष्ट्र विरोधी विदेशी ताकतों का बहोत
बडा गेम प्लान नजर आ रहा हैं। हमें हर किसी को होशियार करने कि सख्त आवश्यकता हैं।
जागो और जगाऔ, देश बचाऔ !!!
जय हिंद, जय भारत!
plz forward to all यह मेसेज सभी को भेजें
एक ही विकल्प मोदी लावो

गुरुवार, जनवरी 02, 2014

भाजपा का सिरदर्द बन गए केजरीवाल

कांग्रेस के लिए संकट पैदा करने के लिए अन्ना हजारे के आंदोलन को पीछे से समर्थन करने वाली भाजपा के लिए उसी आंदोलन से उपजी आम आदमी पार्टी अब सिरदर्द बन गई है। बड़ी मेहनत से गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करने वाली भाजपा को दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद लगने लगा है कि कहीं वह आगामी लोकसभा चुनाव में मोदी के प्रधानमंत्री बनने में बाधक न बन जाए। इसके स्पष्ट संकेत सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर मोदी व केजरीवाल की हो रही तुलनात्मक जंग से मिल  रहे हैं। यह एक खुला सत्य भी है कि चार राज्यों भाजपा की जीत का श्रेय जिस मोदी लहर को दिया जा रहा है, वह मोदी की अनेक सभाओं के बाद भी दिल्ली में कामयाब नहीं हो पाई।
असल में कांग्रेस के खिलाफ विपक्ष की भूमिका ठीक से न निभा पाने के कारण ही अन्ना हजारे को उभरने का मौका मिला और उन्होंने इतना तगड़ा आंदोलन चलाया कि एक बारगी पूरा देश उबलने लगा। यह भी सच है कि कांग्रेस को घेरने के लिए उस आंदोलन को पीछे से भाजपा ही सपोर्ट कर रही थी। हालांकि बाद में कई कारणों से आंदोलन तो कमजोर पड़ गया, मगर अन्ना के प्रमुख सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने अन्ना की असहमति के बावजूद एक नई राजनीतिक पार्टी बना ली। इस पार्टी को हल्के में ही लिया गया, मगर उसने दिल्ली विधानसभा चुनाव में ऐसा चमत्कार कर दिखाया कि सभी भौंचक्के रह गए। कांग्रेस का तो सूपड़ा साफ हो ही गया और भाजपा भी बहुमत से थोड़ा सा पीछे रह गई। किसी को भी स्पष्ट बहुमत न मिलने के कारण दुबारा चुनाव की नौबत आ गई, मगर कांग्रेस ने चतुराई से केजरीवाल को समर्थन दे कर उनकी सरकार बनने का रास्ता साफ कर दिया। जाहिर है इसके पीछे मोदी को आंधी को कमजोर करने की सोच है। हालांकि यह सरकार बैसाखियों पर ही टिकी हुई है, मगर उसे जितना भी समय मिलेगा, वह कुछ न कुछ नया करके अपना वर्चस्व बढ़ा लेगी।
दिल्ली में मिली सफलता के बाद अब आम आदमी पार्टी का अगला लक्ष्य लोकसभा चुनाव है। इसके लिए उसने जोरदार तैयारी शुरू कर दी है। ऐसे में भाजपा को यह डर सता रहा है कि अगर उसने चुनिंदा एक सौ सीटों पर भी अपने प्रत्याशी खड़े किए और उनमें से भले ही उसे कुछ पर ही जीत हासिल हो, मगर भाजपा का समीकरण जरूर बिगाड़ देगी। इसका सीधा सीधा अर्थ ये है कि केजरीवाल को जिस प्रकार मीडिया राजनीति के एक नए अवतार के रूप में प्रोजेक्ट कर रहा है, उससे कथित रूप से आंधी का रूप ले चुके मोदी का असर कम हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि कोई एक साल पहले बनी आम आदमी पार्टी ने 22 राज्यों में अपना नेटवर्क खड़ा कर लिया है। उसने गुजरात और कर्नाटक जैसे राज्यों में सभी लोकसभा सीटों पर लडऩे का ऐलान कर दिया है। भाजपा की  सोच है कि मोदी के सामने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी तो नहीं टिक पाएंगे, मगर 12 करोड़ नए युवा मतदाताओं पर केजरीवाल की उतनी ही पकड़ है, जितनी कि मोदी की। सोशल मीडिया पर अब तक मोदी ही छाये हुए थे, मगर सोशल मीडिया के माध्यम से ही आंदोलन चलाने वाले आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता भी बराबर की टक्कर दे रहे हैं। माना जा रहा है कि 150 शहरी सीटों पर सोशल मीडिया का प्रभाव रहेगा, जहां अब तक मोदी की ही पकड़ थी, मगर अब केजरवाल भी खम ठोक कर मैदान में उतर सकते हैं। इस मसले एक पहलु पर मतभिन्नता है, वो यह कि केजरीवाल मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़ जैसे भाजपा के गढ़ में सेंध लगा कर कांग्रेस विरोधी मतों को बांटेंगे या फिर दिल्ली विधानसभा चुनाव की तरह कांग्रेस को ही ज्यादा नुकसान पहुंचाएगी।
जानकार मानते हैं कि आम आदमी पार्टी को ज्यादा आशा दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और कनार्टक में है। भाजपा के प्रभाव वाले राजस्थान, मध्यप्रदेश गुजरात, छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तराखंड, गोवा, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और महाराष्ट्र में आम आदमी पार्टी को जोर आएगा।
राजस्थान में आप के तकरीबन 30 सदस्य हैं, मगर पार्टी का संगठित ढ़ांचा नहीं है। उधर छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में अभी तक शुरुआत भी नहीं कर पाई है। जहां तक उत्तर प्रदेश का सवाल है, वह भाजपा का गढ़ तो नहीं, मगर भाजपा को मोदी लहर के दम पर सफलता की उम्मीद है। लेकिन समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के बाद अब आम आदमी पार्टी भी वोटों को बांटेगी। वहां आम आदमी पार्टी ने पांच जोनल ऑफिस खोल लिए हैं। इसी प्रकार आम आदमी पार्टी ने हरियाणा के 21 में 18 जिलों में ऑफिस बना लिए हैं। ज्ञातव्य है कि केजरीवाल का पैतृक गांव हरियाणा के भिवानी में है और दूसरे वरिष्ठ नेता योगेंद्र यादव भी हरियाणा के रेवाड़ी से हैं। कर्नाटक की बात करें तो आम आदमी पार्टी ने 18 जिलों में अपनी इकाइयां गठित कर ली हैं। उत्तराखंड में राजधानी देहरादून सहित 13 जिलों में पार्टी की इकाइयां हैं। झारखंड के राजधानी रांची सहित 17 जिलों में पार्टी कार्यालय चल रहे हैं।
कुल मिला कर आम आदमी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में कई सीटों पर भाजपा को मिलने वाले कांग्रेस विरोधी वोटों में सेंध मार सकती है। अगर ऐसा हुआ तो मोदी के नाम पर सत्ता पर काबिज होने वाली भाजपा का सपना टूट सकता है।
-तेजवानी गिरधर