कभी अपनी सेना बनाने की घोषणा कर आलोचना होने पर पीछे हटने और बाद में अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने के संकेत लगातार देने वाले बाबा रामदेव ने हालांकि ऐसा तो कुछ नहीं किया, मगर अब भाजपा को खुला समर्थन देने की एवज में राजस्थान में अपने कुछ चहेतों को विधानसभा चुनाव की टिकटें देने के लिए दबाव बना रहे हैं। सूत्रों के अनुसार हाल ही उनकी प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्रीमती वसुंधरा राजे से हुई मुलाकात में भी इस पर चर्चा हुई है।
जानकारी के अनुसार पिछले कुछ समय से भाजपा की मुख्य धारा से कुछ अलग चल रहे वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी को उनका वरदहस्त है। इसीलिए तिवाड़ी को राजी करने के लिए वसुंधरा ने उनसे मध्यस्थता करने का आग्रह किया था। इसकी पुष्टि इस बात से होती है कि बाबा रामदेव से जब पूछा गया कि उनकी वसुंधरा से मुलाकात का सबब क्या है तो उन्होंने कहा कि इसके लिए राजे ने कई बार आमंत्रण दिया था। हालांकि उन्होंने मुलाकात को औपचारिक बताया, मगर मुलाकात कितनी औपचारिक थी, इसका खुलासा इसी बात से हो जाता है कि उन्होंने साफ कहा कि वसुंधरा और तिवाड़ी को मिल कर प्रदेश में सुशासन की तैयारी करनी चाहिए। उन्होंने स्वीकार किया कि वे दोनों के बीच तालमेल बैठाने की कोशिश कर रहे हैं। वसुंधरा को वे किस कदर समर्थन दे रहे हैं, इसका अंदाजा उनके इस कथन से हो जाता है कि इस प्रदेश को वसुंधरा राजे जैसे ओजस्वी, साहसी और पराक्रमी मुख्यमंत्री की आवश्यकता है। जानकारी के अनुसार वे वसुंधरा के लिए प्रचार करने की एवज में अपनी पसंद के कुछ नेताओं को टिकट दिलवाना चाहते हैं। हाल ही में हुई मुलाकात में इसी पर चर्चा हुई बताई। यह स्वाभाविक भी है। बेशक कांग्रेस उनकी दुश्मन नंबर वन है, सो देशभर में उसकी खिलाफत अपने एजेंडे के तहत कर रहे हैं, मगर भाजपा के लिए अपने चेहरे का इस्तेमाल करने के प्रतिफल के रूप में वे कुछ हासिल भी करना चाहते हैं।
आने वाले चुनाव में वे किस प्रकार सक्रिय होंगे, इसका भान उनके इस कथन से हो जाता है कि देश में सत्ता परिवर्तन के लिए वन बूथ इलेवन यूथ जरूरी है। अर्थात वे चुनाव में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपनी टीम भी उपलब्ध करवाने जा रहे हैं। राजस्थान में कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनाने की उनकी योजना का खुलासा उनके इस कथन से हो गया कि जिस तरह से देश में प्रधानमंत्री चुप है, वहीं राजस्थान में सीएम चार साल में नहीं दिखे। इन्हें भी कोई और ही संचालित कर रहा है। प्रदेश में कुशासन है, जिसके चलते आम जनता आहत है। प्रदेश में केन्द्र की तरह राज और कोई ही चला रहा है, सीएम तो डमी मात्र है।
ज्ञातव्य है कि योग गुरू के रूप में प्रतिष्ठा हासिल करने के बाद उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा इतनी बलवती हो गई थी कि उन्होंने सीधे दिल्ली पर ही धावा बोल दिया था। वहां मुंह की खाने के बाद से इतने बिफरे हुए हैं कि हर वक्त कांग्रेस के खिलाफ आग उगलते रहते हैं। कई बार तो उनकी शब्दावली राजनेताओं से भी घटिया हो जाती है। कांग्रेस और विशेष रूप से नेहरू-गांधी खानदान की छीछालेदर करना उनका एक सूत्रीय अभियान है। हाल ही जयपुर आए तब भी उनका यही कहना था कि नेहरू खानदान ने हिन्दुस्तान को अपनी जागीर समझ रखा है। भाजपा के लिए उनका अभियान चुनावी दृष्टि से मुफीद रहेगा, लिहाजा इसकी एवज में कुछ टिकटें उनके चरणों में समर्पित की जाती हैं, तो उसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
-तेजवानी गिरधर
जानकारी के अनुसार पिछले कुछ समय से भाजपा की मुख्य धारा से कुछ अलग चल रहे वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी को उनका वरदहस्त है। इसीलिए तिवाड़ी को राजी करने के लिए वसुंधरा ने उनसे मध्यस्थता करने का आग्रह किया था। इसकी पुष्टि इस बात से होती है कि बाबा रामदेव से जब पूछा गया कि उनकी वसुंधरा से मुलाकात का सबब क्या है तो उन्होंने कहा कि इसके लिए राजे ने कई बार आमंत्रण दिया था। हालांकि उन्होंने मुलाकात को औपचारिक बताया, मगर मुलाकात कितनी औपचारिक थी, इसका खुलासा इसी बात से हो जाता है कि उन्होंने साफ कहा कि वसुंधरा और तिवाड़ी को मिल कर प्रदेश में सुशासन की तैयारी करनी चाहिए। उन्होंने स्वीकार किया कि वे दोनों के बीच तालमेल बैठाने की कोशिश कर रहे हैं। वसुंधरा को वे किस कदर समर्थन दे रहे हैं, इसका अंदाजा उनके इस कथन से हो जाता है कि इस प्रदेश को वसुंधरा राजे जैसे ओजस्वी, साहसी और पराक्रमी मुख्यमंत्री की आवश्यकता है। जानकारी के अनुसार वे वसुंधरा के लिए प्रचार करने की एवज में अपनी पसंद के कुछ नेताओं को टिकट दिलवाना चाहते हैं। हाल ही में हुई मुलाकात में इसी पर चर्चा हुई बताई। यह स्वाभाविक भी है। बेशक कांग्रेस उनकी दुश्मन नंबर वन है, सो देशभर में उसकी खिलाफत अपने एजेंडे के तहत कर रहे हैं, मगर भाजपा के लिए अपने चेहरे का इस्तेमाल करने के प्रतिफल के रूप में वे कुछ हासिल भी करना चाहते हैं।
आने वाले चुनाव में वे किस प्रकार सक्रिय होंगे, इसका भान उनके इस कथन से हो जाता है कि देश में सत्ता परिवर्तन के लिए वन बूथ इलेवन यूथ जरूरी है। अर्थात वे चुनाव में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपनी टीम भी उपलब्ध करवाने जा रहे हैं। राजस्थान में कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनाने की उनकी योजना का खुलासा उनके इस कथन से हो गया कि जिस तरह से देश में प्रधानमंत्री चुप है, वहीं राजस्थान में सीएम चार साल में नहीं दिखे। इन्हें भी कोई और ही संचालित कर रहा है। प्रदेश में कुशासन है, जिसके चलते आम जनता आहत है। प्रदेश में केन्द्र की तरह राज और कोई ही चला रहा है, सीएम तो डमी मात्र है।
ज्ञातव्य है कि योग गुरू के रूप में प्रतिष्ठा हासिल करने के बाद उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा इतनी बलवती हो गई थी कि उन्होंने सीधे दिल्ली पर ही धावा बोल दिया था। वहां मुंह की खाने के बाद से इतने बिफरे हुए हैं कि हर वक्त कांग्रेस के खिलाफ आग उगलते रहते हैं। कई बार तो उनकी शब्दावली राजनेताओं से भी घटिया हो जाती है। कांग्रेस और विशेष रूप से नेहरू-गांधी खानदान की छीछालेदर करना उनका एक सूत्रीय अभियान है। हाल ही जयपुर आए तब भी उनका यही कहना था कि नेहरू खानदान ने हिन्दुस्तान को अपनी जागीर समझ रखा है। भाजपा के लिए उनका अभियान चुनावी दृष्टि से मुफीद रहेगा, लिहाजा इसकी एवज में कुछ टिकटें उनके चरणों में समर्पित की जाती हैं, तो उसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
-तेजवानी गिरधर
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