पार्टी लाइन से हट कर चल रहे जयपुर की सांगानेर सीट के वरिष्ठ भाजपा विधायक घनश्याम तिवाड़ी को आखिर राष्ट्रीय अनुशासन समिति की ओर से अनुशासनहीनता का नोटिस जारी कर दिया। समिति के अध्यक्ष गणेशीलाल ने यह कार्यवाही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अशोक परनामी की शिकायत पर की है और दस दिन में जवाब मांगा है।
नोटिस में गौर करने लायक बात ये है कि उसमें साफ तौर कहा गया है कि वे पिछले दो साल से लगातार पार्टी विरोधी गतिविधियों एवं पार्टी के विरुद्ध बयानबाजी करने में संलग्न हैं। पार्टी द्वारा आयोजित बैठकों में वे उपस्थित नहीं हो रहे और विपक्षी दलों के साथ मिलकर मंच साझा कर रहे हैं। इसके साथ ही नोटिस में यह भी बताया गया है कि वे समानांतर राजनीतिक दल का गठन करने के प्रयास में जुटे हैं।
सवाल ये उठता है कि दो साल तक पार्टी उनको क्यों झेलती रही? दो साल का वक्त बहुत होता है। इस दरम्यान अनेक बार उनकी गतिविधियों व बयानों से पार्टी की किरकिरी हो चुकी है। यदि भाजपा की सरकार सीमित बहुमत वाली होती तो भी समझ में आ सकता था कि पार्टी उनको खोने का खतरा मोल नहीं लेना चाहती, मगर भाजपा तो प्रचंड बहुमत के साथ सरकार चला रही है। केन्द्र में भी भाजपा सरकार है। ऐसे इक्का दुक्का नेता अगर पार्टी छोड़ कर चले जाएं या निकाल दिए जाएं तो बहुत बड़ा नुकसान नहीं होगा। ऐसे में पार्टी को उनके बारे निर्णय करने में इतना वक्त क्यों लगा, यह चौंकाता तो है?
ऐसा प्रतीत होता है कि पार्टी हाईकमान काफी सोच विचार के बाद इस पार या उस पार वाली स्थिति में आया है। अभी चुनाव दूर हैं। अगर पार्टी को उनको खोना पड़ता है तो उनकी वजह से होने वाले नुकसान की भरपाई करने के लिए पर्याप्त वक्त है। अगर अब भी कार्यवाही नहीं की जाती है तो इससे अन्य असंतुष्टों के हौसले बुलंद हो सकते हैं।
बहरहाल, अब देखने वाली बात ये है कि घनश्याम तिवाड़ी क्या जवाब देते हैं और क्या पार्टी की अनुशासन समिति उनके जवाब से संतुष्ट होती है या नहीं। अगर उनको पार्टी से निकालने की नौबत आती है तो निश्चित रूप से राज्य में भाजपा के समीकरण में कुछ बदलाव आएगा। इसके अतिरिक्त यह भी साफ हो जाएगा कि कौन उनके साथ है और पार्टी के साथ। बाकी एक बात जरूर है कि आज जब कि पार्टी अच्छी स्थिति में है, उसके बाद भी तिवाड़ी ने जो दुस्साहस दिखाया है तो वह गौर करने लायक है।
ज्ञातव्य है कि भाजपा के वरिष्ठ विधायक घनश्याम तिवाड़ी अपने बेटे अखिलेश तिवाड़ी के नेतृत्व में नई पार्टी दीनदयाल वाहिनी का गठन करने में जुटे हैं।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
नोटिस में गौर करने लायक बात ये है कि उसमें साफ तौर कहा गया है कि वे पिछले दो साल से लगातार पार्टी विरोधी गतिविधियों एवं पार्टी के विरुद्ध बयानबाजी करने में संलग्न हैं। पार्टी द्वारा आयोजित बैठकों में वे उपस्थित नहीं हो रहे और विपक्षी दलों के साथ मिलकर मंच साझा कर रहे हैं। इसके साथ ही नोटिस में यह भी बताया गया है कि वे समानांतर राजनीतिक दल का गठन करने के प्रयास में जुटे हैं।
सवाल ये उठता है कि दो साल तक पार्टी उनको क्यों झेलती रही? दो साल का वक्त बहुत होता है। इस दरम्यान अनेक बार उनकी गतिविधियों व बयानों से पार्टी की किरकिरी हो चुकी है। यदि भाजपा की सरकार सीमित बहुमत वाली होती तो भी समझ में आ सकता था कि पार्टी उनको खोने का खतरा मोल नहीं लेना चाहती, मगर भाजपा तो प्रचंड बहुमत के साथ सरकार चला रही है। केन्द्र में भी भाजपा सरकार है। ऐसे इक्का दुक्का नेता अगर पार्टी छोड़ कर चले जाएं या निकाल दिए जाएं तो बहुत बड़ा नुकसान नहीं होगा। ऐसे में पार्टी को उनके बारे निर्णय करने में इतना वक्त क्यों लगा, यह चौंकाता तो है?
ऐसा प्रतीत होता है कि पार्टी हाईकमान काफी सोच विचार के बाद इस पार या उस पार वाली स्थिति में आया है। अभी चुनाव दूर हैं। अगर पार्टी को उनको खोना पड़ता है तो उनकी वजह से होने वाले नुकसान की भरपाई करने के लिए पर्याप्त वक्त है। अगर अब भी कार्यवाही नहीं की जाती है तो इससे अन्य असंतुष्टों के हौसले बुलंद हो सकते हैं।
बहरहाल, अब देखने वाली बात ये है कि घनश्याम तिवाड़ी क्या जवाब देते हैं और क्या पार्टी की अनुशासन समिति उनके जवाब से संतुष्ट होती है या नहीं। अगर उनको पार्टी से निकालने की नौबत आती है तो निश्चित रूप से राज्य में भाजपा के समीकरण में कुछ बदलाव आएगा। इसके अतिरिक्त यह भी साफ हो जाएगा कि कौन उनके साथ है और पार्टी के साथ। बाकी एक बात जरूर है कि आज जब कि पार्टी अच्छी स्थिति में है, उसके बाद भी तिवाड़ी ने जो दुस्साहस दिखाया है तो वह गौर करने लायक है।
ज्ञातव्य है कि भाजपा के वरिष्ठ विधायक घनश्याम तिवाड़ी अपने बेटे अखिलेश तिवाड़ी के नेतृत्व में नई पार्टी दीनदयाल वाहिनी का गठन करने में जुटे हैं।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
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