अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह की जियारत के नाम पर बिना वीजा के पाकिस्तानियों के आने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही दो पाकिस्तानी नागरिकों का पुष्कर आ कर लौट जाना और उसके बाद उनके आने का खुलासा होना यह साबित करता है कि अजमेर की पुलिस व खुफिया एजेंसियों ने मुंबई ब्लास्ट के मास्टर माइंड डेविड कॉलमेन हेडली के पुष्कर की रेकी करके चले जाने वाली सनसनीखेज घटना से कोई सबक नहीं लिया है। इस ताजा घटना से पुलिस तंत्र की नाकामी साफ साबित हो रही है। अब जिस होटल में वे पाक नागरिक ठहरे थे, उसके प्रबंधन व पुलिस एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं।
ज्ञातव्य है कि 10 दिसम्बर को मुम्बई पहुंचे करांची निवासी इम्तियाज हुसैन और लाहौर निवासी जमशेख बशीर भाटी के पास 7 दिन का वैध वीजा था। इसके तहत वे मुम्बई, आगरा और अजमेर घूम सकते थे, लेकिन ये लोग भारतीय नियमों को धत्ता बताते हुए पुष्कर के अनन्ता होटल में आकर वापस चले गये। गौरतलब है कि विश्व का एक मात्र ब्रह्मा मंदिर और इजरायलियों का धर्म स्थल बेद खबाद आतंकियों के निशाने पर हैं। इसके बावजूद सुरक्षा को लेकर ना तो पुलिस गंभीर है न ही गुप्तचर एजेंसियां।
यहां उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व भी बिना वीजा के अजमेर व पुष्कर में पाक नागरिकों के आने की अनेक घटनाएं हो चुकी हैं। कितने अफसोस की बात है कि एक ओर बम विस्फोट के बाद दरगाह को और अधिक संवेदनशील माना जा रहा है और सुरक्षा के कड़े इंतजाम करने के दावे किए जाते हैं, दूसरी ओर पाकिस्तानी नागरिक बिना वीजा के बड़ी आसानी से यहां चले आते हैं। दावे चाहे जो किए जाएं, मगर न तो हमने दरगाह बम विस्फोट से सबक लिया है और न ही मुंबई ब्लास्ट के मास्टर माइंड व देश में आतंकी हमले करने का षड्यंत्र रचने के आरोप में अमेरिका में गिरफ्तार डेविड कॉलमेन हेडली के सीआईडी की आंख में सुरमा डालने से कुछ सीखा है। हेडली मामले में तो पुलिस तंत्र की बड़ी किरकिरी हुई थी।
ज्ञातव्य है कि 10 दिसम्बर को मुम्बई पहुंचे करांची निवासी इम्तियाज हुसैन और लाहौर निवासी जमशेख बशीर भाटी के पास 7 दिन का वैध वीजा था। इसके तहत वे मुम्बई, आगरा और अजमेर घूम सकते थे, लेकिन ये लोग भारतीय नियमों को धत्ता बताते हुए पुष्कर के अनन्ता होटल में आकर वापस चले गये। गौरतलब है कि विश्व का एक मात्र ब्रह्मा मंदिर और इजरायलियों का धर्म स्थल बेद खबाद आतंकियों के निशाने पर हैं। इसके बावजूद सुरक्षा को लेकर ना तो पुलिस गंभीर है न ही गुप्तचर एजेंसियां।
यहां उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व भी बिना वीजा के अजमेर व पुष्कर में पाक नागरिकों के आने की अनेक घटनाएं हो चुकी हैं। कितने अफसोस की बात है कि एक ओर बम विस्फोट के बाद दरगाह को और अधिक संवेदनशील माना जा रहा है और सुरक्षा के कड़े इंतजाम करने के दावे किए जाते हैं, दूसरी ओर पाकिस्तानी नागरिक बिना वीजा के बड़ी आसानी से यहां चले आते हैं। दावे चाहे जो किए जाएं, मगर न तो हमने दरगाह बम विस्फोट से सबक लिया है और न ही मुंबई ब्लास्ट के मास्टर माइंड व देश में आतंकी हमले करने का षड्यंत्र रचने के आरोप में अमेरिका में गिरफ्तार डेविड कॉलमेन हेडली के सीआईडी की आंख में सुरमा डालने से कुछ सीखा है। हेडली मामले में तो पुलिस तंत्र की बड़ी किरकिरी हुई थी।
बिना वीजा-पासपोर्ट के अजमेर आने वालों का सिलसिला काफी लंबा है। अब तक अनेक पाकिस्तानी व बांग्लादेशी पकड़े जा चुके हैं, मगर इस समस्या का कोई समाधान नहीं निकाला जा सका है। पकड़े गए घुसपैठिये तो रिकार्ड पर हैं, पर जो नहीं पकड़े जा सके हैं, उनका तो अनुमान ही लगाना कठिन है। ज्यादा चौंकाने वाली बात तो ये है कि अपराधी किस्म के या मकसद विशेष के लिए अजमेर आने वाले तो चलो शातिर हैं, मगर केवल जियारत के मकसद से भी यहां बड़ी आसानी से पहुंच रहे हैं। स्पष्ट है कि न तो सीमा पर पूरी चौकसी बरती जा रही है और न ही अजमेर जैसे संवेदनशील स्थान के बारे में पुलिस गंभीर है। रहा सवाल सरकार का तो वह भी सख्त नजर नहीं आती है। जरूर इस प्रकार बिना वीजा-पासपोर्ट के पाकिस्तान या बांग्लादेश से आने वालों पर अंकुश लगाने के लिए प्रावधान लचीले हैं, तभी तो घुसपैठियों में कोई खौफ नहीं है।
बहरहाल, इस प्रकार लगातार बढ़ती जा रही धुसपैठ की घटनाओं से अंदेशा यही है कि अजमेर में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। कोई आतंकी भी इस प्रकार बिना पासपोर्ट व वीजा के अजमेर या पुष्कर पहुंच जाएगा और वह कोई हरकत कर गायब हो जाएगा और पुलिस हाथ ही मलती रह जाएगी।
-तेजवानी गिरधर
बहरहाल, इस प्रकार लगातार बढ़ती जा रही धुसपैठ की घटनाओं से अंदेशा यही है कि अजमेर में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। कोई आतंकी भी इस प्रकार बिना पासपोर्ट व वीजा के अजमेर या पुष्कर पहुंच जाएगा और वह कोई हरकत कर गायब हो जाएगा और पुलिस हाथ ही मलती रह जाएगी।
-तेजवानी गिरधर
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