पिछले विधानसभा चुनाव में बड़ी मशक्कत के बाद छह विधायकों की जीत के साथ राजस्थान में अच्छी एंट्री करने वाली बसपा इस बार दुगुने उत्साह के साथ चुनाव मैदान में उतरने जा रही है। साथ ही प्रत्याशियों के चयन में फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। चयन करने में पूरी सावधानी बरती जा रही है और पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को ही आगे लाने पर ध्यान दिया जा रहा है। ज्ञातव्य है कि पिछली बार छहों बसपा विधायकों ने पार्टी के साथ दगा कर कांग्रेस की शरण ले ली, जिससे पार्टी को एक बड़ा झटका लग गया। हालांकि संगठन का ढ़ांचा जरूर बच गया, मगर कहने भर तक को उसका एक भी विधायक विधानसभा में नहीं रहा था। इससे सबक लेते हुए इस बार पूरी सावधानी बरती जा रही है। साथ ही पिछले चुनाव के अनुभवी प्रत्याशियों पर अपने भरोसे को कायम रखते हुए उन्हें आगामी चुनाव के लिए फिर से एक मौका दिया जा रहा है।
पार्टी अच्छी तरह से जानती है कि भले ही आज उसका एक भी विधायक नहीं है, मगर उसका जनाधार अब भी कायम है। बसपा का राजस्थान में कितना जनाधार है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले चुनाव में बसपा ने 199 प्रत्याशी मैदान में उतारे थे, जिनमें से 53 सीटें ऐसी थीं, जिनमें बसपा ने 10 हजार से अधिक वोट हासिल किए थे। छह पर तो बाकायदा जीत दर्ज की और बाकी 47 सीटों पर परिणामों में काफी उलट-फेर कर दिया। अपने वोट बैंक के दम पर बसपा ने फिर से चुनाव मैदान में आने का आगाज कर दिया है और पूर्वी राजस्थान के लिए सबसे पहले 29 प्रत्याशियों की घोषणा करके अपने चुनावी पत्ते खोल दिए हैं। चुनाव से तकरीबन छह माह पहले कुछ प्रत्याशियों की घोषणा इस बात का प्रमाण है कि पार्टी ने पिछले झटके से हताश होने की बजाय अतिरिक्त आत्मविश्वास पैदा किया है। ऐसा करके उसने अन्य पार्टियों व राजस्थान की जनता को यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह पिछले झटके से पूरी तरह उबर चुकी है और दुगुने उत्साह के साथ मैदान में आ डटी है। पार्टी का मानना है कि समय से पहले घोषित हुए प्रत्याशियों को चुनाव प्रचार का भरपूर मौका मिलेगा। बसपा सुप्रीमो मायावती को उम्मीद है कि पदोन्नति में आरक्षण के लिए सतत प्रयत्नशील रहने के कारण बसपा के वोट बैंक में और इजाफा होगा, जिसे वे किसी भी सूरत में गंवाना नहीं चाहेंगी। लक्ष्य यही है कि किसी भी प्रकार दस-बीस सीटें हासिल कर ली जाएं, ताकि बाद में सरकार के गठन के वक्त नेगोसिएशन किया जा सके।
बसपा का ध्यान इस दफा युवा और महिला वर्ग पर है। इन वर्गों को अधिकाधिक टिकट देकर सत्ता संतुलन करने का प्रयास है। इसके लिए जिलेवार कार्यकत्र्ताओं के सम्मेलन आयोजित कर अपनी पकड़ को अधिक मजबूत करने की कोशिश की जा रही है। पूर्वी राजस्थान में 29 टिकटों की घोषणा के बाद प्रदेश की शेष विधानसभा सीटों के लिए मई माह में प्रत्याशियों की घोषणा की जाएगी। बसपा के प्रदेशाध्यक्ष भगवान सिंह बाबा पूरे आत्म विश्वास से भरे हुए हैं और उनका मानस है कि प्रदेश की सभी 200 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा जाए।
ये हैं अब तक घोषित उम्मीदवार
करणपुर से जसविन्दर सिंह, सूरतगढ़ से बसपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डूंगर राम गैदर, अनूपगढ़ से हरीश सांवरिया, भादरा से सुखदेव सिंह शेखावत, सादुलपुर राजगढ़ चुरू से मनोज सिंह न्यांगली, पूर्व विधायक सुरेश मीणा करौली, हनुमानगढ़ से मनीराम, मंडावा से प्यारेलाल ढूकिया, खेतड़ी से पूरण सैनी, तिजारा से फजल हुसैन, किशनगढ़बास से सपात खान, बानसूर से हवा सिंह गुर्जर, अलवर ग्रामीण से अशोक वर्मा, रामगढ़ से फजरू खान, बाड़ी से दौलत सिंह कुशवाह, कठूमर से श्रीमती कमला, बैर से अतर सिंह, बयाना से मुन्नी देवी दुबेश, धौलपुर से बी.एल.कुशवाह, टोडाभीम से हरीओम मीणा, करौली से सुरेश मीणा, बांदीकुई से राजकुमारी गुर्जर, ओसियां से उमराव जोधा, राजाखेड़ा से विजेन्द्र शर्मा, नदबई से घनश्याम कटारा, नगर से सुदेश गुर्जर, भरतपुर से दलबीर सिंह, जालोर से मांगीलाल परिहार, सिवाना से विजयराज देवासी और कुम्भलगढ़ से धीरज गुर्जर चुनाव मैदान में उतरेंगे।
-तेजवानी गिरधर
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