इस सिलसिले मैने ज्योतिष में रुचि रखने कुछ लोगों से चर्चा की तो उन्होंने कुछ अलग ही मत प्रकट किया। उनका कहना था कि यदि किसी आदमी की जन्म कुंडली में दो शादियों का योग हो, तो भी अंत्येष्टि में भाग लेने के बाद दूसरी शादी का योग नष्ट हो जाता है। उसके बाद यदि वह चाहे तो भी उसकी दूसरी शादी नहीं हो सकती। अगर अंत्येष्टि में भाग नहीं लेता तो वैवाहिक संभावना का वर्तुल अधूरा ही रह जाता है, वैक्यूम रह जाता है और वह दूसरी शादी कर सकता है। उसमें बाधा नहीं आती। एक अन्य जानकार ने अलग ही मिथ बताया। वो यह कि जब पति अंत्येष्टि के दौरान उपस्थित नहीं होता तो देह संस्कार के दौरान पत्नी की आत्मा को पति के न दिखाई देने पर उससे संबंध विच्छेद हो जाता है। ऐसे में जब वह दूसरी शादी करता है तो पूर्व पत्नी की आत्मा उसे परेशान नहीं करती। वैसे इसके अपवाद भी हैं कि किसी को पत्नी की अंत्येष्टि में भाग लेने से मना किया गया, मगर वह नहीं माना। बाद में उसकी दुबारा शादी हो गई।
https://www.youtube.com/watch?v=rRmcMEuplmo&t=79s
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