तीसरी आंख

जिसे वह सब दिखाई देता है, जो सामान्य आंखों से नहीं दिखाई देता है

सोमवार, जुलाई 23, 2012

बच कर रहिये, बड़े धोखे हैं इंटरनेट पर


सूचना प्राद्यौगिकी और बढ़ते संचार माध्यमों के बीच एक ओर जहां पूरा विश्व एक ग्लोबल विलेज की शक्ल अख्तियार करता जा रहा है और इंटरनेट पर ज्ञान-विज्ञान और मनोरंजन हर शख्स के लिए उपलब्ध है, वहीं दुनियाभर की बुराइयां भी उसी के साथ हमारे जीवन में प्रवेश करती जा रही हैं। यह एक सार्वभौमिक सत्य है कि मनुष्य बुराई की ओर ज्यादा आकर्षित होता। यही सत्य इंटरनेट पर भी लागू होता है। इंटरनेट पर जहां इक्कीसवीं सदी तक की हर फील्ड की अपडेट जानकारी मौजूद है, वहीं दुनियाभर में सैक्स और आर्थिक अपराध की पराकाष्टा इसी पर लुभा रही है। हमारे देश की ऊर्जा से लबरेज युवा पीढ़ी को जहां दुनिया से कदम से कदम मिला कर चलने की दरकार है, वह भ्रमित हो कर इंटरनेट पर हो रही चैटिंग और कुंठित सैक्स के मार्ग पर फिसल रही है। युवा ही नहीं अधेड़ तक पथभ्रष्ट हो कर अपना समय और पैसा बर्बाद कर रहे हैं।
असल में इंटरनेट के सर्वत्र उपलब्ध होने और बढ़ते नए प्रयोगों के कारण चालाक व अपराधी किस्म के लोगों को अपनी जालसाजी फैलाने और उसमें शिकार को फंसाना आसान हो गया है। यही वजह है कि इंटरनेट पर छल-कपट दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है। यदि वक्त रहते हम सचेत नहीं हुए और इंटरनेट पर व्याप्त फरेब से बचने का इंतजाम नहीं किया तो बाद में हमें बहुत पछताना होगा।
इंटरनेट पर सबसे बड़ी समस्या यह है कि कोई भी साइट खोलिये, उसमें विज्ञापनों की शक्ल में चैटिंग, खुले सैक्स और कम समय में ज्यादा कमाने के आमंत्रण मिल ही जाएंगे। उनका प्रदर्शन भी ऐसा होता है कि कोई यूजर उसकी ओर आकर्षित हुए बिना नहीं रहता। ऐसे विज्ञापन पर उसने क्लिक किया नहीं कि वह उसमें फंसता ही चला जाता है। नेट पर धोखा देने वाले अनगिनत प्रोग्राम मौजूद हैं, जो कम्प्यूटर उपभोक्ताओं को बेवकूफ बना कर पैसा वसूलने का काम करते हैं। इन विज्ञापनों में कहा तो यही जाता है कि आप अपने बारे में, पासवर्ड और क्रेडिट कार्ड नंबर की जो जानकारी दे रहे हैं, वह सुरक्षित है, मगर वस्तुस्थिति ये है कि वे सब जानकारियां चालाक प्रोग्रामरों तक पहुंचा दी जाती हैं, जो कि बाद में आपको नुकसान पहुंचाते हैं।
धोखा देने वाले प्रोग्राम तैयार ही इस प्रकार किए जाते हैं कि सामान्य उपभोक्ता उसके चक्कर में आ ही जाता है। मान लीजिए आपने जिज्ञासा के चलते किसी साइट का लिंक खोला तो उसमें एक पॉप-अप विंडो प्रकट हो जाता है, जो आपके कम्प्यूटर को वायरस के लिए ऑनलाइन स्कैन करता है। वह आपको बताएगा कि आपके कम्प्यूटर में वायरस हैं और आपको उन्हें हटाने के लिए एंटी वायरस की जरूरत है। और तो और वह एनीमेटेड जिप फाइल के जरिए यह भी बता देगा कि आपके सिस्टम में कितने प्रकार के वायरस हैं। जबकि वस्तुस्थिति ये होती है कि आपके सिस्टम पर कोई वासरस नहीं है। धोखे में आ कर आप एंटी वायरस को के्रडिट कार्ड के जरिए खरीद लेंगे। बाद में पता लगेगा कि वह एंटी वायरस तो पूरी तरह से फर्जी है। कुछ चालाक प्रोग्रामर आपको फ्रीवेयर प्रोग्रामों की लोकप्रियता की आड़ में यूजर्स को फंसाते हैं।
 इसी प्रकार दुनियाभर में मित्रता बढ़ाने वाले नेट वर्किंग प्रोग्रामों पर भी सैक्स रेकेट ने कब्जा कर रखा है। एक बार केवल उनको आपके ईमेल का पता लग जाए तो वे बार-बार आपको मित्रता के लिए प्रेरित करेंगे और आपको फंसा कर ही रहेंगे। वे इसके लिए मानवीय संवेदनाओं को भुनाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से जाल बुनते हैं। वे खूबसूरत लड़कियों के फोटो दिखा कर उनकी किसी परेशानी का जिक्र कर मदद करने का आग्रह करते हैं। यहां तक कि लाइफ पार्टनर बनने तक पेशकश करते हैं। विशेष रूप से सेनगल के रिफ्यूजी कैंप के जरिए अनेक लड़कियों के नाम से गोरखधंधा खूब पनप रहा है। इसमें लड़कियों के नाम से बताया जाता है कि वे एक बड़े सैन्य अधिकारी की बेटी है और युद्ध अथवा आतंकवादियों से मुठभेड़ में उनके पिता की मृत्यु हो चुकी है। उनके पिता के नाम पर अमुक बैंक में इतने करोड़ रुपए जमा हैं, जिसकी उत्तराधिकारी वे अकेली हैं। मगर जब तक कोई उनका लाइफ पार्टनर न हो वह पैसा बैंक से नहीं निकाला जा सकता। ऐसा करके वे ऑफर करती हैं कि यदि वे कहने भर को भी लाइफ पार्टनर बन जाएं तो उन्हें बैंक से पैसा निकलने के बाद इतना प्रतिशत का भुगतान कर देंगी। बाकायदा संबंधित बैंक से इंटरनेट पर ही उसका वेरिफिकेशन कराया जाता है। लड़की के प्रति सहज आकर्षण और पैसे की लालच में आ कर यूजर फंस जाता है। वह लाइफ पार्टनर बन कर बैंक से संपर्क करता है। बैंक उसे किसी वकील से संपर्क करने और उसकी फीस व बैंक से विड्रॉल की फीस पहले भेजने की ऑफर देता है। फीस की राशि कम से पांच-दस लाख रुपए तक होती है, मगर यूजर उसके एवज में एक-दो करोड़ रुपए कमाने की लालच में वह पैसा नेट के जरिए अपनी बैंक से भेज देता है। बाद में पता लगता है कि न तो लड़की असली थी, न उसका सर्टिफिकेट असली था और न ही बैंक असली था। बाद में पछतावे के सिवाय कुछ नहीं बचता।
इसी प्रकार कई कॉल गल्र्स ने इंटरनेट के जरिए अपना कारोबार फैला रखा है। वे अमूमन सभी फ्रेंड नेटवर्किंग साइट्स पर मौजूद हैं और पहले चैटिंग करती हैं और उसके बाद डेटिंग तय कर आपको लूट लेती हैं। सर्वाधिक लोकप्रिय साइट फेसबुक पर भी यही हाल है। यदि आपका उसमें अकाउंट है तो खूबसूरत चेहरों वाली महिलाएं आपको फें्रड रिक्वेस्ट भेजेंगी और बाद में आपसे दोस्ती बढ़ा कर आपको लूटने की कोशिश करेंगी। इनमें कई तो फर्जी अकाउंट होते हैं, जो कि संचालित तो पुरुष करते हैं और नाम फोटो महिला का होता है। इनमें अधिकतर इंडोनेशिया व चीन के हैं। इसके अतिरिक्त कई साइट्स ऐसी हैं, जहां फ्री सैक्स से संबंधित वीडियो मौजूद हैं, जिन्हें देख कर युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही है।
अहम सवाल ये है कि इंटरनेट पर इस प्रकार की गतिविधियों पर अंकुश के लिए क्या किया गया है। सच्चाई तो ये है कि धोखाधड़ी से निपटने के लिए अभी तक कोई पुख्ता कानून बना हुआ नहीं है। विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भिन्न देशों के बीच कानूनों की भिन्नता का चालाक प्रोग्रामर फायदा उठा रहे हैं। मान लीजिए कोई धोखेबाज भारत में बैठ कर अंग्रेजी में कोई साइट बना कर उससे इंग्लैंड के लोगों को फंसाए तो इंग्लैंड में उसके खिलाफ कार्यवाही करने में अनेक कानूनी अड़चनें आ जाएंगी। ऐसी ही दिक्कते वहां भी आती हैं, जहां प्रत्यर्पण संधि नहीं है। अत: बेहतर यही है कि हम स्वयं सचेत रहें और इंटरनेट पर मौजूद फरेब के जाल से अपने आपको बचा कर रखें।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
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