तीसरी आंख

जिसे वह सब दिखाई देता है, जो सामान्य आंखों से नहीं दिखाई देता है

रविवार, मई 07, 2017

राजस्थान में जीत के लिए भाजपा अपनाएगी कई हथकंडे

तेजवानी गिरधर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लहर पर सवार भाजपा राजस्थान में किसी भी सूरत में सत्ता पर फिर काबिज होने के लिए कई हथकंडे अपनाएगी। आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की रणनीति क्या होगी, यह भले ही अभी तक गोपनीय है, मगर भाजपा की ओर से साफ तौर पर इशारे आ रहे हैं कि वह तकरीबन डेढ़ साल पहले ही कमर कसना शुरू कर चुकी है।
असल में भाजपा को यह ख्याल में है कि मोदी लहर के बावजूद इस बार राजस्थान में एंटी एस्टेब्लिशमेंट फैक्टर भी काम करेगा। हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश व पंजाब इसके ज्वलंत उदाहरण हैं। विशेष रूप से राजस्थान के बारे में यह धारणा सी बन गई है कि यहां की जनता हर पांच साल बाद सत्ता की पलटी कर देती है। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे का मौजूदा कार्यकाल उनके पिछले कार्यकाल की तुलना में अपेक्षाकृत कमजोर रहा है, इस कारण आम धारणा है कि मतदाता उनके चमकदार चेहरे के आकर्षण में नहीं आएगा। ऐसे में वह अभी से जीत की कुंडली बनाने में जुट गई है। इसी सिलसिले में वसुंधरा को हटा कर केन्द्र में ले जाने और अकेले मोदी के नाम पर चुनाव लडऩे के मानस का खुलासा पिछले दिनों मीडिया में हो रहा था। हालांकि वसुंधरा की ओर यही दावा किया जा रहा है कि अगला चुनाव उनके ही नेतृत्व में लड़ा जाएगा, मगर पार्टी कार्यकर्ता अभी असमंजस में हैं।
बहरहाल, जीत के प्रति भाजपा हाईकमान इतनी शिद्दत लिए हुए हैं कि पिछले दिनों मीडिया में यह खबर तक आ गई कि राजस्थान में भाजपा अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट को अपने खेमे में शामिल करना चाहती है। बताया गया कि उन्हें बाकायदा ऑफर भी दी जा चुकी है कि उन्हें केन्द्रीय मंत्री बना दिया जाएगा। यद्यपि सचिन की ओर से इस पर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई। भाजपा के इस हथकंडे से अनुमान लगाया जा सकता है कि एक तो वह अपनी सेना के प्रति पूरी तरह से आश्वस्त नहीं है, तभी तो विरोधी के सेना नायक पर ही हाथ मारने की सोच रही है, दूसरा ये कि इसके लिए वह तोड़-फोड़ की पराकाष्टा भी पार करने को आतुर है। भाजपा जानती है कि पिछले विधानसभा चुनाव में रसातल में पहुंच चुकी कांग्रेस को सजीव करने के लिए सचिन ने एडी से चोटी का जोर लगा रखा है। भाजपा सोचती है कि अगर उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ऐन वक्त पर टक्कर में आ खड़े होने का डर दिखाया जाए तो कदाचित वे डिग भी जाएं। इससे यह तो स्पष्ट है कि भाजपा को अब सत्ता प्राप्ति के लिए दिग्गज कांग्रेसियों को अपनाने से भी कोई परहेज नहीं है। ज्ञातव्य है कि चुनाव से कुछ समय पूर्व ही उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा भाजपा में शामिल हो गई थीं। उसके सकारात्मक परिणाम भी आए।    भाजपा ऐसा ही प्रयोग राजस्थान में करना चाहती है। सचिन पर दाव भले ही दूर की कौड़ी लगता तो, मगर इससे इतना तो तय मान कर चलना चाहिए कि भाजपा निचले स्तर पर असंतुष्ट कांग्रेसी नेताओं को बड़े पैमाने पर तोडऩे का प्रयास करेगी।
भाजपा एक नया प्रयोग और करने जा रही है। वो यह कि हाशिये पर जा चुके पुराने नेताओं को भी जोत रही है। उसे डर है कि कहीं उपेक्षा का शिकार ऐसे नेताओं की निष्क्रियता नकारात्मक असर न डाले। जैसे ही यह फंडा सामने आया विस्तारक बनाए गए पुराने नेताओं में जोश आ गया कि  पार्टी अब उनकी कद्र कर रही है। उन्हें यह भ्रम भी हुआ कि यदि उन्होंने ठीक से काम किया तो टिकट की लॉटरी लग सकती है। और कुछ नहीं तो टिकट वितरण में तो उनकी भूमिका रहेगी ही। भ्रम होना ही था, उन्हें संघ के प्रचारक तरह विस्तारक की संज्ञा जो दे दी गई। भाजपा को अनुमान नहीं था कि ऐसा करके उसने अनजाने ही उनमें फिर से लालसा पैदा कर दी है। नतीजतन हाल ही जब जयपुर में विस्तारकों का दो दिवसीय अधिवेशन हुआ तो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को कहना पड़ गया कि विस्तारक स्वयं को विधानसभा चुनाव का टिकट बांटने वाला नेता न समझें। विस्तारक का काम केवल अपने आवंटित विधानसभा क्षेत्र के मतदान केंद्रों पर जाकर कार्यकर्ताओं को सक्रिय करना है। इसके अतिरिक्त विस्तारक टिकट अथवा किसी पद की लालसा न रखें। जाहिर तौर पर इससे विस्तारक हतोत्साहित हुए होंगे, मगर समझा जाता है कि पार्टी जरूर विचार करेगी कि उन्हें कैसी लॉलीपॉप थमाई जाए।
भाजपा की रणनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव ये भी आया है कि जहां पहले यह कहा जा रहा था कि सत्तर साल से अधिक उम्र के नेताओं को टिकट नहीं दिया जाएगा, उसे बढ़ा कर अब पचहत्तर साल कर दिया गया है।  कदाचित सर्वे में यह तथ्य आया हो कि अगर सत्तर साल के नेताओं को संन्यास दे दिया गया तो बड़े पैमाने पर जीतने वाले प्रत्याशियों का अभाव हो जाएगा।
कुल मिला कर भाजपा ने अगले विधानसभा चुनाव की रणभेरी से बहुत पहले ही अपनी सेना को सुसज्जित करना शुरू कर दिया है।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

तिवाड़ी ने दिखाई परनामी को हैसियत

वरिष्ठ भाजपा विधायक घनश्याम तिवाड़ी का यह कहना कि जब वे विधायक थे, तब परनामी राजनीति में कुछ नहीं थे, वे उस समय सिर्फ अगरबत्ती बेचते थे, इसके गहरे मायने हैं। प्रदेश अध्यक्ष के बारे में इतनी बेबाक टिप्पणी करने का अर्थ है कि तिवाड़ी आर-पार की लड़ाई के मूड में आ गए हैं। इतना ही नहीं, इससे ये संकेत भी मिलते हैं कि पार्टी के भीतर कुछ न कुछ पक रहा है, वरना प्रचंड बहुमत के साथ सरकार चलाने वाली मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ खुल कर आने का दुस्साहस नहींं करते।
ज्ञातव्य है कि पार्टी लाइन से हट कर चल रहे जयपुर की सांगानेर सीट के वरिष्ठ भाजपा विधायक घनश्याम तिवाड़ी को राष्ट्रीय अनुशासन समिति की ओर से अनुशासनहीनता का नोटिस जारी किया गया है। समिति के अध्यक्ष गणेशीलाल ने यह कार्यवाही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अशोक परनामी की शिकायत पर की है और दस दिन में जवाब मांगा है।
नोटिस की प्रतिक्रिया में तिवाड़ी और मुखर हो गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी जिस दीनदयाल वाहिनी के गठन को लेकर केंद्रीय नेतृत्व को मेरी अनुशासनहीनता की शिकायतें कर रहे हैं, उसका गठन 29 साल पहले सीकर में उस समय हो गया था, जब मैं विधायक था और परनामी राजनीति में कुछ नहीं थे। वे उस समय सिर्फ अगरबत्ती बेचते थे। उन्होंने कहा कि वे न तो डरेंगे और न ही झुकेेंगे। भ्रष्ट सरकार के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे। अपनी ही पार्टी की सरकार को भ्रष्ट करार देना कोई मामूली बात नहीं है। हालांकि एक समय में पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत ने तत्कालीन वसुंधरा सरकार के खिलाफ मुहिम का आगाज किया था, मगर तब वसुंधरा बहुत मजबूत थीं। मजबूत भी इतनी कि हाईकमान से भी टक्कर ले रही थीं। मगर अब हालात पहले जैसे नहीं हैं। अब केन्द्र में भाजपा की सरकार है और हाईकमान बहुत मजबूत। ऐसे में तिवाड़ी का मजबूती के साथ ये कहना कि कुछ दिनों पहले मुझे दिल्ली में एक नेता ने कहा था कि आप राजस्थान में मौजूदा नेतृत्व को स्वीकार कर लो, सब ठीक हो जाएगा, लेकिन मैं नहीं माना, इसलिए अब नोटिस का डर दिखाया जा रहा है। मैं ऐसे नोटिस से डरने वाला नहीं हूं, गहरे अर्थ रखता है।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

तिवाड़ी को दो साल से क्यों झेलते रहे?

पार्टी लाइन से हट कर चल रहे जयपुर की सांगानेर सीट के वरिष्ठ भाजपा विधायक घनश्याम तिवाड़ी को आखिर राष्ट्रीय अनुशासन समिति की ओर से अनुशासनहीनता का नोटिस जारी कर दिया। समिति के अध्यक्ष गणेशीलाल ने यह कार्यवाही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अशोक परनामी की शिकायत पर की है और दस दिन में जवाब मांगा है।
नोटिस में गौर करने लायक बात ये है कि उसमें साफ तौर कहा गया है कि वे पिछले दो साल से लगातार पार्टी विरोधी गतिविधियों एवं पार्टी के विरुद्ध बयानबाजी करने में संलग्न हैं। पार्टी द्वारा आयोजित बैठकों में वे उपस्थित नहीं हो रहे और विपक्षी दलों के साथ मिलकर मंच साझा कर रहे हैं। इसके साथ ही नोटिस में यह भी बताया गया है कि वे समानांतर राजनीतिक दल का गठन करने के प्रयास में जुटे हैं।
सवाल ये उठता है कि दो साल तक पार्टी उनको क्यों झेलती रही? दो साल का वक्त बहुत होता है। इस दरम्यान अनेक बार उनकी गतिविधियों व बयानों से पार्टी की किरकिरी हो चुकी है। यदि भाजपा की सरकार सीमित बहुमत वाली होती तो भी समझ में आ सकता था कि पार्टी उनको खोने का खतरा मोल नहीं लेना चाहती, मगर भाजपा तो प्रचंड बहुमत के साथ सरकार चला रही है। केन्द्र में भी भाजपा सरकार है। ऐसे इक्का दुक्का नेता अगर पार्टी छोड़ कर चले जाएं या निकाल दिए जाएं तो बहुत बड़ा नुकसान नहीं होगा। ऐसे में पार्टी को उनके बारे निर्णय करने में इतना वक्त क्यों लगा, यह चौंकाता तो है?
ऐसा प्रतीत होता है कि पार्टी हाईकमान काफी सोच विचार के बाद इस पार या उस पार वाली स्थिति में आया है। अभी चुनाव दूर हैं। अगर पार्टी को उनको खोना पड़ता है तो उनकी वजह से होने वाले नुकसान की भरपाई करने के लिए पर्याप्त वक्त है। अगर अब भी कार्यवाही नहीं की जाती है तो इससे अन्य असंतुष्टों के हौसले बुलंद हो सकते हैं।
बहरहाल, अब देखने वाली बात ये है कि घनश्याम तिवाड़ी क्या जवाब देते हैं और क्या पार्टी की अनुशासन समिति उनके जवाब से संतुष्ट होती है या नहीं। अगर उनको पार्टी से निकालने की नौबत आती है तो निश्चित रूप से राज्य में भाजपा के समीकरण में कुछ बदलाव आएगा। इसके अतिरिक्त यह भी साफ हो जाएगा कि कौन उनके साथ है और पार्टी के साथ। बाकी एक बात जरूर है कि आज जब कि पार्टी अच्छी स्थिति में है, उसके बाद भी तिवाड़ी ने जो दुस्साहस दिखाया है तो वह गौर करने लायक है।
ज्ञातव्य है कि भाजपा के वरिष्ठ विधायक घनश्याम तिवाड़ी अपने बेटे अखिलेश तिवाड़ी के नेतृत्व में नई पार्टी दीनदयाल वाहिनी का गठन करने में जुटे हैं।
-तेजवानी गिरधर
7742067000