तीसरी आंख

जिसे वह सब दिखाई देता है, जो सामान्य आंखों से नहीं दिखाई देता है

बुधवार, जनवरी 05, 2011

बेदाग होते ही डॉ. बाहेती को ललकारा धर्मेश जैन ने

सीडी के लंका दहन कांड से निकल कर सुंदरकांड में पहुंचते ही नगर सुधार न्यास के पूर्व अध्यक्ष धर्मेश जैन ने उन्हें शहीद करवाने में अहम भूमिका अदा करने वाले पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती को ललकार दिया है। इतना ही नहीं उन्होंने खुद के कार्यकाल के साथ डॉ. बाहेती और पिछले दो साल के कार्यकाल की जांच करवाने की चुनौती दे दी है। समझा जाता है कि आने वाले दिनों वे न्यास को लेकर अन्य अनेक मामलों में ताबड़तोड़ हमले कर सकते हैं।
नए साल में बदली ग्रह दशा से उत्साहित जैन ने यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि यहा पता लगाया जाए कि आखिर सीडी आई कहां से थी। एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि जिस ऑडियो सीडी की वजह से उन्होंने नैतिकता के आधार पर अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, उस सीडी को सीआईडी सीबी ने जांच में संदिग्ध करार दे दिया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि वह सीडी उनके खिलाफ एक बड़ा षड्यंत्र था। सीडी बनाने वालों ने न केवल उन्हें अपितु प्रदेश की श्रीमती वसुंधरा राजे सरकार को भी बदनाम करने की साजिश रची थी। उन्होंने कहा कि कदाचित भाजपा शासन काल में जांच रिपोर्ट पेश होती तो उस पर संदेह की गुंजाइश होती, मगर कांग्रेस शासन काल में ही जांच रिपोर्ट रखे जाने से साफ हो गया है कि उनके खिलाफ कितना बड़ा षड्यंत्र किया गया था।
जैन ने कहा कि सीआईडी सीबी ने साफ तौर पर माना है कि एफएसएल रिपोर्ट के अनुसार रिकार्डिंग की आवाज में कई अवरोध व जोड़ हैं, जिससे आवाज का प्रवाह जोड़-जोड़ कर बनाया गया है, अत: सीडी संदिग्ध प्रतीत होती है। हालांकि सीआईडी सीबी ने सीडी बनाने वाले का पता लगाना असंभव माना है, लेकिन यह सवाल आज भी मुंह बाये खड़ा है कि विधानसभा के पटल पर रखी गई सीडी आखिर आई कहां से? सरकार ने इसकी जांच क्यों नहीं की? सरकार से आग्रह है कि वह यह जांच कराए कि विधानसभा के में पेश की गई सीडी का मूल स्रोत क्या है? सरकार कांग्रेस के तत्कालीन पुष्कर विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती से भी जवाब-तलब करे कि वे सीडी कहां से ले कर आए? कहीं इसमें वे स्वयं तो संलिप्त नहीं हैं? आज जब कि वह सीडी संदिग्ध करार दे दी गई है, वह कहां से आई, इसका जवाब देने के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार हैं कांग्रेस के तत्कालीन पुष्कर विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती व अन्य विधायक, जिन्होंने बिना किसी ठोस आधार के विधानसभा की कार्यवाही को तुरंत रोक कर चर्चा करने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने न केवल झूठ का सहारा लेकर स्थगन प्रस्ताव के जरिए विधानसभा की कार्यवाही बाधित की, अपितु तत्कालीन भाजपा सरकार और उन्हें बदनाम करने की साजिश भी रची। हालांकि सीआईडी सीबी ने सीडी बनाने वाले का पता लगाना असंभव माना है, लेकिन जब तक सीडी के मूल स्रोत का पता नहीं लग जाता, तब तक यह खुलासा होना कठिन है कि उस षड्यंत्र में शामिल कौन था?
जैने ने कहा कि जैसे ही सीडी उजागर हुई, उन्होंने स्वयं पहल कर नैतिकता के आधार पर पद त्याग दिया और उनके कार्यकाल की जांच कराने का आग्रह किया। अब मौजूदा कांग्रेस सरकार को खुली चुनौती है कि वह न केवल उनके कार्यकाल, अपितु सीडी प्रकरण को उछालने वाले तत्कालीन विधायक डॉ.श्रीगोपाल बाहेती के न्यास के अध्यक्षीय कार्यकाल के साथ पिछले दो साल के कार्यकाल की भी जांच कराए, ताकि यह खुलासा हो सके कि न्यास में किस हद तक भ्रष्टाचार किया जा रहा है और आम जनता कितनी पीडि़त है।
उन्होंने कहा कि बिना किसी ठोस आधार पर सीडी प्रकरण को उछालने का परिणाम ये हुआ कि उन्होंने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे दिया और उनके द्वारा शुरू किए गए सारे विकास कार्य ठप हो गए, जिसके लिए अजमेर की जनता डॉ. बाहेती को कोस रही है। कांग्रेस के सत्ता में आने बाद तो विकास कार्य पूरी तरह से बंद ही कर दिए गए हैं। अर्थात अकेले डॉ. बाहेती की वजह से अजमेर के तकरीबन तीन साल खराब हो गए हैं और कितना बड़ा नुकसान हुआ है। क्या बाहेती यह जवाब देंगे कि उनकी पार्टी की सरकार के बनने के बाद विकास कार्य क्यों बंद कर दिए और प्रशासन को भ्रष्टाचार करने की खुली छूट क्यों दी हुई है, जिससे आम जनता त्रस्त है? हालात ये है कि कांग्रेस सरकार दो साल बाद तक भी न्यास में जनता के प्रतिनिधित्व वाला बोर्ड गठित नहीं कर पाई है। इन दो सालों में न्यास में किस प्रकार भ्रष्टाचार का नग्न तांडव हो रहा है, इसका खुलासा खुद कांग्रेस के ही जिम्मेदार पदाधिकारी ही कर रहे हैं। क्या यह इस बात का संकेत नहीं है कि सरकारी संरक्षण में ही प्रशासनिक अधिकारियों को भ्रष्टाचार करने की छूट दे रखी गई है?
जैन ने कहा कि अकेले एक मामले से ही स्पष्ट हो रहा है कि कांग्रेस केवल झूठ पर ही टिकी हुई है। कांग्रेस ने आम जनता को बरगला कर पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे सरकार पर भ्रष्टाचार के अनेक आरोप लगाए। वे बार-बार खुली चुनौती दे रही हैं कि आरोपों को साबित करके दिखाएं, मगर आज दो साल बाद तक एक भी आरोप को वह सच साबित नहीं कर पाई है। आम जनता अच्छी तरह से जान गई है कि कांग्रेस को आम जनता के हित और विकास से कोई लेना-देना नहीं है और वह खुद भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी हुई है।
न्यास में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अब भाजपा भी करेगी हमला
अजमेर नगर सुधार न्यास में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर सत्तारूढ़ दल ने तो आसमान सिर पर उठा ही रखा है, अब भाजपा भी इस मामले में न्यास को घेरने जा रही है। हालांकि पूर्व में बुधवार को ही प्रदर्शन कर ज्ञापन देने की योजना थी, मगर उस दिन पूर्व राज्यपाल बलिराम भगत के निधन की वजह से अवकाश घोषित होने के कारण उसे टाल दिया गया। अब समझा जाता है कि नई जिला कलेक्टर मंजू राजपाल के कार्यभार संभालने के बाद ही भाजपा हल्ला बोलेगी। लंबे समय की चुप्पी के बाद भाजपा भी चाहती है कि सक्रियता दिखाई जाए, वरना आम जनता में गलत संदेश जाएगा कि कांग्रेस सत्ता में होते हुए भी जनहित के मुद्दे को उठा रही है, जबकि भाजपा चुप बैठी है। समझा जाता है कि न्यास पर हमले की जिम्मेदारी मौटे तौर पर न्यास के पूर्व सदर धर्मेश जैन को सौंपी जा सकती है, क्यों कि उनकी न्यास के मामलों में अच्छी जानकारी है।
जानकारी के अनुसार भाजपा ने भी न्यास में हो रहे करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार के तथ्य जुटा लिए हैं और साथ ही उन कामों को भी सूचीबद्ध किया जा रहा है, जिनको भाजपा शासनकाल में शुरू किया गया, लेकिन कांग्रेस ने सत्ता में आते ही उन्हें बंद कर दिया।
मामले का दिलचस्प पहलु ये है कि कांग्रेस ने भले ही केवल न्यास सचिव अश्फाक हुसैन व विशेषाधिकारी अनुराग भार्गव को निशाना बनाया है, मगर न्यास के पदेन अध्यक्ष होने के नाते जिला कलेक्टर राजेश यादव पर भी इसकी जिम्मेदारी है। उनका तबादला कर मुख्यमंत्री कार्यालय में लगाए जाने पर भी कई तरह की चर्चाएं हैं। कुछ लोग कह रहे हंै कि यादव को बचाने के लिए सरकार ने ऐसा किया है, जबकि कुछ लोग मानते हैं कि उन्हें इसी कारण हटाया गया है, क्यों कि यादव तक भी आंच वाली थी। सच क्या है यह सरकार ही जाने, मगर चर्चा है कि कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन के बाद भी कोई कार्यवाही न होने के कारण अब भ्रष्टाचार के मामलों की सूची बना कर तथ्यों के साथ एसीबी को देने की रणनीति भी बनाई जा रही है। इसके अतिरिक्त सीबीआई जांच भी कराने पर जोर डाला जाएगा। समझा जाता है कि जिस प्रकार के प्रमाण हैं, न केवल जिम्मेदार अधिकारी अपितु कुछ प्रमुख भूमि दलाल शिकंजे में आ सकते हैं।