तीसरी आंख

जिसे वह सब दिखाई देता है, जो सामान्य आंखों से नहीं दिखाई देता है

शुक्रवार, अप्रैल 27, 2012

वसु मैम, सवाल पत्रकार नहीं, आपके नेता ही उठा रहे हैं

सवाल भी वाजिब, जवाब भी मौजूं। हाल ही पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे के अजमेर दौरे के दौरान एक जागरूक पत्रकार ने यह सवाल करने की हिमाकत कर डाली कि भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ेगी? इस पर श्रीमती राजे जवाब देने के बजाय पलट कर तुनकता सवाल दाग दिया कि आप मेरे से पूछ रहे हैं, मैं बताऊंगी कि किसके नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा? न पत्रकार का सवाल गलत था और न ही वसु मैडम का सवालिया जवाब।
दरअसल वसु मैम का जवाब इसलिए सही है कि जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी व पूर्व उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी घोषणा कर चुके हैं कि अगली मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे होंगी तो यह शंका रहनी ही नहीं चाहिए कि चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा। इसके बाद भी पत्रकार ने सवाल कर दिया तो ऐसा प्रतीत हुआ मानो वह बिलकुल मासूम और अबोध हो। मगर ऐसा है नहीं। खुद भाजपा के नेता ही कह चुके हैं कि पार्टी ने तय नहीं किया है कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा।
इस सिलसिले में पहले संघ लॉबी से जुड़े पूर्व मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने वसुंधरा के खिलाफ मुंह खोला तो फिर एक और दिग्गज पूर्व मंत्री ललित किशोर चतुर्वेदी भी खुल कर आगे आए। कटारिया ने तो सिर्फ यही कहा कि पार्टी ने अब तक तय नहीं किया है कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, लेकिन चतुर्वेदी तो एक कदम और आगे निकल गए। उन्होंने यहां तक कह दिया कि आडवाणी ने राजस्थान दौरे के दौरान ऐसा कहा ही नहीं कि अगला चुनाव वसुंधरा के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। उन्होंने भी यही कहा कि चुनाव में विजयी भाजपा विधायक ही तय करेंगे कि मुख्यमंत्री कौन होगा। ऐसे में यदि पत्रकार ने सवाल दाग दिया तो गलत क्या किया? यहां उल्लेखनीय है कि पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी ने अजमेर की सभा में बिलकुल खुले शब्दों में कहा था कि आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी वसुंधरा राजे के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगी। इसके बाद भी अगर चतुर्वेदी विरोधाभासी बयान देते हैं तो जाहिर है कि वे जानबूझ कर विवाद को जिंदा रखना चाहते हैं। इससे यह भी पूरी तरह से साफ है कि गडकरी व आडवाणी तो वसुंधरा के पक्ष में हैं, मगर राज्य स्तर पर अब भी वसुंधरा के प्रति एक राय नहीं है। विशेष रूप से संघ लॉबी के नेता वसुंधरा को नहीं चाहते, हालांकि उनकी संख्या कम ही है।
पार्टी में नेतृत्व को लेकर आम सहमति न होने का एक और प्रमाण ये है कि गुलाब चंद कटारिया पार्टी से अनुमति लिए बिना ही आगामी 2 मई से मेवाड़ अंचल के 28 विधानसभा क्षेत्रों में लोक जागरण यात्रा निकालने की घोषणा कर चुके हैं। जाहिर सी बात है कि वे आगामी चुनाव में अपने आप को नेता के रूप में पेश करना चाहते हैं। या फिर वसुंधरा के प्रति पूर्ण सहमति न होने को साबित करना चाहते हैं। बताया ये जाता है कि कटारिया को पता लग गया है कि वसुंधरा राजे जल्द ही एक रथ यात्रा निकालने की तैयारी कर रही हैं, इसी को देखते हुए उन्होंने उनसे पहले यात्रा निकालने की घोषणा कर दी। इसको लेकर पार्टी में कितना घमासान है, यह राजसमंद में भाजपा जिला कार्यकारिणी की बैठक में खुल कर सामने आ गया। बैठक में इतनी धक्का-मुक्की हुई कि भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव व राजसमंद विधायक श्रीमती किरण माहेश्वरी रो पड़ीं और प्रदेश महासचिव सतीश पूनिया बेबस नजर आए। किरण व भीम विधायक हरिसिंह रावत ने राजसमंद जिलाध्यक्ष पर जम कर निशाना साधा और कटारिया की यात्रा का विरोध कर उसमें शामिल न होने और काले झंडे दिखाने की चेतावनी दी। ज्ञातव्य है कि किरण व कटारिया के बीच छत्तीस का आंकड़ा है। मेवाड़ अंचल में उनके बीच वर्चस्व की लड़ाई पहले से चल रही है। किरण के विरोध का मतलब भी साफ है कि वे वसुंधरा खेमे की ओर वहां मौजूद थीं।
लब्बोलुआब, यह साफ हो गया है आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत की आशा में पार्टी में खींचतान शुरू हो गई है। चुनाव नजदीक आते-आते यह और बढ़ जाने वाली है।
-तेजवानी गिरधर
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