तीसरी आंख

जिसे वह सब दिखाई देता है, जो सामान्य आंखों से नहीं दिखाई देता है

गुरुवार, जनवरी 03, 2013

हमारी संतुष्टि मात्र है बलात्कारी को नामर्द बनाना

बताया जा रहा है कि कांग्रेस बलात्कारी को नपुंसक बनाने की सजा देने पर विचार कर रही है। आंदोलनकारियों का एक वर्ग भी यही मांग कर रहा है क्योंकि उसे लगता है कि फांसी की सजा से बेहतर है कि बलात्कारी को तिल-तिल कर मारा जाए। बात ठीक भी लगती है। मगर सवाल ये है कि क्या अधिकतम वर्ष तक की सजा के साथ कैदी को नपुंसक बनाने से अन्य कामुक लोग बलात्कार करने से बाज आएंगे?
असल में जो भी कामांध व्यक्ति बलात्कार करता है, उसे यह तो ख्याल होता ही है कि अगर वह पकड़ा गया तो उसे सजा होगी, मगर वह काम में अंधा होता है तो उसे यह ख्याल में नहीं रहता। जैसे हत्या का आतुर को पता होता है कि उस पर धारा 302 लगेगी, फिर भी हत्या कर डालता है, क्योंकि उस पर हत्या करने का जुनून सवार हो जाता है। तो यदि अगर हम यह सोचते हैं कि बलात्कारी को नपुंसक बनाए जाने की सजा के कारण बलात्कार कम हो जाएंगे, तो यह हमारी भूल ही होगी। रहा सवाल हमारी तरफ से बलात्कारी को कड़ी से कड़ी सजा देने की भावना तो उसकी जरूर पूर्ति हो जाएगी। हमें जरूर इस बात की संतुष्टि हो जाएगी कि हमने बलात्कारी से बदला ले लिया। रहा सवाल उसे नपुंसक बनाने की बात तो जेल में बंद कैदी नपुंसक या उसका पौरुष कायम रहे, उसे कोई फर्क नहीं पड़ता। वैसे भी वह कैद में रह कर कुछ नहीं कर सकता। ऐसे में कड़ी से कड़ी सजा या तो फांसी हो सकती है या फिर मृत्युपर्यंत कैद में रखना।
वैसे इस बारे में विधि विशेषज्ञों का कहना है कि रासायनिक बधियाकरण का उद्देश्य बलात्कार के दोषी के मन में जीवनभर के लिए यह विचार बैठाना होता है कि उसने जो किया वह गलत किया। जीव विज्ञानी मानते हैं कि रासायनिक बधियाकरण फांसी की सजा या आजीवन कारावास से भी खतरनाक सजा है, क्योंकि यह दोषी को मानसिक रूप से परेशान कर देता है। रासायनिक रूप से बधिया किए गए लोग हर पल अपने अपराध के अहसास के साथ जीते हैं। मगर जानकारी ये है कि यह सजा वहां तो कारगर है, जहां अपराध के दोबारा होने की संभावना अधिक होती है, वहीं इस तरीके का इस्तेमाल किया जाता है। जिन लोगों का रासायनिक बधियाकरण किया गया उन्होंने अपने जीवन में दोबारा कभी ऐसा अपराध नहीं किया या यों कह लें कि कर ही नहीं पाए। इसमें भी एक पेच बताया जा रहा है। वो यह कि नामर्द बनाने के लिए पुरुषों को एंटी-एंड्रोजन या फिर गर्भ निरोधक दिया जाता है। इसके लिए साइप्रोटेरोन या डेपा प्रोवेरा नाम की दवा दी जाती है। इस दवा से पुरुष नपुंसक तो नहीं होता, मगर उसकी सैक्स क्षमता और इच्छा कम हो जाती है। इन दवाइयों का असर तीन माह में ही खत्म भी हो जाता है। अर्थात नामर्द बनाए रखने के लिए हर तीन माह में यह दवा देना जरूरी होगा। इस दवा को हर तीन महीने बाद देना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी हो जाएगी। जैसा कि जेलों में आलम है, राज्य सरकारें इस मामले में कितनी मुस्तैद रहेंगी, कुछ कहा नहीं जा सकता। और अगर नियमित रूप से दवा दी भी गई तो माना कि कैदी की सैक्स क्षमता कम हो जाएगी, मगर इससे फर्क क्या पड़ता है, क्योंकि कैद में रहते हुए उसकी सैक्स की इच्छा पूर्ति का साधन उपलब्ध होता ही नहीं है। हां, हम मांग करने वालों के दिलों को जरूर ठंडक मिलेगी कि हमने बलात्कारी से बदला ले लिया। बाकी ऐसा होने की उम्मीद कम ही है कि बलात्कार को आतुर वहशी इस प्रकार की सजा के भय से बलात्कार करने का विचार त्याग देगा। वैसे, सच तो ये है कि आंदोलनकारियों का एक वर्ग यह चाहता है कि बलात्कारी का लिंग ही काट दिया जाए, मगर ऐसी सजा का प्रावधान करने से पहले सरकार को हजार बार सोचना होगा।
-तेजवानी गिरधर

संघ पहले ही विरोध कर चुका है वसुंधरा की बहू का


एक ओर जहां यह चर्चा गरम है कि आगामी लोकसभा चुनाव में अजमेर संसदीय क्षेत्र से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपनी पुत्रवधू श्रीमती निहारिका राजे को चुनाव लड़ाने पर विचार कर रही हैं, वहीं एक पुरानी जानकारी उभर कर आई है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पूर्व में ही परिवारवाद के नाते निहारिका को राजनीति में लाने पर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुका है। अजमेरनामा के चौपाल कॉलम में जब यह न्यूज आइटम प्रकाशित हुआ कि निहारिका को अजमेर से चुनाव लड़ाने के लिए सर्वे करवाया जा रहा है कि तो एक जागरूक पाठक ने बताया कि निहारिका पूर्व में भी चर्चा में रही हैं। उनके बारे में एक समाचार 7 जून 2007 को ही फाइनेंशियल एक्सपे्रस में प्रकाशित हो चुका है। उन्होंने बाकायदा उसका लिंक भी दिया। इस लिंक के जरिए उस समाचार की तलाश गूगल पर की तो वह मिल गया, जिसे आपकी जानकारी में लाने के लिए यहां दिया जा रहा है।
RSS displeased with Raje for projecting daughter-in lawNew Delhi, Jun 7: A couple of days after tackling the week-long Gujjar stir, Rajasthan chief minister Vasundhara Raje is in for new trouble, with the RSS flaying her for projecting Niharika (Raje’s daughter-in-law) as the key in diffusing the caste crisis in the state.
The RSS top brass is reported to be displeased with the state of affairs and the way things were handled during the crisis, as well as Raje’s attempt to project her daughter-in-law.
“It’s simply ‘parivarwad'. By projecting Niharika as key to successful resolution of the crisis, the chief minister has tried to use the occasion to introduce her daughter-in-law to politics, which we, as an organisation, do not approve," a RSS functionary said.
Senior party leaders in the state who played crucial roles in bringing the crisis to an end, are also miffed with the chief minister for usurping the credit solely to herself and her family members.
“It was a collective effort and to give credit to any single person, including even the chief minister was squarely wrong," a senior party leader said.
Having got feelers from the central leadership on the issue, Vasundhara had sent her trusted lieutenant and state BJP president Mahesh Chandra Sharma toNew Delhion Wednesday to meet senior party leaders and explain them the actual position.
Intrestingly, apart from party’s top three including former Prime Minter Atal Bihari Vajpayee, senior leader LK Advani and the party chief Rajnath Singh, Sharma also met Vice-President Bhairon Singh Shekhawat and explained the chief minister’s position. Meeting with Shekhawat is seen
गूगल पर वह समाचार पढऩे के लिए वह लिंक भी यहां दिया जा रहा है:-
http://www.financialexpress.com/news/rss-displeased-with-raje-for-projecting-daughterinlaw/199920

-तेजवानी गिरधर