आजकल, अंतर्जातीय विवाह, अंतर-क्षेत्रीय विवाह अधिक होते जा रहे हैं, जिससे जीन का मिश्रण विविध हो गया है। इसका परिणाम यह है कि बच्चों में विविधता अधिक दिखने लगी है। निश्कर्श यह है कि यह धारणा कि गर्भवती महिला के द्वारा देखे गए चेहरों का प्रभाव भ्रूण के चेहरे पर पड़ता है, वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित नहीं है। पुराने समय में भाई-भाई में समानता अधिक इसलिए दिखती थी क्योंकि जीन पूल सीमित था और विवाह की विविधता कम थी।
आज की विविधता, मिश्रित समाज और व्यापक सामाजिक संपर्क ने अनुवांशिक विविधता बढ़ा दी है, जिससे चेहरे अलग-अलग नजर आते हैं। यह तय करने में कि बच्चा किसकी तरह दिखेगा, केवल और केवल जीन ही भूमिका निभाते हैं, न कि गर्भवती महिला ने किसे देखा या किनके साथ समय बिताया।
इस पर सवाल उठता है कि तो अमूमन लोग गर्भवति के कमरे में क्यों खुबसूरत बच्चे की फोटो लगाते हैं, इसलिए न कि गर्भस्थ शिशु भी सुंदर हो। इस बारे में वैज्ञानिक दृश्टिकोण यह है कि गर्भ के दौरान अच्छे पोषण, मानसिक शांति, और तनाव-मुक्त वातावरण से बच्चे के संपूर्ण विकास पर जरूर असर पड़ता है, लेकिन इससे चेहरे की सुंदरता नहीं बदलती। सकारात्मक माहौल से हॉर्मोन बैलेंस बना रहता है, जिससे शिशु का मानसिक और शारीरिक विकास बेहतर हो सकता है।
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