ऐसा प्रतीत होता है कि प्रकृति मरक्त स्थान की पूर्ति होने की व्यवस्था है। जैसे ही कोई स्थान रिक्त होता है, प्रकृति उसे भरने की कोशिश करती है। दूल्हे का घोड़ी पर बैठे होना एक स्थिति है। इसे हम दृश्य भी कह सकते हैं। जैसे ही दूल्हा घोड़ी से उतरता है, तो वह स्थान रिक्त हो जाता है। उसे अगर अविवाहित युवक तुरंत भरता है तो प्रकृति तत्काल बनी दूसरी स्थिति को पूर्ण करने में जुट जाती है। अर्थात प्रकृति ऐसे संयोग निर्मित करती है कि उस युवक की जल्द शादी हो जाए।
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