
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के ताजा बयान के कई अर्थ निकाले जा रहे हैं। एक तो ये कि कहीं बिहार के ताजा राजनीतिक समीकरणों में वे जनतादल यूनाइटेड में जाने की तो नहीं सोच रहे। दूसरा ये कि उन्होंने भले ही नितीश कुमार का नाम उछाल कर उनका दिल जीतने की कोशिश की हो, मगर साथ यह कह कर कि स्थिर सरकार के लिए बड़ी पार्टी का नेता ही पीएम पद का उम्मीदवार होना चाहिए, भाजपा में अपना स्थान सुरक्षित करने की कोशिश की है। हालांकि यह बात खुद नीतिश भी कह चुके हैं कि भाजपा को गैर सांप्रदायिक चेहरे को आगे लाना होगा। उनके बयान से साफ है कि वे अपने आपको छोटे दल का होने के कारण प्रधानमंत्री पद का दावेदार नहीं मानते। इसके बावजूद यदि सुशील कुमार मोदी उन्हें पीएम मटेरियल मान रहे हैं तो इसके क्या मायने हैं। कहीं ये नितीश व सुशील की मिलीभगत तो नहीं।
सुशील कुमार मोदी का बयान इस कारण भी महत्वपूर्ण है कि केन्द्र की यूपीए सरकार की ओर से बिहार को दो केंद्रीय विश्वविद्यालय और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए ढाई हजार करोड़ रुपये का पैकेज दिए जाने के बाद इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि यूपीए नीतीश कुमार को लुभाने की कोशिश कर रहा है। इस पर मोदी ने यह भी स्पष्ट किया है कि नीतीश का यूपीए में जाने का कोई सवाल ही नहीं है। मोदी ने कहा कि भाजपा जानती है कि नीतीश कुमार धुर कांग्रेस विरोधी हैं। हमारे गठजोड़ बहुत मजबूत हैं। नीतीश का कांग्रेस के डूबते जहाज में सवार होने का कोई चांस ही नहीं है। कहीं ऐसा तो नहीं कि नितीश के यूपीए की ओर आकर्षित होने की आशंका के बीच मोदी ने उन्हें पीएम मटेरियल बता कर लुभाने का फंडा तो अपनाया हो।
जो भी हो, नरेन्द्र मोदी जहां तेजी से उभर कर सामने आ रहे हैं, वहीं नितीश कुमार कछुआ चाल से आगे सरक रहे हैं। राजनीतिक पर्यवेक्षक इस बात की संभावना से इंकार नहीं करते कि परिस्थिति विशेष में भाजपा को नितीश के नाम पर सहमत देनी पड़ सकती है।
-तेजवानी गिरधर
7742067000
tejwanig@gmail.com