तीसरी आंख

जिसे वह सब दिखाई देता है, जो सामान्य आंखों से नहीं दिखाई देता है

रविवार, नवंबर 27, 2016

राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के लिए बच्चों का इस्तेमाल

राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप तो होता ही रहता है। मतभिन्नता और उसकी अभिव्यक्ति लोकतंत्र की पहचान भी है। हर किसी को अपनी बात कहने का पूरा अधिकार है। पहले अपना पक्ष रखने के लिए पर्याप्त मंच नहीं मिलता था, लेकिन अब सोशल मीडिया इतना व्यापक हो गया है कि बड़ी आसानी से बाकायदा वीडियो बना कर अपनी बात कहने लगे हैं लोग। इतना ही नहीं, बात को और अधिक प्रभावोत्पादक बनाने केलिए इसके लिए बच्चों का भी इस्तेमाल किया जाने लगा है। ऐसा करके हमारी भड़ास निकालने की क्षुधा तो शांत होती ही है, मगर ऐसा करके हम अपनी भावी पीढ़ी को क्या संस्कार दे रहे हैं, ये सोचने का विषय है। कहते हैं न कि पूत का पग पालने में ही दिख जाते हैं, कुछ वैसा ही जयश्री राम वाली सेना का भावी रूप कैसा होगा, इसकी हल्की झलक इस वीडियो में:-
https://youtu.be/ZNAIQZvN38Q

ये पढ़ाया और सिखाया जा रहा है स्कूल में?

नोटबंदी के बाद सोशल मीडिया पर आरोप-प्रत्यारोप की बाढ़ आई हुई है। कई तरह के वीडियो शेयर किए जा रहे हैं। विपक्षी जहां नोटबंदी से हुई परेशानी के वीडियो डाल रहे हैं तो मोदी समर्थक नोटबंदी को जायज ठहराने वाले वीडियो जारी कर रहे हैं। इस भीड़ में एक वीडियो ऐसा भी नजर आया, जहां नोटबंदी के पक्ष में बने एक गाने पर एक सरकारी स्कूल के बच्चे झूम कर नाच रहे हैं। साफ नजर आ रहा है कि यह सुनियोजित है, क्योंकि मौके पर जिम्मेदार शिक्षक भी मौजूद हैं। सवाल ये उठता है कि क्या हमारे सरकारी स्कूल अब इस काम में आने लगे हैं?
ये पढ़ाया और सिखाया जा रहा है स्कूल में?
नोटबंदी के बाद सोशल मीडिया पर आरोप-प्रत्यारोप की बाढ़ आई हुई है। कई तरह के वीडियो शेयर किए जा रहे हैं। विपक्षी जहां नोटबंदी से हुई परेशानी के वीडियो डाल रहे हैं तो मोदी समर्थक नोटबंदी को जायज ठहराने वाले वीडियो जारी कर रहे हैं। इस भीड़ में एक वीडियो ऐसा भी नजर आया, जहां नोटबंदी के पक्ष में बने एक गाने पर एक सरकारी स्कूल के बच्चे झूम कर नाच रहे हैं। साफ नजर आ रहा है कि यह सुनियोजित है, क्योंकि मौके पर जिम्मेदार शिक्षक भी मौजूद हैं। सवाल ये उठता है कि क्या हमारे सरकारी स्कूल अब इस काम में आने लगे हैं?
वीडियो देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:-
https://youtu.be/rs3cirGqHek