तीसरी आंख

जिसे वह सब दिखाई देता है, जो सामान्य आंखों से नहीं दिखाई देता है

शनिवार, मई 05, 2012

किरण और कटारिया की जंग काफी पुरानी है

लोकसभा चुनाव में किरण को निपटाने के लिए आया था एक परचा
हाल ही सुर्खियों में आई भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव व राजसमंद विधायक श्रीमती किरण माहेश्वरी व पूर्व गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया की जंग काफी पुरानी है। जब किरण माहेश्वरी अजमेर से लोकसभा का चुनाव लडऩे आई थीं, तब एक पर्चा किरण को निपटाने को अजमेर में बंटा था। जिले के गिने-चुने भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को ही बारे में पता था। हालांकि यह परचा दबा दिया गया, लेकिन यह दैनिक न्याय सबके लिए के हाथ आ गया था। चर्चा ये थी कि इस परचे के पीछे पूर्व गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया का हाथ था। तब भी यही बताया गया था कि उदयपुर में भाजपा कटारिया व किरण की लॉबियों में बंटी हुई है। दोनों नेताओं में छत्तीस का आंकड़ा है। ऐसे में किरण के चुनाव लडऩे को अजमेर आने पर कटारिया अथवा उनकी लॉबी के कोई नेता स्थानीय भाजपा नेताओं को यह बताना चाहते थे कि किरण की असलियत क्या है।
आइये, देखते हैं कि उस परचे में लिखा क्या था-छह माह पहले ही किरण माहेश्वरी ने राजसमंद विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं के सामने पांच साल तक नेक सेवा करने की वचनबद्धता के साथ सौगंध खाकर व करोड़ों रुपए खर्च कर चुनाव जीता था, लेकिन छह माह बाद ही उन्हें धोखा दे दिया।
इसमें अजमेर के भाजपा नेताओं को ललकारते हुए लिखा गया है कि क्या अजमेर में लोकसभा सदस्य बनने की क्षमता किसी भी भाजपा कार्यकर्ता में नहीं है, लेकिन केन्द्र की नजर तो आप पर है, यानि किरण पर है, सब कार्यकर्ताओं का हक मार दिया। अजमेर का मतदाता शिक्षित है। वह पैसे से नहीं बिकेगा। पैसा हजम-वोट नहीं। चलो बेईमानी से एकत्र बीस-पच्चीस करोड़ जनता तक तो पहुंचेंगे।
परचे में लिखा है कि विधायक बनने के बाद राजसमंद से किरण ने जिला परिषद के प्रमुख के उपचुनाव में जीवनभर जनसंघ व भाजपा के लिए खपने वाले नंदलाल सिंघली को अनदेखा करके आपने विश्वस्त वोटों को कांग्रेस के उम्मीदवार को दिला कर कांगे्रसी जिला प्रमुख बना दिया और भाजपा के साथ गद्दारी की। इसमें लिखा है कि जब किरण माहेश्वरी तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष गुलाबचंद कटारिया की मेहरबानी से भाजपा के महिला मोर्चे की अध्यक्ष बनीं तो जयपुर के स्विन एंड स्माइल रेस्टोरेंट की मालकिन मिन्नी सिद्धू उनकी खास महामंत्री थी। किरण का अधिकांश समय रेस्टोरेंट पर ही बीतता था। यहां महिलाओं को राजनीति में आगे बढ़ाने की पाठशाला चलाई गई थी। इस पाठशाला के प्रमोटर एस.एन. गुप्ता थे। परचे में लिखा है कि तरणताल में जल क्रीड़ा की जाती थी। मिन्नी सिद्धू पर दलाली के आरोप में मुकदमा चल रहा है। उसने उस पाठशाला में आने वाले स्त्री-पुरुषों के नाम उजागर किए हैं, यहां लिखेंगे तो भाजपा में भूचाल आ जाएगा। उदयपुर में कार्यकर्ता जानते हैं कि किरण नई-नई सखियां बना कर रखती हैं। इसमें लिखा था कि पिछले चार साल में किरण ने फर्जी दस्तखतों से भाई साहब कटारिया जी की छवि बिगाडऩे के लिए मनगढ़ंत आक्षेप वाले पत्र प्रदेश व देश के नेताओं को भेजने का रिकार्ड बनाया है। उसी शैली में यह पत्र आपको भिजवाया जा रहा है, ताकि आपकी बॉडी लैंग्वेज के पीछे छिपे निहायत खतरनाक षड्यंत्रकारी फेस की वास्तविकता सब जान सकें।
इसमें लिखा है कि किरण को राजनीति में जमीन मुहैया कराने की भूल तो भाई साहब ने ही किया था। उन्होंने जनसंघ काल से ही सक्रिय रही सारी महिलाओं की वरिष्ठता दरकिनार कर आपकी खूबसूरती की योग्यता को पैमाना बना कर नगर परिषद का सभापति बनवाया था। सभापति बनने से पहले आपकी माली हालत खस्ता थी और सभापति बनते ही माली हालत ठीक करने के एजेंडे पर चलना चालू कर दिया। सभापति बनने से पहले आपके पति एक उद्योगपति के यहां नौकरी करते थे और आर्थिक अभावों में गबन कर बैठे, उसका पुलिस केस भी बना। यह तो अच्छा हुआ कि आप सभापति बन गईं और अपने प्रभाव से उस केस का रफा-दफा करवा दिया, नहीं जेल जाने की नौबत आ जाती। उसके बाद भी आपके पति ने सीए के रूप में व्यावसायिक बेईमानी की, उसका भी केस बना ओर हिरासत में जाना पड़ा।
आपके सभापति काल में भ्रष्टाचारों की फेहरिस्त बहुत लंबी है। आपने निर्माण कार्यों हेतु परंपरागत रूप से सभापति को मिलने वाले डेढ़ प्रतिशत को बढ़ा कर दो से तीन प्रतिशत कर दिया। परिषद में खड़े दर्जनों जंगी पेड़ों कटवा कर वन कानून का उल्लंघन किया। देबारी द्वार के निर्माण हेतु आबंटित कुलियां राशि आठ लाख छासठ हजार रुपयों को नींव भरने में खर्च करवा कर बहुत भारी कमीशन खाया। इस मामले की जांच हुई, लेकिन आपने दबवा दिया। हिरण मगरी स्थिति विद्या निकेतन परिसर में गड्ढों को भरवाने के लिए मलबा डलवाया। उसमें ट्रक के 175 ट्रिप्स अध्यापक गिने, आपने रिश्वत खा कर 230 ट्रिप्स का चुकारा करवा दिया। आपने अपनी मां के नाम पर बंपर खरीद कर परिषद में ही ठेके पर लगा दिए। जांच में गड़बडिय़ां सामने आर्इं। स्वायत्त शासन विभाग के एक सेवानिवृत्त भ्रष्ट अधिकारी गुलाबसिंह को विभाग की स्वीकृति के बिना ही विशेष अधिकारी बना दिया। उस पर कई आरोप लगे तो उसको भगा दिया। आपके भ्रष्टाचार के विरुद्ध पार्षद अजय कुशवाहा आमरण अनशन पर बैठे। इस फाइलें जयपुर मंगवा ली गर्इं। आप सौभाग्यशाली रहीं कि इसके बाद कांग्रेस शासन में स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल बने, जो स्वभाव से महिलाओं के प्रति बड़े उदार हैं। आपकी बॉडी लैंग्वेज से सभी फाइलों को निपटारा हो गया।
आपने विदेश यात्रा के लाखों रुपए नगर परिषद से उठाए, जबकि सारी यात्रा का खर्च अमरीका में आमंत्रित करने वाले मेजबानों ने उठाया था। जांच में मेजबानों का सहयोग न मिलने पर जांच बंद कर दी गई। दी महिला समृद्धि अरबन को-ऑपरेटिव बैंक की आप अध्यक्ष थीं। उसमें गड़बडिय़ों की जांच अपने ही पति को ऑडिट की जिम्मेदारी दे दी। आपके पांच साल के सभापति कार्यकाल में दौरान किए कारनामों से उदयपुर के अखबार भरे रहे। इस पर आपको पद से हटाने पर विचार भी हुआ। शहर भाजपा अध्यक्ष मदनलाल मूंदड़ा की ओर बुलाई गई बैठक में बाईस पार्षदों ने आपकी कड़ी आलोचना की। केवल पांच पार्षद ही आपके पक्ष में रहे। इस पर बड़े नेताओं ने आपको फटकार लगाई। आप फूट-फूट कर रो पड़ीं। आपके खिलाफ पच्चीस पार्षदों ने प्रदेश अध्यक्ष रघुवीर सिंह कौशल को ज्ञापन दिया था। विधायक शिवकिशोर सनाढ्य ने आपका बचाव किया। उद्योगपतियों ने भी आपके खिलाफ उप मुख्यमंत्री हरिशंकर भाभड़ा को ज्ञापन दिया था।
आपका असली रूप तो पिछले चुनाव में ही सामने आ गया था। विधानसभा टिकट वितरण के दौर में आपने स्व. प्रमोद महाजन के जरिए सभी तौर तरीकों से कोशिश की कि भाई साहब बड़ी सादड़ी से चुनाव लड़ें। आप उदयपुर से चुनाव लडऩा चाहती थीं। आपने वसुंधरा राजे की परिवर्तन यात्रा के दौरान समय व स्थान के अनुरूप वस्त्र भी तैयार करवाए, ताकि बाद में आपको मंत्री पद मिल जाए, लेकिन भई साहब की संघ में मजबूत पकड़ के कारण आपकी पार नहीं पड़ी।
इस परचे से ही स्पष्ट है कि यह किरण के विरोधी और कटारिया के चहेते ने लिखा है। कानाफूसी है कि भिजवाया कटारिया जी ने ही था। कटारिया जी के ही किसी चेले ने यह करतूत की थी, क्योंकि इसमें साफ तौर पर कटारिया जी की पैरवी की गई है और किरण को निपटाया गया है।

-तेजवानी गिरधर
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