हुआ यूं कि मेरे एक परिजन गंभीर बीमार हुए। एक ज्योतिशी को उनकी कुंडली दिखाई तो उन्होंने उसमें अनिश्ट का योग बताया, लेकिन कहा कि आप उनकी पत्नी की कुंडली लाइये, तभी सटीक भविश्यवाणी की जा सकेगी। हमने उनको वह कुंडली दिखाई तो यकायक उनके मुंह से निकल गया कि बीमार बंदे का कुछ नहीं बिगडेगा। उनका कहना था कि भले ही पति की कुंडली में अनिश्टकारक संकेत मिल रहे हैं, लेकिन पत्नी की कुंडली में वैधव्य के कोई संकेत नहीं हैं, साफ तौर पर सौभाग्यवती होने के इषारे हैं। इस आधार पर उन्हें यह भविश्यवाणी करने में जरा भी झिझक नहीं है कि पति बीमारी से उबर आएंगे और लंबी आयु तक जीवित रहेंगे। और हुआ भी वही। वह अस्वस्थ व्यक्ति थोडा कश्ट पा कर ठीक हो गया। इस प्रसंग से हट कर भी देखें तो हमारे यहां परंपरागत रूप से औरत को सौभाग्यवति का आषीर्वाद दिया जाता है। अर्थात पति ही उसका सौभाग्य होता है। आपने देखा होगा कि महिला को भागवान के संबोधन से भी पुकारा जाता है। पुरूश को चिरंजीवी होने का आर्षीवाद दिया जाता है, ताकि उसकी पत्नी का सौभाग्य कायम रहे।
https://www.youtube.com/watch?v=mU6sxPuCK84