तीसरी आंख

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मंगलवार, अप्रैल 02, 2013

मोदी की टांग खींची तो भाजपा डूब जाएगी?


gujratहालांकि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद का अधिकृत दावेदार घोषित किया जाना बाकी है, या यूं कहें कि फिलहाल प्रबल संभावना मात्र है, मगर ऐसा प्रतीत होता है कि मोदी को लेकर अभी से पार्टी में घमासान शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री पद के अन्य दावेदारों को मोदी का नाम पचाना मुश्किल हो रहा है। इस स्थिति को मोदी के समर्थक भांप रहे हैं। भीलवाड़ा के एक मोदी समर्थक संजीव पाठक ने तो बाकायदा इस आशय की एक पोस्ट फेसबुक पर लगाई भी है, जिसमें आगाह किया गया है कि यदि मोदी की टांग खींची गई तो भाजपा नाम की रह जाएगी।
उनकी इस पोस्ट में एक फोटो भी लगाई गई है, जो यह साबित करती है कि मोदी के समर्थक बाकायदा मोदी को प्रोजेक्ट करने में लगे हुए हैं, जिसका संकेत मैं मोदी विषयक पूर्व आलेख में दे चुका हूं कि मोदी जितने बड़े हैं नहीं, उससे कहीं अधिक मीडिया और सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जरिए प्रोजेक्ट किए जा रहे हैं।
बहरहाल, संजीव पाठक की पोस्ट को यहां हूबहू यहां दिया जा रहा है, जिससे आपको सब कुछ समझ में आ जाएगा:-
संजीव पाठक
संजीव पाठक
अब अन्दर खाते समझ में आने लगा है कि भाजपा के कुछेक वरिष्ठ नेता नरेन्द्र मोदी को पार्टी का नेतृत्व संभलाने से कतरा रहे हैं .पार्टी नेता यह मान बैठे हैं कि देश कांग्रेस की बुराइयों से त्रस्त होकर भाजपा को माला पहना ही देगी ! फिर क्यों न " मैं " ही प्रधानी करूँ ! क्या जरुरत है मोदी की ? 
मेरे भाजपाइयों , कृपया यह कत्तई न भूलें कि देश का मतदाता कांग्रेस से नाखुश है तो खुश आप से भी नहीं है . उत्तराखण्ड और हिमाचल में मिली हार से भी यदि आप अभी भी कुछ नहीं समझे हैं तो फिर तरस आता है आप पर . 
यह तो नरेन्द्र मोदी जैसा निष्ठावान , देशभक्त , खालिस ईमानदार , योग्य प्रशासक , नीतिवान नेता आपकी पार्टी में हैं नहीं तो आप भी कहीं कांग्रेस से कम नहीं है . कर्नाटक , झाड़खंड के उदाहरण आपके लिए नासूर से कम नहीं है . 
यह बात भी भली भांति समझ लें कि जिन राज्यों में आप सत्तासुख भोग रहे हैं वहाँ भी वहीं के नेतृत्व की ही करामात है . आप लोग यदि इतने ही सक्षम हैं तो क्यों उत्तरप्रदेश में हारे ? क्यों नहीं अभी तक पूर्वोत्तर या सुदूर दक्षिण में अपने पैर जमा सके ? यदि ऐसा नहीं तो क्यों नहीं अटलजी की तरह अडवाणीजी भी स्वयं को सन्यासी घोषित करने में देरी कर रहे हैं ? हाँ , इस बात में कोई दो राय नहीं है कि
अटलजी - अडवाणीजी भाजपा के दो कीर्तिस्तंभ हैं किन्तु समयानुसार अपनी भावी पीढी को व्यवस्थापक बना कर स्वयं को संरक्षक बना लेना चाहिए .
एक बार पूर्ण जिम्मेदारी से पुनः ( एक जागरूक मतदाता की हैसियत से ) चेतावनी देना चाहता हूँ कि मोदी जी नीतिज्ञ की राह में कांटे बिछाने का काम न करें वरना भाजपा नाम की ही रह जाएगी....
अब तो आप समझ गए होंगे कि मोदी के समर्थकों अथवा भाजपा के तथाकथित सच्चे हितेषियों के मन में कैसे धुकधुकी है।
-तेजवानी गिरधर