तीसरी आंख

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बुधवार, नवंबर 13, 2024

क्या अंतिम समय में भगवान का नाम लेने से कल्याण संभव है?

क्या अंतिम समय में भगवान का नाम लेने से कल्याण संभव है? मान्यता तो यही है, इसी कारण अंत समय में भगवान का नाम लेने व स्मरण करने की सलाह दी जाती है। मरणासन्न व्यक्ति के सामने भगवान का नाम दोहराया जाता है, ताकि उसका ध्यान भगवान में लगे। मगर सवाल यह उठता है कि जिसने जीवन भर धर्माचरण नहीं किया, केवल आखिरी वक्त में भगवान का नाम लेने से उसका कल्याण कैसे हो सकता है? अव्वल तो मरते समय भगवान पर ध्यान स्थिर होना ही मुष्किल है। इस बारे में विद्वानों की मान्यता है कि अंतिम समय में भगवान का नाम लेने से कल्याण की संभावना है, लेकिन यह व्यक्ति की आंतरिक स्थिति, उनके कर्म, और पूरे जीवन में किए गए प्रयासों पर भी निर्भर करता है। असंभव भले न हो, मगर कठिन जरूर है। आध्यात्मिक दृष्टि से इसका तात्पर्य यह है कि अंतिम समय में भगवान का नाम लेने से व्यक्ति की चेतना का स्तर ऊंचा होता है और वह भौतिक बंधनों से मुक्त हो जाता है। इस प्रकार, भले ही व्यक्ति ने जीवन में गलतियां की हों, अंत में भगवान का स्मरण करने से उसे एक विशेष कृपा मिल सकती है।

दूसरा मत ये है कि सिर्फ अंतिम समय में भगवान का नाम लेना ही पर्याप्त नहीं होता। यदि व्यक्ति अपने पूरे जीवन में धर्म का पालन करता है, सत्कर्म करता है और भगवान का स्मरण करता है, तो अंत में उसका भगवान से जुड़ना सहज और स्वाभाविक हो जाता है।

 अंतिम समय में भगवान का स्मरण केवल तभी फलदायी होता है जब व्यक्ति ने पूर्व में आध्यात्मिक साधना की हो या संपूर्ण विश्वास से उसे किया हो।