दोस्तो, नमस्कार। आपने देखा होगा कि अमूमन दूल्हा अपने मुख पर रूमाल रखता है। विषेश रूप से वह अगर हंसे तो दिखाई न दे। दूल्हे के हंसने को अभद्रता माना जाता है। कुछ लोग दूल्हे के हंसने को अनिश्टकारी भी मानते हैं। यह प्रथा विशेषतः सिंधी, गुजराती, राजस्थानी व अन्य हिन्दू समुदायों में देखी जाती है। क्या आपने कभी सोचा है कि इसकी वजह क्या है? असल में भारतीय विवाह परंपराओं में दूल्हे को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है, और इसी भावना से जुड़ी हुई है यह प्रथा कि दूल्हा अपने मुख पर रूमाल या वस्त्र रखता है। ताकि भगवान की पवित्रता व गरिमा कायम रहे। कई लोग दूल्हे का दर्षन करते वक्त सोचते हैं कि उन्हें भगवान विश्णु का दर्षन हो रहे हैं। यह दूल्हे के संयमी, विचारशील और मर्यादित होने का प्रतीक भी है। यह दर्शाता है कि विवाह एक देवकार्य है, और दूल्हा इस भूमिका को आदर और मर्यादा के साथ निभा रहा है। एक वजह बुरी नजर से बचाव की भी हो सकती है। विवाह की विशेष रस्म “मुख-दिखाई” के समय ही पहली बार दुल्हन दूल्हे का चेहरा देखती है, तब तक दूल्हा मुख पर रूमाल रखता है।
https://youtu.be/IYipNONlUmA
https://ajmernama.com/thirdeye/433611/
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