असल में प्राचीन काल में राजाओं को अक्सर देवताओं का प्रतिनिधि या स्वयं देवता माना जाता था। इस दैवीय अधिकार के कारण, यह माना जाता था कि वे अलौकिक शक्तियों की वजह से सुरक्षित हैं। इसी प्रकार सत्ताधीष भी पूरी व्यवस्था के केन्द्र में स्थित होते हैं, षक्ति संपन्न होते हैं, इस कारण कोई जादूगर अथवा तांत्रिक चाहे तो उन पर अपने जादू या तंत्र-मंत्र का उपयोग नहीं कर सकता। जैसे कोई तांत्रिक प्रधानमंत्री से असहमत है, उसके खिलाफ है, तो वह चाह कर भी उस पर तंत्र का अस्त्र नहीं चला सकता। अगर वह ऐसा करने में सक्षम होता तो सारी सत्ता उसके षिकंजे में होती। मगर ऐसा हो नहीं सकता। प्रधानमंत्री को छोडिये, एक सामान्य सिपाही तक में भी सत्ता की प्रतिश्ठा होती है, इस कारण उस पर जादू-टोना काम नहीं कर सकता। आपके ख्याल में होगा कि किसी अनिश्ठकारी स्थान के पास जाने से आम आदमी घबराता है, मगर सत्ता के आदेष पर उसे ध्वस्त करने वाले सिपाही व मजदूर का कुछ नहीं बिगडता।
एक तर्क यह है कि सत्ताधीष के पद और अधिकार उन्हें एक प्रकार की स्वाभाविक सुरक्षा प्रदान करते हैं। उनकी शक्ति और प्रभाव इतना अधिक होता है कि सामान्य जादू या मंत्र उन तक नहीं पहुंच पाते। इसके अतिरिक्त सत्ता में बैठे लोग अक्सर कड़ी सुरक्षा के घेरे में रहते हैं। उनके आसपास हमेशा पहरेदार और सेवक होते हैं, जिससे किसी बाहरी व्यक्ति के लिए उन तक पहुंच कर जादू करना मुश्किल हो जाता है।
यह भी संभव है कि यह विश्वास सत्ता में बैठे लोगों के प्रति एक प्रकार का भय और सम्मान दर्शाता है। लोगों का मानना हो सकता है कि उनकी शक्ति इतनी अधिक है कि कोई भी जादू उन पर काम नहीं कर सकता। राजा और प्रशासनिक तंत्र के पास संसाधनों और लोगों पर नियंत्रण होता है। यह संभव है कि वे अपने प्रभाव का उपयोग करके किसी भी जादू या मंत्र के प्रभाव को नकार सकते हैं या उससे बच सकते हैं।
आप देखिए न, कोई कथित योगी या तांत्रिक, जो कि आम तौर पर चमत्कार दिखाता है, लेकिन अगर किसी दुश्कर्म की वजह से उसे गिरफ्तार किया जाए तो वह पुलिस कर्मियों को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचा पाता। जेल में रहने के दौरान प्रहरियों व न्यायाधीष का कुछ नहीं बिगाड पाता है। ऐसे कई कथित तांत्रिक व साधु इन दिनों जेल में बंद हैं, मगर वे अपने कथित योग बल से जेल के बाहर नहीं आ पा रहे। उन्हें न्यायिक प्रक्रिया से गुजरना ही पड रहा है।
https://youtu.be/jwTK9Gy7yBk
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