तीसरी आंख

जिसे वह सब दिखाई देता है, जो सामान्य आंखों से नहीं दिखाई देता है

मंगलवार, नवंबर 20, 2012

गडकरी का दूसरा कार्यकाल नामुमकिन


पहले भाजपा सांसद व वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी व उनके पुत्र महेश जेठमलानी और अब भाजपा नेता यशवंत सिंहा ने गडकरी के इस्तीफे की मांग कर पार्टी को परेशानी में डाल दिया है। भले ही अधिसंख्य नेता गडकरी के इस्तीफे पर फिलहाल इस कारण राजी नहीं हैं क्योंकि इससे पार्टी की किरकिरी होगी, मगर वे यह भी समझ रहे हैं कि गडकरी को कम से कम दूसरा मौका देना तो संभव नहीं होगा। ज्ञातव्य है कि गडकरी का मौजूदा कार्यकाल आगामी दिसंबर में पूरा हो रहा है।
उल्लेखनीय है कि जब जेठमलानी ने इस्तीफे का दबाव बनाया था, तब उन्होंने इशारा किया था कि यशवंत सिंहा और जसवंत सिंह भी उनका समर्थन कर रहे हैं। उस समय तो यशवंत खुलकर सामने नहीं आए, लेकिन इस बार उन्होंने साफ तौर पर गडकरी का इस्तीफा मांग लिया है। जेठमलानी की बात को तो पार्टी ने हवा में उड़ा दिया क्योंकि उनकी छवि कुछ खास नहीं रही है। पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच भी उन्हें सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जाता। उन्हें गंभीरता से नहीं लिया जाता। इसकी कुछ खास वजहें भी हैं। वो ये कि उनके विचार भाजपा की विचारधारा से कत्तई मेल नहीं खाते। उन्होंने बेबाक हो कर भाजपाइयों के आदर्श वीर सावरकर की तुलना पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना से की थी। इतना ही नहीं उन्होंने जिन्ना को इंच-इंच धर्मनिरपेक्ष तक करार दे दिया था। पार्टी के अनुशासन में वे कभी नहीं बंधे। पार्टी की मनाही के बाद भी उन्होंने इंदिरा गांधी के हत्यारों का केस लड़ा। इतना ही नहीं उन्होंने संसद पर हमला करने वाले अफजल गुरु को फांसी नहीं देने की वकालत की, जबकि भाजपा अफजल को फांसी देने के लिए आंदोलन चला रही है। वे भाजपा के खिलाफ किस सीमा तक चले गए, इसका सबसे बड़ा उदाहरण ये रहा कि वे पार्टी के शीर्ष नेता अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ ही चुनाव मैदान में उतर गए। इन्हीं कारणों वे जेठमलानी की मांग तो हवा में उड़ाना आसान रहा, मगर अब यशवंत सिन्हा जैसे संजीदा नेता की ओर उठी इस्तीफे की मांग को दरकिनार करना कठिन हो रहा है। यशवंत सिन्हा ने खुल कर कह दिया है कि मसला गडकरी के दोषी होने या न होने का नहीं है। जो लोग सार्वजनिक जीवन जीते हैं, उनकी छवि बेदाग होनी चाहिए। गडकरी का इस्तीफा मांगते हुए कहा कि मुझे काफी दुख और अफसोस है, लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि जो मुद्दा मैं उठा रहा हूं, वह सही है। उन्होंने इस बात का अफसोस भी जताया है कि पार्टी गडकरी के संबंध में कोई निर्णय नहीं ले पा रही है।
गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले ही गुरुमूर्ति के क्लीन चिट पर भाजपा नेतृत्व ने गडकरी को पाक-साफ घोषित किया था और अपने सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को संकेत दे दिए थे कि गडकरी के विषय में अब कोई बयानबाजी नहीं होगी। मगर जब गुरुमूर्ति ने ट्वीट के जरिए पलटी खाई तो पार्टी सकते में आ गई। मौका पा कर यशवंत सिन्हा ने भी हमला बोल दिया है। समझा जाता है कि सिन्हा भी अच्छी तरह से जानते हैं कि अभी गडकरी का इस्तीफा नहीं होगा क्योंकि पार्टी शीतकालीन सत्र में कांग्रेस को कई मुद्दों पर घेरने की तैयारी कर रही है। इसके अतिरिक्त हल्ला बोल रैलियों की भी शुरुआत हो चुकी है। मगर कम से कम उनकी मांग से इतना तो होगा कि जो नेता गडकरी को दुबारा मौका देने की रणनीति बना रहे हैं, उन्हें झटका जरूर लगेगा।
-तेजवानी गिरधर

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