तीसरी आंख

जिसे वह सब दिखाई देता है, जो सामान्य आंखों से नहीं दिखाई देता है

शुक्रवार, मार्च 28, 2025

दरवाजे पर सी ऑफ करने की परंपरा क्यों?

दोस्तो, नमस्कार। आपने अमूमन देखा होगा कि जब भी परिवार का कोर्इ्र सदस्य घर से बाहर जा रहा हो, यानि बाजार जा रहा हो, ऑफिस जा रहा हो, घूमने जा रहा हो या यात्रा पर जा रहा हो तो उसकी माताजी, धर्मपत्नी या अन्य सदस्य उसे दरवाजे तक सी ऑफ करते हैं। अपनत्व गहरा हो तो दरवाजे के बाद गली के नुक्कड तक भी निहारते रहते हैं और बाय बाय करते हैं। यह एक परंपरा है, जिसे कि षिश्टाचार व औपचारिकता की संज्ञा दी जा सकती है। विदाई के समय दरवाजे पर आकर किसी को देखना यह दर्शाता है कि हम उनकी परवाह करते हैं। यह प्रेम और अपनापन दिखाने का एक तरीका है। ऐसा माना जाता है कि जब कोई घर से बाहर जाता है और पीछे मुड़ कर देखता है कि उनके प्रियजन उन्हें विदा कर रहे हैं, तो इससे यात्रा के प्रति एक सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। यह मानसिक रूप से व्यक्ति को आश्वस्त करता है कि उसका परिवार उसके साथ है। दरवाजे तक आकर विदा करना यह दर्शाता है कि हम चाहते हैं कि जाने वाला व्यक्ति जल्द ही लौटे और हमारे साथ फिर से जुड़े।

बाहर जा रहा सदस्य भी यह अपेक्षा रखता है कि जाते समय कोई सदस्य दरवाजे तक छोडने आए। अन्यथा, उसे अधूरा अधूरा सा लगता है। वह अधूरापन क्या है? ऐसा लगता है कि बाहर जाने वाले का अपने घर व परिजन के प्रति जो अटैचमेंट है, उसे कायम रखने के लिए ऐसा किया जाता होगा। जिसमें यह भाव भी होता है कि जो भी काम करने जा रहा है, वह पूर्ण हो और वह वापस सुरक्षित लौटे। बाहर जाने वाला भी अपने घर के प्रति अटैचमेंट कायम रखने के लिए ऐसा करता है। हालांकि यह बात अतिषयोक्तिपूर्ण हो जाएगी, मगर मन के सूक्ष्मतम तल में कहीं न कहीं यह भाव होता है कि घर से जा रहा है तो एक बार देख ही लूं। कुल जमा यही समझ में आता है कि दरवाजे तक आकर किसी को विदा करने की परंपरा सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक गहरी भावनात्मक और सांस्कृतिक प्रथा है।


https://www.youtube.com/watch?v=z1I4XLYMsME


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