तीसरी आंख

जिसे वह सब दिखाई देता है, जो सामान्य आंखों से नहीं दिखाई देता है

सोमवार, दिसंबर 30, 2024

नासा का स्पेसक्राफ्ट चला हनुमान जी की राह पर

आपने हनुमान जी के बचपन की अद्भुत लीलाओं को सुना होगा। एक बार उन्होंने सूर्य को पका हुआ लाल फल समझ कर मुंह में रख लिया था। यह कथा बाल हनुमान के बल, मासूमियत और अद्वितीय शक्ति को दर्शाती है। जब हनुमान छोटे थे, तो वे बहुत ही चंचल और शक्तिशाली थे। एक दिन उन्होंने आकाश में चमकते हुए सूर्य को देखा और उसे एक पका हुआ लाल फल समझ लिया। वे सूर्य को खाने की इच्छा से आकाश में उड़ गए। वे सूर्य के बहुत पास पहुंच गए और उसे अपने मुंह में रख लिया। अंधकार छा गया। देवताओं ने घबरा कर इंद्र देव से मदद मांगी। इंद्र देव ने अपने वज्र से हनुमान पर प्रहार किया, जिससे हनुमान बेहोष हो गए। उनकी ठोडी पर चोट लगी।यह देख कर हनुमान के पिता वायुदेव क्रोधित हो गए और उन्होंने पूरी सृष्टि में वायु का प्रवाह रोक दिया। इससे देवता और सभी जीव संकट में आ गए। तब सभी देवताओं ने ब्रह्मा जी के नेतृत्व में वायुदेव को शांत किया और हनुमान को होश में लाने के लिए उन्हें वरदान दिया। हनुमान को अमरता, असीम शक्ति और बुद्धि का वरदान मिला। इसके बाद वायुदेव ने पुनः संसार में वायु का प्रवाह शुरू किया, और सभी जीवों ने राहत की सांस ली। यह कथा न केवल हनुमान जी की महिमा को प्रकट करती है, बल्कि उनकी बचपन की मासूमियत और उनके अनोखे पराक्रम का भी उदाहरण है। हाल ही जब यह खबर पढी कि नासा का स्पेसक्राफ्ट सूरज के सबसे करीब पहुंच कर सुरक्षित लौट गया, तो ऐसा लगा मानो नासा के स्पेसक्राफ्ट ने हनुमान जी से मिलता जुलता कृत्य कर दिया हो। उसने भले ही सूरज को मुंह में नहीं रखा हो, मगर वह सूरज के करीब पहुंचने में तो कामयाब हो ही गया। उसने वहां 980 डिग्री तापमान दर्ज किया। यह विज्ञान की बहुत महत्वपूर्ण उपलब्धि है। ज्ञातव्य है कि रामायण काल में जिस पुश्पक विमान का जिक्र आता है, उसी प्रकार विज्ञान ने भी विमान बनाने में कामयाबी हासिल कर ली है। इससे यह आभास होता है कि विज्ञान षनैः षनैः अध्यात्म के मार्ग पर चल रहा है। यह बात दीगर है कि उसकी कीमिया भिन्न है। उसका मैथड अलग है।


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